"ऐसी मूढता या मन की -तुलसीदास" के अवतरणों में अंतर
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− | + | ऐसी मूढता या मन की। | |
परिहरि रामभगति-सुरसरिता, आस करत ओसकन की। | परिहरि रामभगति-सुरसरिता, आस करत ओसकन की। | ||
धूम समूह निरखि-चातक ज्यौं, तृषित जानि मति धन की। | धूम समूह निरखि-चातक ज्यौं, तृषित जानि मति धन की। | ||
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टूटत अति आतुर अहार बस, छति बिसारि आनन की। | टूटत अति आतुर अहार बस, छति बिसारि आनन की। | ||
कहं लौ कहौ कुचाल कृपानिधि, जानत हों गति मन की। | कहं लौ कहौ कुचाल कृपानिधि, जानत हों गति मन की। | ||
− | + | तुलसीदास प्रभु हरहु दुसह दुख, करहु लाज निज पन की। | |
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12:13, 23 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण
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ऐसी मूढता या मन की। |
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