ब्लैक होल

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ब्लैक होल

ब्लैक होल (अंग्रेज़ी: Black Hole) अंतरिक्ष में ऐसा क्षेत्र है, जिसके द्रव्यमान का घनत्व इतना बढ़ जाता है कि आस-पास का कोई भी पिंड उसके गुरुत्वाकर्षण से बच नहीं पाता, प्रकाश भी नहीं और इसलिए वह दिखाई नहीं देता।

  • जब किसी बड़े तारे का पूरा का पूरा ईंधन जल जाता है तो उसमें एक ज़बरदस्त विस्फोट होता है, जिसे सुपरनोवा कहते हैं।
  • विस्फोट के बाद जो पदार्थ बचता है, वह धीरे-धीरे सिमटना शुरू होता है और बहुत ही घने पिंड का रूप ले लेता है, जिसे न्यूट्रॉन स्टार कहते हैं।
  • अगर न्यूट्रॉन स्टार बहुत विशाल है तो गुरुत्वाकर्षण का दबाव इतना होगा कि वह अपने ही बोझ से सिमटता चला जाएगा और इतना घना हो जाएगा कि ब्लैक होल बन जाएगा और दिखाई नहीं देगा।
  • सवाल ये उठता है कि जब ब्लैक होल दिखाई ही नहीं देता तो ये कैसे कहा जा सकता है कि यह ब्लैक होल है। इसके कुछ प्रमाण हैं। एक तो जब भी कोई पिंड या पदार्थ ब्लैक होल के नज़दीक पहुंचता है तो उसकी तरफ़ खिंचता चला जाता है। इस प्रक्रिया में वह लाख़ों डिग्री के तापमान पर जलता है और फिर ग़ायब हो जाता है जो इस बात का प्रमाण है कि वह ब्लैक होल में समा गया।
  • एक और प्रमाण ये है कि जहां ब्लैक होल होता है, उसके गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र के आसपास मौजूद तारे उसका चक्कर लगाते रहते हैं। इनकी गति को देखकर खगोलज्ञ ब्लैक होल की स्थिति और उसके आकार का अनुमान लगा सकते हैं।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ब्लैक होल क्या होता है (हिंदी) bbc.com। अभिगमन तिथि: 06 अप्रॅल, 2018।

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