"भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो (Text replacement - "तेजी " to "तेज़ी")
 
(5 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 13 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
*[[महाराष्ट्र]] के शहर [[मुंबई]] में कई [[मुम्बई पर्यटन|पर्यटन स्थल]] है जिनमें से एक भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र हैं।
+
{{सूचना बक्सा पर्यटन
*भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र मुम्बई में स्थित है।  
+
|चित्र=Bhabha-Atomic-Research-Centre.gif
*यह भारत सरकार के [[परमाणु]] [[ऊर्जा]] विभाग के अन्तर्गत नाभिकीय [[विज्ञान]] एवं अभियांत्रिकी एवं अन्य सम्बन्धित क्षेत्रों का बहु-विषयी नाभिकीय अनुसंधान केन्द्र है।
+
|चित्र का नाम=भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र, मुम्बई
 +
|विवरण=भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र [[मुम्बई]] शहर में स्थित है।
 +
|राज्य=[[महाराष्ट्र]]
 +
|केन्द्र शासित प्रदेश=
 +
|ज़िला=[[मुम्बई ज़िला|मुम्बई]]
 +
|निर्माता=
 +
|स्वामित्व=
 +
|प्रबंधक=
 +
|निर्माण काल=
 +
|स्थापना=
 +
|भौगोलिक स्थिति=[http://maps.google.com/maps?q=19.007778,72.918611&ll=19.004672,72.918491&spn=0.075796,0.110378&t=m&z=13 उत्तर- 19°00′28″, पूर्व- 72°55′07″]
 +
|मार्ग स्थिति=भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र [[छत्रपति शिवाजी टर्मिनस]] से लगभग 20 किमी की दूरी पर स्थित है।
 +
|मौसम=
 +
|तापमान=
 +
|प्रसिद्धि=
 +
|कब जाएँ=[[नवम्बर]] से [[मार्च]]
 +
|कैसे पहुँचें=जलयान, हवाई जहाज़, रेल, बस आदि से पहुँचा जा सकता है।
 +
|हवाई अड्डा=छ्त्रपति शिवाजी अंतर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र
 +
|रेलवे स्टेशन=[[छत्रपति शिवाजी टर्मिनस]]
 +
|बस अड्डा=
 +
|यातायात=
 +
|क्या देखें=
 +
|कहाँ ठहरें=
 +
|क्या खायें=
 +
|क्या ख़रीदें=
 +
|एस.टी.डी. कोड=022
 +
|ए.टी.एम=लगभग सभी
 +
|सावधानी=
 +
|मानचित्र लिंक=[http://maps.google.co.in/maps?saddr=Lokmanya+Tilak+Terminus,+Pipeline+Road,+Kurla,+Maharashtra&daddr=Bhabha+Atomic+Research+Centre+(BARC)+copmlex&hl=en&ll=19.041998,72.90905&spn=0.075779,0.110378&sll=19.055466,72.875404&sspn=0.075773,0.110378&geocode=Fd_9IgEd3DxYBCnbn-jom8jnOzGRyLPUbxgmgw%3BFf8iIgEdUbpYBCFov5sxm-zw3g&oq=lokm&mra=ls&t=m&z=13 गूगल मानचित्र]
 +
|संबंधित लेख=
 +
|शीर्षक 1=
 +
|पाठ 1=
 +
|शीर्षक 2=
 +
|पाठ 2=
 +
|अन्य जानकारी= [[प्रधानमंत्री]] [[जवाहरलाल नेहरू]] द्वारा [[20 जनवरी]] सन् [[1957]] को भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्रराष्ट्र को समर्पित किया गया।
 +
|बाहरी कड़ियाँ=[http://www.barc.gov.in/hindi/ अधिकारिक वेबसाइट]
 +
|अद्यतन= {{अद्यतन|17:17, 26 जनवरी 2012 (IST)}}
 +
}}
 +
'''भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र''' [[महाराष्ट्र]] राज्य के [[मुम्बई]] शहर में स्थित है। यह भारत सरकार के [[परमाणु]] [[ऊर्जा]] विभाग के अन्तर्गत नाभिकीय [[विज्ञान]] एवं अभियांत्रिकी एवं अन्य सम्बन्धित क्षेत्रों का बहु-विषयी नाभिकीय अनुसंधान केन्द्र है।
 
==निर्माण==
 
==निर्माण==
भारत का परमाणु कार्यक्रम [[डॉक्टर होमी जहाँगीर भाभा]] के नेतृत्व में आरम्भ हुआ। [[3 जनवरी]] सन् [[1953]] को [[परमाणु]] ऊर्जा आयोग के द्वारा परमाणु ऊर्जा संस्थान के नाम से आरम्भ हुआ और तत्कालीन प्रधान मंत्री [[जवाहरलाल नेहरू]] द्वारा [[20 जनवरी]] सन् [[1957]] को राष्ट्र को समर्पित किया गया। इसके बाद परमाणु ऊर्जा संस्थान को पुनर्निर्मित कर [[12 जनवरी]] सन् [[1967]] को इसका नया नाम भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र किया गया, जो कि [[24 जनवरी]] सन् 1966 में डा॰ भाभा की विमान दुर्घटना में आकस्मिक मृत्यु के लिये एक विनम्र श्रद्धांजलि थी।
+
[[भारत]] का परमाणु कार्यक्रम [[डॉक्टर होमी जहाँगीर भाभा]] के नेतृत्व में आरम्भ हुआ। [[3 जनवरी]] सन् [[1953]] को [[परमाणु]] ऊर्जा आयोग के द्वारा परमाणु ऊर्जा संस्थान के नाम से आरम्भ हुआ और तत्कालीन [[प्रधानमंत्री]] [[जवाहरलाल नेहरू]] द्वारा [[20 जनवरी]] सन् [[1957]] को राष्ट्र को समर्पित किया गया। इसके बाद परमाणु ऊर्जा संस्थान को पुनर्निर्मित कर [[12 जनवरी]] सन् [[1967]] को इसका नया नाम भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र किया गया, जो कि [[24 जनवरी]] सन् 1966 में डा॰ भाभा की विमान दुर्घटना में आकस्मिक मृत्यु के लिये एक विनम्र श्रद्धांजलि थी।
{{लेख प्रगति
+
==संस्थापक==
|आधार=
+
[[होमी जहांगीर भाभा|डॉ. होमी जहांगीर भाभा]] स्वप्नद्रष्टाथे जिन्होंने [[भारत]] के नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम की कल्पना की थी। उन्होंने मुटठीभर वैज्ञानिकों की सहायता से [[मार्च]] [[1944]] में भारत में नाभिकीय विज्ञान में अनुसंधान का कार्यक्रम प्रारंभ किया। उन्होंने नाभिकीय ऊर्जा की असीम क्षमता एवं उसकी विद्युत उत्पादन एवं सहायक क्षेत्रों में सफल प्रयोग की संभावना को पहचाना। डॉ. भाभा ने नाभिकीय विज्ञान एवं इंजीनियरी के क्षेत्र में स्वावलंबन प्राप्त करने के लक्ष्य से यह कार्य प्रारंभ किया और आज का परमाणु ऊर्जा विभाग जो विविध विज्ञान एवं इंजीनियरी के क्षेत्रों का समूह है, डॉ. भाभा की दूरदृष्टि का परिणाम है। डॉ. होमी जहांगीर भाभा ने परमाणु ऊर्जा विद्युत उत्पादन के लिए एक व्यवहार्य वैकल्पिक स्रोत में उच्च क्षमता को पहचानते हुए मार्च, 1944 में भारतीय नाभिकीय कार्यक्रम प्रारंभ किया। यह डॉ. भाभा की दूरदृष्टि ही थी जिसके कारण भारत में नाभिकीय अनुसंधान को उस समय प्रारंभ किया जब ओटो हान एवं फ्रिट्ज स्ट्रॅसमैन द्वारा नाभिकीय विखंड़न के चमत्कार की खोज की जा रही थी एवं तत्पश्चात् एन्रिको फर्मि व साथियों द्वारा अविच्छिन्न नाभिकीय श्रृंखला अभिक्रियाओं की व्यवहार्यता के बारे में रिपोर्ट किया गया। उस समय बाहरी विश्व को नाभिकीय विखंडन एवं अविच्छिन्न श्रृंखला अभिक्रिया की सूचना न के बराबर थी। परमाणु ऊर्जा पर आधारित विद्युत उत्पादन की कल्पना को कोई मान्यता देने के लिए तैयार नहीं था। डॉ. भाभा एक कुशल वैज्ञानिक और प्रतिबद्ध इंजीनियर होने के साथ-साथ एक समर्पित वास्तुशिल्पी, सतर्क नियोजक एवं निपुण कार्यकारी थे। वे ललित कला एवं संगीत के उत्कृष्ट प्रेमी और लोकोपकारी थे। डॉ. भाभा द्वारा भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के प्रति अपनाया गया सही मार्ग विश्व के बेहतरीन स्तरों में से एक है। परमाणु ऊर्जा विभाग के सदस्यों और सारे देश के लोग इस महान् वैज्ञानिक को नमन करते हैं और आने वाले वर्षों में भी उनके द्वारा चुने गए मार्ग पर चलने की पुन: प्रतिज्ञा करते हैं।<ref name="barc">{{cite web |url=http://www.barc.gov.in/hindi/index.html |title=भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र  |accessmonthday= |accessyear= |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (आधिकारिक वेबसाइट) |language=हिंदी }}</ref>
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1
+
==विरासत==
|माध्यमिक=
+
डॉ. भाभा ने मार्च 1944 में सर दोरबजी टाटा टस्ट से भारत में नाभिकीय अनुसंधान प्रारंभ करने के लिए संपर्क किया जिसके फलस्वरूप [[मुंबई]] में [[टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान]] की स्थापना की गई और इसका उद्घाटन [[19 दिसंबर]], [[1945]] को किया गया। [[15 अप्रैल]], [[1948]] को परमाणु ऊर्जा अधिनियम पारित किया गया और दिनांक [[10 अगस्त]] [[1948]] को परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना की गई। राष्ट्र के हित के लिए नाभिकीय ऊर्जा क उपयोग संबंधी अध्ययनों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से परमाणु खनिज प्रभाग द्वारा विरल खनिजों और यूरनियम निक्षेपों के विस्तृत सर्वेक्षण प्रारंभ किया गया एवं विरल मृदा यौगिकों तथा थोरियम यूरेनियम निक्षेपों के रासायनिक संसाधन और पुन: प्राप्ति हेतु दिनांक [[18 अगस्त]], [[1959]] को इंडियन रेयर अर्थ्स लिमिटेड की स्थापना की गई। परमाणु ऊर्जा आयोग द्वारा दिनांक [[3 जनवरी]], [[1954]] को परमाणु ऊर्जा संस्थान ट्रॉम्बे (ए ई ई टी) की शुरूआत की गई। दिनांक [[3 अगस्त]] [[1954]] से प्राकृतिक संसाधन एवं वैज्ञानिक अनुसंधान मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत परमाणु ऊर्जा आयोग को परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत लाया गया और डॉ. होमी भाभा भारत सरकार की ओर से विभाग के सचिव बने। परमाणु ऊर्जा विभाग सीधे [[प्रधानमंत्री]] [[पंडित जवाहरलाल नेहरू]] के नियंत्रणाधीन कार्यरत हुआ और तब से यह विभाग सीधे उत्तरोत्तर प्रधानमंत्रियों के नियंत्रण में ही रहा है। रिएक्टर अभिकल्पन एवं विकास, यंत्रीकरण, धातुकी एवं पदार्थ विज्ञान आदि के क्षेत्रों में कार्यरत सभी वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को उनके अपने कार्यक्रमों के साथ टीआइएफआर से एईईटी में स्थानांतरित किया गया जो नवनिर्मित परमाणु ऊर्जा संस्थान, ट्रॉम्बे का अहम् हिस्सा बने। टीआइएफआर एक पूर्ण रूप से नाभिकीय विज्ञान में मूलभूत अनुसंधान कार्य करने की संस्था हो गयी है।<ref name="barc"/>
|पूर्णता=
+
====राष्ट्र को समर्पित====
|शोध=
+
परमाणु ऊर्जा संस्थान, ट्रॉम्बे को औपचारिक रूप से तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा दिनांक [[20 जनवरी]], [[1957]] को राष्ट्र को समर्पित किया गया। उसके बाद प्रधानमंत्री [[इंदिरा गांधी]] ने एईईटी को पुनर्नामित कर दिनांक [[12 जनवरी]], [[1967]] को इसका नाम '''भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र''' रखा जो डॉ. होमी भाभा की दिनांक [[24 जनवरी]], [[1966]] को हवाई दुर्घटना में हुई मृत्यु के पश्चात् उनको हमारी विनम्र श्रद्धांजलि थी। परमाणु ऊर्जा संस्थान, ट्रॅम्बे ने विज्ञान जगत् में एक विशिष्ट नाभिकीय अनुसंधान संसथान के रूप में अपनी पहचान बना ली थी जहाँ नाभिकीय रिएक्टर अभिकल्पन एवं स्थापन, ईंधन संविरचन, नि:शेष ईंधन का रासायनिक संसाधन के क्षेत्रों में उच्च स्तरीय अनुसंधान एवं विकास कार्य जारी रहने के साथ-साथ चिकित्सा, कृषि एवं उद्योगों में रेडियोआइसोटोपों के अनुप्रयोग तकनीकों के विकास में पर्याप्त निपुणता प्राप्त की गई है। नाभिकीय भौतिकी, वर्णक्रमदर्शिकी, ठोस अवस्था भौतिकी, रसायन एवं जीवन विज्ञान, रिएक्टर इंजीनियरी, यंत्रीकरण, विकिरण संरक्षा एवं नाभिकीय चिकित्सा आदि के क्षेत्रों में मूलभूत एवं प्रगत अनुसंधान कार्य आदि तेज़ीसे चल रहे थे।<ref name="barc"/>
}}
+
==उद्देश्य==
 +
भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र द्वारा मूलभूत प्रयोगशाला बेंच स्केल अनुसंधान से लेकर संयंत्र प्रचालन तक व्यापक वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकी गतिविधियों तक व्यापक सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। इसकी कार्यात्मक गतिविधियों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी - पारंपरिक विचारों से लेकर नवोदित क्षेत्रों तक सभी विषय शामिल हैं। इस संस्था का मूल अधिदेश है - विद्युत उत्पादन तथा नाभिकीय ऊर्जा के शंतिमय प्रयोग हेतु आवश्यक सभी अनुसंधान एवं विकास सहायता प्रदान करना। इसमें पेरिफरल कंपोनेन्ट्स, कंप्यूटर जनित कार्यशील प्रतिरूपों को तैयार करना तथा अनुकारित रिएक्टर प्रचालन की अवस्था में उनका मूल्यांकन, एकीकरण, चयन एवं रिएक्टर प्रचालन, पर्यावरण के विपरीत परिस्थितियों में जोखिम हेतु पदार्थों और घटकों का परीक्षण, नए रिएक्टर ईंधन पदार्थों का विकास एवं जांच आदि शामिल हैं। इसके अतिरिक्त भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र द्वारा भुक्तशेष ईंधनों का रासायनिक संसाधन, नाभिकीय अपशिष्ट के सुरक्षित निपटान के साथ-साथ उद्योग चिकित्सा एवं कृषि के क्षेत्रों में नए आइसोटोप अनुप्रयोग प्रौद्योगिकियों का विकास आदि के लिए निपुणता प्रदान की जाती है। भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र में [[भौतिक विज्ञान|भौतिकी]], [[रसायन विज्ञान|रसायनिकी]] एवं जैविक विज्ञानों में प्रगत अनुसंधान कार्य को तीव्रता से आगे बढ़ाने का प्रयास जारी है ताकि देश को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाया जा सके।<ref name="barc"/>
 +
==विशेषताएं==
 +
भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र एक बहुमुखी संस्था है जहाँ स्वगृहे किये गये अनुसंधान के परिणामों को विकासशील स्तर तक स्थानांतरित कर अतंत: सफलतापूर्वक निदर्शनों के माध्यम से संबंधित क्षेत्रों तक पहुंचाया जाता है। प्रगत उपस्कर एवं यंत्र, सुचारू रूप से स्थापित प्रयोगशालाएं अनुकूल परिस्थिति तथा विज्ञान एवं इंजीनियरी के सभी क्षेत्रों से निपुणता की उपलब्धता भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र की विशेषताएं हैं जो देश को ज्ञान एवं विकास के नये क्षितिजों की ओर ले जाने हेतु प्रतिबद्ध हैं।<ref name="barc"/>
 +
 
 +
 
 +
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक3 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 +
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 +
<references/>
 +
==बाहरी कड़ियाँ==
 +
*[http://www.barc.gov.in/hindi/index.html आधिकारिक वेबसाइट]
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
{{महाराष्ट्र के पर्यटन स्थल}}
+
{{भारत में परमाणु ऊर्जा}}{{भारत के संस्थान}}{{महाराष्ट्र के पर्यटन स्थल}}
 
[[Category:महाराष्ट्र]][[Category:महाराष्ट्र_के_पर्यटन स्थल]][[Category:मुम्बई]]
 
[[Category:महाराष्ट्र]][[Category:महाराष्ट्र_के_पर्यटन स्थल]][[Category:मुम्बई]]
 +
[[Category:पर्यटन कोश]]
 +
[[Category:भारत में परमाणु ऊर्जा]]
 +
[[Category:भारत सरकार के संस्थान]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__
[[Category:पर्यटन कोश]]
+
__NOTOC__

08:21, 10 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण

भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र
भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र, मुम्बई
विवरण भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र मुम्बई शहर में स्थित है।
राज्य महाराष्ट्र
ज़िला मुम्बई
भौगोलिक स्थिति उत्तर- 19°00′28″, पूर्व- 72°55′07″
मार्ग स्थिति भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र छत्रपति शिवाजी टर्मिनस से लगभग 20 किमी की दूरी पर स्थित है।
कब जाएँ नवम्बर से मार्च
कैसे पहुँचें जलयान, हवाई जहाज़, रेल, बस आदि से पहुँचा जा सकता है।
हवाई अड्डा छ्त्रपति शिवाजी अंतर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र
रेलवे स्टेशन छत्रपति शिवाजी टर्मिनस
एस.टी.डी. कोड 022
ए.टी.एम लगभग सभी
Map-icon.gif गूगल मानचित्र
अन्य जानकारी प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा 20 जनवरी सन् 1957 को भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्रराष्ट्र को समर्पित किया गया।
बाहरी कड़ियाँ अधिकारिक वेबसाइट
अद्यतन‎

भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र महाराष्ट्र राज्य के मुम्बई शहर में स्थित है। यह भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग के अन्तर्गत नाभिकीय विज्ञान एवं अभियांत्रिकी एवं अन्य सम्बन्धित क्षेत्रों का बहु-विषयी नाभिकीय अनुसंधान केन्द्र है।

निर्माण

भारत का परमाणु कार्यक्रम डॉक्टर होमी जहाँगीर भाभा के नेतृत्व में आरम्भ हुआ। 3 जनवरी सन् 1953 को परमाणु ऊर्जा आयोग के द्वारा परमाणु ऊर्जा संस्थान के नाम से आरम्भ हुआ और तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा 20 जनवरी सन् 1957 को राष्ट्र को समर्पित किया गया। इसके बाद परमाणु ऊर्जा संस्थान को पुनर्निर्मित कर 12 जनवरी सन् 1967 को इसका नया नाम भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र किया गया, जो कि 24 जनवरी सन् 1966 में डा॰ भाभा की विमान दुर्घटना में आकस्मिक मृत्यु के लिये एक विनम्र श्रद्धांजलि थी।

संस्थापक

डॉ. होमी जहांगीर भाभा स्वप्नद्रष्टाथे जिन्होंने भारत के नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम की कल्पना की थी। उन्होंने मुटठीभर वैज्ञानिकों की सहायता से मार्च 1944 में भारत में नाभिकीय विज्ञान में अनुसंधान का कार्यक्रम प्रारंभ किया। उन्होंने नाभिकीय ऊर्जा की असीम क्षमता एवं उसकी विद्युत उत्पादन एवं सहायक क्षेत्रों में सफल प्रयोग की संभावना को पहचाना। डॉ. भाभा ने नाभिकीय विज्ञान एवं इंजीनियरी के क्षेत्र में स्वावलंबन प्राप्त करने के लक्ष्य से यह कार्य प्रारंभ किया और आज का परमाणु ऊर्जा विभाग जो विविध विज्ञान एवं इंजीनियरी के क्षेत्रों का समूह है, डॉ. भाभा की दूरदृष्टि का परिणाम है। डॉ. होमी जहांगीर भाभा ने परमाणु ऊर्जा विद्युत उत्पादन के लिए एक व्यवहार्य वैकल्पिक स्रोत में उच्च क्षमता को पहचानते हुए मार्च, 1944 में भारतीय नाभिकीय कार्यक्रम प्रारंभ किया। यह डॉ. भाभा की दूरदृष्टि ही थी जिसके कारण भारत में नाभिकीय अनुसंधान को उस समय प्रारंभ किया जब ओटो हान एवं फ्रिट्ज स्ट्रॅसमैन द्वारा नाभिकीय विखंड़न के चमत्कार की खोज की जा रही थी एवं तत्पश्चात् एन्रिको फर्मि व साथियों द्वारा अविच्छिन्न नाभिकीय श्रृंखला अभिक्रियाओं की व्यवहार्यता के बारे में रिपोर्ट किया गया। उस समय बाहरी विश्व को नाभिकीय विखंडन एवं अविच्छिन्न श्रृंखला अभिक्रिया की सूचना न के बराबर थी। परमाणु ऊर्जा पर आधारित विद्युत उत्पादन की कल्पना को कोई मान्यता देने के लिए तैयार नहीं था। डॉ. भाभा एक कुशल वैज्ञानिक और प्रतिबद्ध इंजीनियर होने के साथ-साथ एक समर्पित वास्तुशिल्पी, सतर्क नियोजक एवं निपुण कार्यकारी थे। वे ललित कला एवं संगीत के उत्कृष्ट प्रेमी और लोकोपकारी थे। डॉ. भाभा द्वारा भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के प्रति अपनाया गया सही मार्ग विश्व के बेहतरीन स्तरों में से एक है। परमाणु ऊर्जा विभाग के सदस्यों और सारे देश के लोग इस महान् वैज्ञानिक को नमन करते हैं और आने वाले वर्षों में भी उनके द्वारा चुने गए मार्ग पर चलने की पुन: प्रतिज्ञा करते हैं।[1]

विरासत

डॉ. भाभा ने मार्च 1944 में सर दोरबजी टाटा टस्ट से भारत में नाभिकीय अनुसंधान प्रारंभ करने के लिए संपर्क किया जिसके फलस्वरूप मुंबई में टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान की स्थापना की गई और इसका उद्घाटन 19 दिसंबर, 1945 को किया गया। 15 अप्रैल, 1948 को परमाणु ऊर्जा अधिनियम पारित किया गया और दिनांक 10 अगस्त 1948 को परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना की गई। राष्ट्र के हित के लिए नाभिकीय ऊर्जा क उपयोग संबंधी अध्ययनों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से परमाणु खनिज प्रभाग द्वारा विरल खनिजों और यूरनियम निक्षेपों के विस्तृत सर्वेक्षण प्रारंभ किया गया एवं विरल मृदा यौगिकों तथा थोरियम यूरेनियम निक्षेपों के रासायनिक संसाधन और पुन: प्राप्ति हेतु दिनांक 18 अगस्त, 1959 को इंडियन रेयर अर्थ्स लिमिटेड की स्थापना की गई। परमाणु ऊर्जा आयोग द्वारा दिनांक 3 जनवरी, 1954 को परमाणु ऊर्जा संस्थान ट्रॉम्बे (ए ई ई टी) की शुरूआत की गई। दिनांक 3 अगस्त 1954 से प्राकृतिक संसाधन एवं वैज्ञानिक अनुसंधान मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत परमाणु ऊर्जा आयोग को परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत लाया गया और डॉ. होमी भाभा भारत सरकार की ओर से विभाग के सचिव बने। परमाणु ऊर्जा विभाग सीधे प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के नियंत्रणाधीन कार्यरत हुआ और तब से यह विभाग सीधे उत्तरोत्तर प्रधानमंत्रियों के नियंत्रण में ही रहा है। रिएक्टर अभिकल्पन एवं विकास, यंत्रीकरण, धातुकी एवं पदार्थ विज्ञान आदि के क्षेत्रों में कार्यरत सभी वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को उनके अपने कार्यक्रमों के साथ टीआइएफआर से एईईटी में स्थानांतरित किया गया जो नवनिर्मित परमाणु ऊर्जा संस्थान, ट्रॉम्बे का अहम् हिस्सा बने। टीआइएफआर एक पूर्ण रूप से नाभिकीय विज्ञान में मूलभूत अनुसंधान कार्य करने की संस्था हो गयी है।[1]

राष्ट्र को समर्पित

परमाणु ऊर्जा संस्थान, ट्रॉम्बे को औपचारिक रूप से तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा दिनांक 20 जनवरी, 1957 को राष्ट्र को समर्पित किया गया। उसके बाद प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने एईईटी को पुनर्नामित कर दिनांक 12 जनवरी, 1967 को इसका नाम भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र रखा जो डॉ. होमी भाभा की दिनांक 24 जनवरी, 1966 को हवाई दुर्घटना में हुई मृत्यु के पश्चात् उनको हमारी विनम्र श्रद्धांजलि थी। परमाणु ऊर्जा संस्थान, ट्रॅम्बे ने विज्ञान जगत् में एक विशिष्ट नाभिकीय अनुसंधान संसथान के रूप में अपनी पहचान बना ली थी जहाँ नाभिकीय रिएक्टर अभिकल्पन एवं स्थापन, ईंधन संविरचन, नि:शेष ईंधन का रासायनिक संसाधन के क्षेत्रों में उच्च स्तरीय अनुसंधान एवं विकास कार्य जारी रहने के साथ-साथ चिकित्सा, कृषि एवं उद्योगों में रेडियोआइसोटोपों के अनुप्रयोग तकनीकों के विकास में पर्याप्त निपुणता प्राप्त की गई है। नाभिकीय भौतिकी, वर्णक्रमदर्शिकी, ठोस अवस्था भौतिकी, रसायन एवं जीवन विज्ञान, रिएक्टर इंजीनियरी, यंत्रीकरण, विकिरण संरक्षा एवं नाभिकीय चिकित्सा आदि के क्षेत्रों में मूलभूत एवं प्रगत अनुसंधान कार्य आदि तेज़ीसे चल रहे थे।[1]

उद्देश्य

भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र द्वारा मूलभूत प्रयोगशाला बेंच स्केल अनुसंधान से लेकर संयंत्र प्रचालन तक व्यापक वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकी गतिविधियों तक व्यापक सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। इसकी कार्यात्मक गतिविधियों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी - पारंपरिक विचारों से लेकर नवोदित क्षेत्रों तक सभी विषय शामिल हैं। इस संस्था का मूल अधिदेश है - विद्युत उत्पादन तथा नाभिकीय ऊर्जा के शंतिमय प्रयोग हेतु आवश्यक सभी अनुसंधान एवं विकास सहायता प्रदान करना। इसमें पेरिफरल कंपोनेन्ट्स, कंप्यूटर जनित कार्यशील प्रतिरूपों को तैयार करना तथा अनुकारित रिएक्टर प्रचालन की अवस्था में उनका मूल्यांकन, एकीकरण, चयन एवं रिएक्टर प्रचालन, पर्यावरण के विपरीत परिस्थितियों में जोखिम हेतु पदार्थों और घटकों का परीक्षण, नए रिएक्टर ईंधन पदार्थों का विकास एवं जांच आदि शामिल हैं। इसके अतिरिक्त भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र द्वारा भुक्तशेष ईंधनों का रासायनिक संसाधन, नाभिकीय अपशिष्ट के सुरक्षित निपटान के साथ-साथ उद्योग चिकित्सा एवं कृषि के क्षेत्रों में नए आइसोटोप अनुप्रयोग प्रौद्योगिकियों का विकास आदि के लिए निपुणता प्रदान की जाती है। भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र में भौतिकी, रसायनिकी एवं जैविक विज्ञानों में प्रगत अनुसंधान कार्य को तीव्रता से आगे बढ़ाने का प्रयास जारी है ताकि देश को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाया जा सके।[1]

विशेषताएं

भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र एक बहुमुखी संस्था है जहाँ स्वगृहे किये गये अनुसंधान के परिणामों को विकासशील स्तर तक स्थानांतरित कर अतंत: सफलतापूर्वक निदर्शनों के माध्यम से संबंधित क्षेत्रों तक पहुंचाया जाता है। प्रगत उपस्कर एवं यंत्र, सुचारू रूप से स्थापित प्रयोगशालाएं अनुकूल परिस्थिति तथा विज्ञान एवं इंजीनियरी के सभी क्षेत्रों से निपुणता की उपलब्धता भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र की विशेषताएं हैं जो देश को ज्ञान एवं विकास के नये क्षितिजों की ओर ले जाने हेतु प्रतिबद्ध हैं।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 1.3 1.4 भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (हिंदी) भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (आधिकारिक वेबसाइट)।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख