बात बस से निकल चली है दिल की हालत सँभल चली है अब जुनूँ हद से बढ़ चला है अब तबीयत बहल चली है अश्क़ ख़ूनाब हो चले हैं ग़म की रंगत बदल चली है या यूँ ही बुझ रही है शम्एँ या शबे-हिज़्र टल चली है लाख पैग़ाम हो गए हैं जब सबा एक पल चली है जाओ अब सो रहो सितारो दर्द की रात ढल चली है