प्रशास्ता

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मौर्य साम्राज्य के प्रशासन का स्वरूप केन्द्रीकृत था। 'अर्थशास्त्र' के आधार पर प्रशासन के सभी पहलूओं में राजा का विचार और आदेश सबसे ऊपर था।

  • चाणक्य के अनुसार- राजकीय आज्ञाओं पर शासन आश्रित होता है। सन्धि और विग्रह का मूल राजकीय आज्ञाएँ ही होती हैं। इन सब आज्ञाओं (राजशासन) को लिपिबद्ध करने के लिए एक पृथक् विभाग था, जिसके प्रधान अधिकारी को प्रशास्ता कहते थे।
  • राज्य के लिए सब विभागों का रिकार्ड रखना प्रशास्ता का काम था।
  • प्रशास्ता के अधीन जो विशाल कार्यालय होता था, उसे 'अक्षपटल' कहते थे।
  • राजकीय कर्मचारियों के वेतन, नौकरी की शर्तें, विविध देशों, जनपदों, ग्रामों, श्रेणियों आदि के धर्म, व्यवहार तथा चरित्र आदि का उल्लेख और खानों, कारखानों आदि के कार्य का हिसाब, ये सब अक्षपटल में भली-भाँति पंजीकृत किये जाते थे।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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