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*सिसोदिया रानी के बाग़ में फव्वारों, पानी की नहरों, व चित्रित मंडपों के साथ पंक्तिबद्ध बहुस्तरीय बगीचे हैं व बैठकों के कमरे हैं। | *सिसोदिया रानी के बाग़ में फव्वारों, पानी की नहरों, व चित्रित मंडपों के साथ पंक्तिबद्ध बहुस्तरीय बगीचे हैं व बैठकों के कमरे हैं। | ||
− | *अन्य बगीचों में, विद्याधर का | + | *अन्य बगीचों में, विद्याधर का बाग़ बहुत ही अच्छे ढ़ग से संरक्षित बाग़ है, इसमें घने वृक्ष, बहता पानी व खुले मंडप हैं। |
*इसे शहर के नियोजक विद्याधर ने निर्मित किया था। | *इसे शहर के नियोजक विद्याधर ने निर्मित किया था। | ||
*यहाँ नाहरगढ क़िले के नीचे जयपुर के पूर्व महाराजाओं की संगमरमर की सुन्दर और कलात्मक छतरियाँ बनी हुई हैं। | *यहाँ नाहरगढ क़िले के नीचे जयपुर के पूर्व महाराजाओं की संगमरमर की सुन्दर और कलात्मक छतरियाँ बनी हुई हैं। |
11:49, 30 नवम्बर 2010 का अवतरण
- नाहरगढ़ क़िले की तलहटी में जयपुर के दिवंगत राजाओं की छतरियाँ निर्मित हैं, इस स्थान को गैटोर कहते हैं।
- सबसे सुंदर छतरी जयपुर के संस्थापक महाराजा सवाई जयसिंह की है, जिसकी एक अनुकृति लंदन के केनसिंगल म्यूजियम में रखी गई है
- सिसोदिया रानी के बाग़ में फव्वारों, पानी की नहरों, व चित्रित मंडपों के साथ पंक्तिबद्ध बहुस्तरीय बगीचे हैं व बैठकों के कमरे हैं।
- अन्य बगीचों में, विद्याधर का बाग़ बहुत ही अच्छे ढ़ग से संरक्षित बाग़ है, इसमें घने वृक्ष, बहता पानी व खुले मंडप हैं।
- इसे शहर के नियोजक विद्याधर ने निर्मित किया था।
- यहाँ नाहरगढ क़िले के नीचे जयपुर के पूर्व महाराजाओं की संगमरमर की सुन्दर और कलात्मक छतरियाँ बनी हुई हैं।
- इसमें सवाई जयसिंह द्वितीय की छतरी काफ़ी भव्य हैं।
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