मेरी-तेरी निगाह में
जो लाख इंतज़ार हैं
जो मेरे-तेरे तन-बदन में
लाख दिलफ़िगार हैं
जो मेरी-तेरी उँगलियों की बेहिसी से
सब क़लम नज़ार हैं
जो मेरे-तेरे शहर में
हर इक गली में
मेरे-तेरे नक़्शेपा के बेनिशाँ मज़ार हैं
जो मेरी-तेरी रात के
सितारे ज़ख़्म-जख़्म हैं
जो मेरी-तेरी सुबह के
गुलाब चाक-चाक हैं
यह ज़ख़्म सारे बेदवा
यह चाक सारे बेरफ़ू
किसी पे राख चाँद की
किसी पे ओस की लहू
यह है भी या नहीं बता
यह है कि महज़ जाल है
मेरे-तुम्हारे अन्कबूते-वोम का बुना हुआ
जो है तो इसका क्या करें
नहीं है तो भी क्या करें
बता, बता
बता, बता