सूत्राध्यक्ष
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सूत्राध्यक्ष मौर्य साम्राज्य की जो शासन व्यवस्था थी, उसमें एक उच्च अधिकारी का पद था। शासन कार्य का भार मुख्यतः एक विशाल वर्ग पर था, जो साम्राज्य के विभिन्न भागों से शासन का संचालन करते थे।
- राज्य की ओर से अनेक व्यवसाय चलाये जाते थे। विधवा, विकलांग मनुष्य, अनाथ लड़की, भिखारी, राज्य के कैदी, वेश्याओं की वृद्ध माताएँ, वृद्ध राजदासी, देवदासी आदि के पालन-पोषण के लिए राज्य की ओर से उन्हें काम दिया जाता था। इन कार्यों में सूत कातना, कवच बनाना, कपड़ा बुनना और रस्सी बनाना मुख्य थे। इन सब कायों पर सूत्राध्यक्ष का नियंत्रण रहता था।
इन्हें भी देखें: मौर्यकालीन भारत, मौर्य काल का शासन प्रबंध, मौर्ययुगीन पुरातात्विक संस्कृति एवं मौर्यकालीन कला
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