रहगुज़र, साये, शजर, मंज़िल-ओ-दर, हल्क़ःए-बाम
बाम पर सीना-ए-महताब खुला आहिस्ता
जिस तरह खोले कोई बंदे-क़बा आहिस्ता
हल्क़ा-ए-बाम तले, सायों का ठहरा हुआ नील
नील की झील
झील में चुपके से तैरा किसी पत्ते का हुबाब
एक पल तैरा, चला, फूट गया आहिस्ता
बहुत आहिस्ता, बहुत हल्का, ख़ुनक रंगे-शराब
मेरे शीशे में ढला आहिस्ता
शीशा-ओ-जाम, सुराही, तेरे हाथों के गुलाब
जिस तरह दूर किसी ख़्वाब का नक़्श
आप ही आप बना और मिटा आहिस्ता
दिल ने दोहराया कोई हर्फ़े-वफ़ा आहिस्ता
तुमने कहा - 'आहिस्ता'
चाँद ने झुक के कहा
'और ज़रा आहिस्ता'