रेग पैराहन का, ख़ुशबू जुल्फ़ लहराने का नाम
मौसमे गुल है तुम्हारे बाम पर आने का नाम
दोस्तो, उस चश्म-ओ-लब की कुछ कहो जिसके बग़ैर
गुलसिताँ की बात रंगीं है, न मैख़ाने का नाम
फिर नज़र में फूल महके, दिल में फिर शम्म'एँ जलीं
फिर तसव्वुर ने लिया उस बज़्म में जाने का नाम
मोहतसिब की ख़ैर ऊँचा है उसी के 'फ़ैज़' से
रिंद का, साक़ी का, मय का, ख़ुम का, पैमाने का नाम
'फ़ैज़' उनको है तक़ाज़ा-ए-वफ़ा हम से, जिन्हें
आशना के नाम से प्यारा है बेगाने का नाम।