अंतरराष्ट्रीय ताप मापक्रम

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अंतरराष्ट्रीय ताप मापक्रम का निर्धारण सन 1927 ई. में एक अंतरराष्ट्रीय कमेटी ने ऊष्मागतिकीय मापक्रम को क्रियात्मक रूप देने के लिए किया था। गैस तापमान में अनेक प्रयोगवर्ती कठिनाइयों के कारण ऐसे मापक्रम को निर्धारित करने की आवश्यकता हुई। यह हमारे वर्तमान ज्ञान की सीमा तक ऊष्मागतिकीय मापक्रम से एकदम मिलता है और साथ ही सरलता से और बारीकी से पुनर्स्थापनीय भी है।[1]

  • अंतरराष्ट्रीय ताप मापक्रम' के आधार अनेक पुनर्स्थापनीय बिंदु हैं, जिन्हें सांख्यिक मान दे दिए गए हैं और उनके बीच के तापों के लिए यह तय कर लिया गया है कि निम्नलिखित प्रकार से विभिन्न तापमापियों के पाठों को मानक रूप में स्वीकृति दी जाएगी-
  1. 0° सें. 660° सें. - मानक प्लैटिनम प्रतिरोध तापमापी, जिसे 0° , 100° और गंधक के क्वथनांक पर अंशित किया गया हो।
  2. 190° सें. से 0° सें. - प्लेटिनम प्रतिरोध तापमापी जिसके द्वारा ताप इस सूत्र से प्राप्त किया जाए-

जिसके नियतांक बर्फ, भाप, गंधक और ऑक्सीजन बिंदुओं पर अंशन द्वारा प्राप्त किए गए हों।

  1. 660° सें. से 1063° सें. - प्लैटिनम, प्लैटिनम रेडियम युग्म जिसमें ताप के लिए सूत्र होगा, जिसके नियतांक ऐंटीमनी के हिमांक तथा चाँदी और सोने के बिंदुओं से प्राप्त होंगे।
  2. 1063° सें. से ऊपर - प्रकाश उत्तापमापी[2] जिसे सोने का बिंदु पर अंशित किया जाए।

यह अंतरराष्ट्रीय मापक्रम ऊष्मागतिकीय मापक्रम के मानों को स्थानांतरित नहीं करता, अपितु व्यावहारिक क्षेत्र में अधिकांश कार्यों के लिए उसका पर्याप्त यथार्थता से प्रतिनिधित्व करता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अंतरराष्ट्रीय ताप मापक्रम (हिन्दी) भारतखोज। अभिगमन तिथि: 08 मार्च, 2015।
  2. ऑप्टिकल पीरोमीटर

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