बेंच दी क्यों ज़िन्दगी दो चार आने के लिए एक दो लम्हा तो रखता मुस्कुराने के लिए दौड़कर दफ़्तर गये भागे वहाँ से घर गये लंच में फुर्सत नहीं है लंच खाने के लिए किसलिए किसके लिए टट्टू बने हो रात दिन आज भी रोया है बच्चा गोद आने के लिए गाँव में माँ बाप तुमको याद करते हैं बहुत वक़्त थोड़ा सा निकालो गाँव जाने के लिए कुछ समय घर के लिए भी अब निकालो दोस्तो दिन बहुत थोड़े बचे हैं घर बचाने के लिए
अशोक चक्रधर · आलोक धन्वा · अनिल जनविजय · उदय प्रकाश · कन्हैयालाल नंदन · कमलेश भट्ट कमल · गोपालदास नीरज · राजेश जोशी · मणि मधुकर · शरद जोशी · प्रसून जोशी · कुमार विश्वास · डॉ. तुलसीराम · रमाशंकर यादव 'विद्रोही' · बागेश्री चक्रधर