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'''गोपालपुर''' [[जबलपुर ज़िला]], [[मध्य प्रदेश]] में स्थित एक [[ऐतिहासिक स्थान]] है। [[त्रिपुरी]] या वर्तमान तेवर के समीप इस स्थान पर [[कलचुरी वंश|कलचुरी]] कालीन विस्तृत [[खंडहर]] हैं।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=301|url=}}</ref>
 
'''गोपालपुर''' [[जबलपुर ज़िला]], [[मध्य प्रदेश]] में स्थित एक [[ऐतिहासिक स्थान]] है। [[त्रिपुरी]] या वर्तमान तेवर के समीप इस स्थान पर [[कलचुरी वंश|कलचुरी]] कालीन विस्तृत [[खंडहर]] हैं।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=301|url=}}</ref>
  
*यहाँ के खंडहरों में अनेक [[बौद्ध]] प्रतिमाएँ प्राप्त हुई हैं, जिनमें अवलोकितेश्वर, बोधिसत्व और तारा की मूर्तियाँ उल्लेखनीय हैं।
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*यहाँ के खंडहरों में अनेक [[बौद्ध]] प्रतिमाएँ प्राप्त हुई हैं, जिनमें [[अवलोकितेश्वर]], बोधिसत्व और तारा की मूर्तियाँ उल्लेखनीय हैं।
 
*अवलोकितेश्वर की मूर्ति मागध शैली में निर्मित है और इस पर 11वीं शती की मागधी लिपि में बौद्धों के मूलमंत्र "ये धर्म हेतु प्रभवा: हेतु स्तेषां तथागतौ" अंकित है।
 
*अवलोकितेश्वर की मूर्ति मागध शैली में निर्मित है और इस पर 11वीं शती की मागधी लिपि में बौद्धों के मूलमंत्र "ये धर्म हेतु प्रभवा: हेतु स्तेषां तथागतौ" अंकित है।
 
*ऐसा जान पड़ता है कि इस स्थान पर [[मध्य काल]] में [[वज्रयान|वज्रयानी]] बौद्धों का केन्द्र था।
 
*ऐसा जान पड़ता है कि इस स्थान पर [[मध्य काल]] में [[वज्रयान|वज्रयानी]] बौद्धों का केन्द्र था।

13:04, 29 अक्टूबर 2014 के समय का अवतरण

Disamb2.jpg गोपालपुर एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- गोपालपुर (बहुविकल्पी)

गोपालपुर जबलपुर ज़िला, मध्य प्रदेश में स्थित एक ऐतिहासिक स्थान है। त्रिपुरी या वर्तमान तेवर के समीप इस स्थान पर कलचुरी कालीन विस्तृत खंडहर हैं।[1]

  • यहाँ के खंडहरों में अनेक बौद्ध प्रतिमाएँ प्राप्त हुई हैं, जिनमें अवलोकितेश्वर, बोधिसत्व और तारा की मूर्तियाँ उल्लेखनीय हैं।
  • अवलोकितेश्वर की मूर्ति मागध शैली में निर्मित है और इस पर 11वीं शती की मागधी लिपि में बौद्धों के मूलमंत्र "ये धर्म हेतु प्रभवा: हेतु स्तेषां तथागतौ" अंकित है।
  • ऐसा जान पड़ता है कि इस स्थान पर मध्य काल में वज्रयानी बौद्धों का केन्द्र था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 301 |

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