रवीश कुमार

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रवीश कुमार (अंग्रेज़ी: Ravish Kumar, जन्म- 5 दिसम्बर, 1974) भारतीय पत्रकार, लेखक और मीडिया हस्ती हैं। वह एनडीटीवी इंडिया के वरिष्ठ कार्यकारी संपादक हैं। वह चैनल के प्रमुख शो ”प्राइम टाइम”, ”हम लोग”, ”रवीश की रिपोर्ट” और ”देस की बात” सहित कई कार्यक्रमों की मेजबानी करते हैं। रवीश कुमार को दो बार सर्वश्रेष्ठ पत्रकार के लिए पत्रकारिता पुरस्कार में ”रामनाथ गोयनका उत्कृष्टता पुरस्कार” से सम्मानित किया गया है। साल 2019 में वह ”रेमन मैग्सेसे पुरस्कार” प्राप्त करने वाले पांचवें भारतीय पत्रकार बने। अक्सर तीखे सवाल पूछने के कारण रवीश कुमार सुर्खियों में रहते हैं।

परिचय

पत्रकार रवीश कुमार का जन्म 5 दिसम्बर, 1974 को बिहार के पूर्व चंपारन जिले के मोतीहारी के एक छोटे से गांव जितवारपूर में हुआ था। वह ब्राह्मण परिवार से संबंध रखते हैं। इनका पूरा नाम रवीश कुमार पाण्डेय है। इनकी शुरुआती पढ़ाई लोयोला हाई स्कूल, पटना से हुई। इसके बाद अपनी उच्च शिक्षा को प्राप्त करने के लिए रवीश कुमार को दिल्ली जाना पड़ा, जहां पर रवीश कुमार ने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद भारतीय जन संचार संस्थान से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर का डिप्लोमा प्राप्त किया।[1]

जब रवीश कुमार एम.फिल. कर रहे थे, तब इनकी मुलाकात नैना दास गुप्ता से हुई। दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगे और लगभग सात साल बाद दोनों ने विवाह कर लिया। इनके दो बेटियां हैं। नैना दास गुप्ता दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज में इतिहास की अध्यापिका हैं।

कॅरियर

रवीश कुमार ने अपना कॅरियर पत्रकारिता के क्षेत्र में बनाया है। इन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में बड़े ही निष्ठा और ईमानदारी से काम किया है। सामाजिक मुद्दों पर सवाल उठाना और लगातार गरीब और बेसहारा लोगों के जीवन को ऊंचा उठाने में लगे रहना, यह सब इतना आसान नहीं है; लेकिन रवीश कुमार इस बात की परवाह न करते हुए आगे बढ़ते रहे। रवीश कुमार ने कुछ जबरदस्त शो किये, जैसे- “रवीश की रिपोर्ट“, “प्राईम टाईम“ और “हम लोग“ है। इन शो को देखकर ऐसा लगता है कोई तो है जो कि देश के गरीब, बेसहारा लोगों की चिन्ता करता है। जिसे हो रहे देश के राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक और जातिगत अन्याय नजर आते हैं।

रवीश कुमार बिल्कुल लोकल अंदाज में रिपोर्टिंग करते हैं, जिसके कारण लोग इनसे बहुत जल्द ही जिड़ जाते हैं। इनकी भाषा शैली बहुत ही सीधे तरीके की होती है जिसके लिए हर कोई इनकी रिपोर्टिंग सुनने के लिए बेताब रहता है। रवीश कुमार के पास मुख्यतः अपने चर्चो में बेरोजगारी, किसानों की समस्या जैसे मुद्दे होते हैं।[1]

लेखन कार्य

रवीश कुमार द्वारा लिखी गयी कुछ किताबों के नाम इस प्रकार हैं-

  1. बोलना ही है : लोकतंत्र, संस्कृति और राष्ट्र के बारे में (हिंदी में)
  2. इश्क में शहर होना (हिंदी में)
  3. द फ्री वॉयस: ऑन डेमोक्रेसी, कल्चर एंड द नेशन
  4. देखते रहिये (हिंदी में)
  5. रवीशपंती (हिंदी में)
  6. प्यार में एक शहर होता है

पुरस्कार व सम्मान

  • रवीश कुमार को पत्रकारिता में उनके काम के लिए रेमन मैगसेसे पुरस्कार (2019) सहित विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।
  • वह हिंदी भाषा में प्रसारण श्रेणी के लिए 'पत्रकारिता पुरस्कार' (2017, 2013) में दो बार 'रामनाथ गोयनका उत्कृष्टता' प्राप्त कर चुके हैं।
  • पत्रकारिता के लिए 'गौरी लंकेश पुरस्कार', पहला 'कुलदीप नैयर पत्रकारिता पुरस्कार' (2017), हिंदी पत्रकारिता और रचनात्मक साहित्य के लिए 'गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार' (2010 के लिए, 2014 में सम्मानित)। [2]
  • उन्हें द इंडियन एक्सप्रेस द्वारा 100 सबसे प्रभावशाली भारतीय (2016) की सूची में शामिल किया गया था।
  • रवीश कुमार को मुंबई प्रेस क्लब द्वारा 'वर्ष का पत्रकार' भी नामित किया गया था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 रवीश कुमार जीवन परिचय, नेटवर्थ, परिवार (हिंदी) icdsupweb.org। अभिगमन तिथि: 23 सितंबर, 2021।
  2. रवीश कुमार का जीवन परिचय (हिंदी) shubhamsirohi.com। अभिगमन तिथि: 23 सितंबर, 2021।

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