मौत अपनी, न अमलअपना, न जीना अपना
खो गया शोरिशे-गेतीमें क़रीना अपना
नाख़ुदा दूर, हवा तेज़, क़रीं कामे-निहंग
वक़्त है, फेंक दे लहरों में सफ़ीना अपना
अर्सा-ए-दह्र के हंगामे तहे ख़्वाब सही
गर्म रख आतिशे-पैकार से सीना अपना
साक़िया, रंज न कर, जाग उठेगी महफ़िल
और कुछ देर उठा रखते हैं पीना अपना
बेशक़ीमत हैं ये ग़महा-ए-मुहब्बत, मत भूल
जुल्मते-यास को मत सौंप ख़ज़ीना अपना