चरणजीत सिंह

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रविन्द्र प्रसाद (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:21, 16 अक्टूबर 2022 का अवतरण (''''चरणजीत सिंह''' (अंग्रेज़ी: ''Charanjit Singh'', जन्म- 3 फ़रवरी, [...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

चरणजीत सिंह (अंग्रेज़ी: Charanjit Singh, जन्म- 3 फ़रवरी, 1931; मृत्यु- 27 जनवरी, 2022) पूर्व भारतीय हॉकी खिलाड़ी और सन 1964 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक हॉकी टीम के कप्तान रहे थे। उन्हें भारत सरकार ने 1964 में 'पद्म श्री' से सम्मानित किया था। चरणजीत सिंह हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला में शारीरिक शिक्षा विभाग के निदेशक पद पर भी रहे थे।

परिचय

चरणजीत सिंह का जन्म 3 फ़रवरी, 1931 को ऊना में हुआ था। वह पूर्व भारतीय हॉकी खिलाड़ी और 1964 ग्रीष्मकालीन ओलंपिक हॉकी टीम के कप्तान रहे। उनके नेतृत्व में भारतीय टीम ने 1964 में टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता था। चरणजीत सिंह ने पंजाब के गुरदासपुर और लायलपुर से अपनी स्कूली पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने लुधियाना से एग्रीकल्चर में बीएसई की पढ़ाई की और बाद में वह हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में शारीरिक शिक्षा विभाग के निदेशक पद पर भी रहे। स्कूली स्तर पर उन्होंने हॉकी खेलना शुरू किया था।

कॅरियर

सन 1964 में वह ग्रीष्मकालीन टोक्‍यो ओलिंपिक हाकी टीम के कप्तान रहे। उन्‍होंने देश के लिए स्‍वर्ण पदक जीता था। चरणजीत सिंह, बलबीर सीनियर, पिरथीपाल जैसे धुंरधरों से सजी टीम को उस समय 'स्टार स्टडड' टीम का नाम दिया गया था। सभी दर्शक चाहते थे कि हर प्रतियोगिता में यही टीम खेलने उतरे। गांव में प्राथमिक शिक्षा हासिल करने के बाद लायलपुर एग्रीकल्चरण कॉलेज से बीएससी कृषि की उपाधि हासिल करने के बाद चरणजीत सिंह ने सारा ध्यान हॉकी खेल पर लगा दिया। सन 1949 में पहली बार यूनिवर्सिटी की तरफ से खेले। 1958 से 1965 तक लगातार देश का प्रतिनिधित्व किया।

इसी दौरान 19601964 के दो ओलिंपिक तथा एक एशियन स्‍पर्धा में भाग लिया। सन 1960 में सेमीफाइनल में फ्रेक्चर होने के कारण फाइनल नहीं खेल पाए तथा भारत को हार झेलनी पड़ी थी। छात्र जीवन में पढ़ाई में अव्वल रहने वाले चरणजीत सिंह देश के बेहतरीन खिलाडिय़ों में शुमार रहे। पढ़ाई हो या खेल हर क्षेत्र में अव्वल रहने की ललक ने उन्हें एक सफल खिलाड़ी व युवाओं का रोल मॉडल बना दिया था।

सरकारी सेवा

चरणजीत सिंह पंजाब पुलिस में एएसआइ के रूप में भर्ती हुए थे तथा 14 साल की नौकरी के बाद डीएसपी पद से रिटायरमेंट ले ली। इसके बाद लुधियाणा कृषि विश्‍वविद्यालय में उपनिदेशक स्टूडेंट वेलफेयर व हिसार कृषि विश्‍वविद्यालय में सात साल काम किया। सन 1972 में पिता के कहने पर हिमाचल प्रदेश में नौकरी की शुरुआत हिमाचल प्रदेश विश्‍वविद्यालय, शिमला में निदेशक फिजिकल एजुकेशन एंड यूथ प्रोग्राम के रूप में की। सन 1990 से 1992 तक प्रदेश के पहले प्रो. एमीरेटस के रूप में कार्य किया।

पुरस्कार व सम्मान

  • चरणजीत सिंह को 1963 में अर्जुन पुरस्कार से नवाजा गया।
  • ओलिंपिक में गोल्ड जीतने के बाद उन्हें सरकार ने 1964 में पद्म श्री सम्मान दिया।
  • इसके अलावा भी उन्हें राज्य स्तरीय और अन्य सम्मान मिले।

मृत्यु

भारतीय टीम के कप्तान रहे हॉकी खिलाड़ी चरणजीत सिंह का निधन 27 जनवरी, 2022 को ऊना, हिमाचल प्रदेश में हुआ। वह कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख