जितेंद्र

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
(जीतेंद्र से अनुप्रेषित)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
जितेंद्र
जितेंद्र
जितेंद्र
पूरा नाम जितेंद्र कपूर
प्रसिद्ध नाम जितेंद्र
अन्य नाम 'रवि कपूर', 'जंपिंग जैक'
जन्म 7 अप्रॅल, 1942
जन्म भूमि अमृतसर, पंजाब
अभिभावक पिता- अमरनाथ कपूर, माता- कृष्णा कपूर
पति/पत्नी शोभा कपूर
संतान एकता कपूर, तुषार कपूर
कर्म भूमि मुम्बई
कर्म-क्षेत्र भारतीय सिनेमा
मुख्य फ़िल्में 'धरमवीर', 'जानी दुश्मन', 'द बर्निंग ट्रेन', 'धर्मकांटा', 'जुदाई', 'मांग भरो सजना', 'एक ही भूल', 'मवाली', 'कारंवा', 'हिम्मतवाला', 'तोहफा', 'धर्माधिकार'।
पुरस्कार-उपाधि ज़ी सिने पुरस्कार (2012), लायंस गोल्ड पुरस्कार (2012), 18वाँ उजाला सिनेमा एक्सप्रेस पुरस्कार (1998)
विशेष योगदान जितेंद्र ने अपनी नृत्य छवि को प्रदर्शित करके भारतीय सिनेमा के नायकों को देवदास जैसी छवि से बाहर निकालकर एक मस्तमौला आकार दिया।
नागरिकता भारतीय
अद्यतन‎

जितेंद्र (अंग्रेज़ी: Jeetendra, जन्म- 7 अप्रॅल, 1942, अमृतसर, पंजाब) हिंदी सिनेमा के प्रसिद्ध अभिनेता, फ़िल्म निर्माता, बालाजी टेलीफ़िल्म्स, बालाजी मोशन पिक्चर्स और ए.एल.टी एंटरटेनमेंट के अध्यक्ष हैं। वह भारतीय सिनेमा में अपनी नृत्य कला के लिए जाने जाते हैं। उनका वास्तविक नाम रवि कपूर है। उन्होंने अपने फ़िल्मी कॅरियर की शुरुआत 1959 में प्रदर्शित वी. शांताराम की फ़िल्म ‘नवरंग’ से की, जिसमें उन्हें छोटी सी भूमिका निभाने का अवसर मिला। अपनी पहचान बनाने का अवसर उन्हें 1964 में वी. शांताराम की फ़िल्म 'गीत गाया पत्थरों ने' से मिला, जिसके बाद उन्हें और भी कई फ़िल्मों में काम करने के अवसर मिले। उन्होंने 250 से भी अधिक फ़िल्मों में काम किया।

परिचय

जितेंद्र का जन्म 7 अप्रॅल, 1942 को अमृतसर, पंजाब के एक जौहरी परिवार में हुआ था। उनके पिता अमरनाथ एवं माता कृष्णा कपूर गहनों के व्यवसाय के अलावा फ़िल्मों में प्रयुक्त होने वाले नकली जेवरों की सप्लाई भी किया करते थे, जिन्हें जितेंद्र विभिन्न फ़िल्मालयों पर जाकर बेचा करते थे। उनका रुझान बचपन से ही फ़िल्मों की ओर था, और वह अभिनेता बनना चाहते थे। वह अक्सर घर से भागकर फ़िल्म देखने चले जाते थे।[1]

विवाह

जितेंद्र जब अपनी पत्नी शोभा कपूर से मिले थे, तब वह केवल 14 वर्ष की थीं। उस समय वह अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करके कॉलेज में गयी थीं। जब वह ब्रिटिश एयरवेज में 'एयर होस्टेस' के रूप में कार्यरत थीं, उस वक्त जितेंद्र 1960-1966 के बीच खुद को एक अभिनेता के रूप में स्थापित करने के लिए संघर्ष कर रहे थे। शोभा जितेंद्र से विवाह करना चहती थीं। उनका ये सपना 1974 में पूरा हुआ। जितेंद्र की दो संतानें हैं, जिनके नाम हैं- एकता कपूर और तुषार कपूर। एकता और तुषार भी टेलीविजन के चर्चित सितारों में शामिल हैं।[2]

फ़िल्मी शुरुआत

वी. शांताराम की पारखी नज़र का ही कमाल था कि उन्होंने स्टूडियो-दर-स्टूडियो नकली जेवरों की सप्लाई करने वाले रवि कपूर (जितेंद्र) को हिंदी सिनेमा का 'जंपिंग जैक' जितेंद्र बना दिया। लेकिन नकली जेवर बेचने वाले जितेंद्र को असली अभिनेता बनाने के लिए वी. शांताराम को भी कुछ कम पापड़ नहीं बेलने पड़े। अपनी पहली फ़िल्म में एक डायलॉग को सही तरीके से बोलने के लिए जितेंद्र ने इतने रीटेक किए कि शांताराम जैसे शांत स्वभाव वाले निर्देशक भी अपना धीरज खो बैठे। 25 रीटेक के बाद भी जब जितेंद्र सही डायलॉग नहीं बोल पाए तो अंत में हार कर शांताराम ने ग़लत डायलॉग को ही ओके कर दिया और इस तरह जितेंद्र का भी सिनेमा में प्रवेश हो गया। जितेंद्र ने अपने फ़िल्मी कॅरियर की शुरुआत 1959 में प्रदर्शित फ़िल्म 'नवरंग' से की, जिसमें उन्हें छोटी सी भूमिका निभाने का अवसर मिला था।[1]

फ़िल्मी कॅरियर

एक दिन जितेंद्र फ़िल्मालय पहुंचे, जहां वी. शांताराम की फ़िल्म ‘नवरंग’ की शूटिंग चल रही थी। शांताराम की नज़र जब जितेंद्र पर पड़ी तो उन्होंने उनकी पढ़ाई के बारे में पूछताछ की। बातचीत के दौरान जितेंद्र ने शांताराम से फ़िल्मों में काम करने की अपनी इच्छा को जाहिर किया।

जितेंद्र

शांताराम जितेंद्र के पिता के मित्र थे, इसलिए ना कहकर उन्हें नाराज़ नहीं करना चाहते थे। उनकी इच्छा को देखते हुए शांताराम ने उन्हें 'नवरंग' में हिरोइन संध्या के साथ एक छोटी सी भूमिका दे दी। इस तरह भले ही जितेंद्र की शुरुआत हो गई लेकिन सही मायने में उन्हें 1964 में वी. शांताराम ने फ़िल्म 'गीत गाया पत्थरों ने' से ब्रेक दिया। इस फ़िल्म के बाद जितेंद्र अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गए। वर्ष 1967 में जितेंद्र की एक और सुपरहिट फ़िल्म 'फर्ज' प्रदर्शित हुई। रविकांत नगाइच द्वारा निर्देशित इस फ़िल्म में जितेंद्र ने नृत्य कलाकार की भूमिका निभाई। इस फ़िल्म के बाद जितेंद्र को 'जंपिंग जैक' कहा जाने लगा।


'फर्ज' की सफलता से नृत्य कलाकार के रूप में जितेंद्र की छवि बन गई। इस फ़िल्म के बाद निर्माता व निर्देशकों ने अधिकतर फ़िल्मों में उनकी नृत्य छवि को भुनाया। निर्माताओं ने जितेंद्र को एक ऐसे नायक के रूप में पेश किया जो नृत्य करने में सक्षम है। इन फ़िल्मों में 'हमजोली' और 'कारंवा' जैसी सुपरहिट फ़िल्में शामिल हैं। इस बीच जितेंद्र ने 'जीने की राह', 'दो भाई' और 'धरती कहे पुकार' के जैसी फ़िल्मों में हल्के-फुल्के रोल कर अपनी बहुआयामी प्रतिभा का परिचय दिया। चार दशक के लंबे कॅरियर में जितेंद्र ने 250 से भी अधिक फ़िल्मों मे अभिनय का जौहर दिखाया। बतौर अभिनेता सिनेमा में जितेंद्र का योगदान ये है कि उन्होंने सिनेमा के नायकों को देवदास जैसी छवि से बाहर निकालकर एक मस्तमौला आकार दिया।[1]

प्रेम सम्बंध

ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी और जितेंद्र क़रीब-क़रीब विवाह के बंधन में बंधने वाले थे। हेमा मालिनी और जितेंद्र एक समय विवाह करने वाले थे लेकिन कुछ वजहों से उनका विवाह नहीं हो सका। फ़िल्म 'दुल्हन' की शूटिंग के दौरान जितेंद्र, हेमा मालिनी को दिल दे बैठे। दोनों ने विवाह करने का फ़ैसला भी कर लिया था। जब इस बात की भनक जितेंद्र की मंगेतर और बचपन की दोस्त शोभा कपूर को लगी तो उन्होंने धर्मेंद्र को हेमा को समझाने की जिम्मेदारी सौंपी। 1974 में 'वारिस' और 'गहरी चाल' जैसी फ़िल्मों में साथ काम कर चुकी यह हिट जोड़ी फ़िल्म 'दुल्हन' के लिए शूटिंग कर रही थी। इस फ़िल्म की शूटिंग के समय दोनों एक-दूसरे के काफ़ी क़रीब आ गए और दोनों ने एक-दूसरे से अपने प्यार का इज़हार कर दिया।

हेमा मालिनी और जितेंद्र की प्रेम कहानी शुरू हुई एक दूसरी प्रेम कहानी की वजह से। अभिनेता संजीव कुमार हेमा मालिनी को पसंद करते थे और वह अपने दोस्त जितेंद्र से ड्रीम गर्ल के लिए अपने प्यार का इज़हार करने के लिए मदद ले रहे थे। हेमा मालिनी ने संजीव कुमार के प्रेम-प्रस्ताव को तो स्वीकार नहीं किया, लेकिन वह जितेंद्र के साथ प्यार में पड़ गईं। बात विवाह तक पहुँच गई। माना जाता है कि हेमा मालिनी विवाह से अंतिम समय पर पीछे हट गईं थी।[3]

प्रमुख फ़िल्म

हिंदी सिनेमा की कुछ उल्लेखनीय फ़िल्में- मेरे 'हुजूर', 'खिलौना', 'हमजोली', 'कारंवा', 'जैसे को तैसा', 'परिचय', 'खुशबू', 'किनारा', 'नागिन', 'धरमवीर', 'कर्मयोगी', 'जानी दुश्मन', 'द बर्निंग ट्रेन', 'धर्मकांटा', 'जुदाई', 'मांग भरो सजना', 'एक ही भूल', 'सौतन की बेटी', 'मवाली', 'जिस्टस चौधरी', 'हिम्मतवाला', 'तोहफा', 'धर्माधिकार', 'आशा', 'खुदगर्ज', 'आसमान से ऊंचा', 'मां' जैसी बेहतरीन फ़िल्में जितेंद्र के नाम हैं

जंपिंग जैक

वर्ष 1967 में रविकांत नगाइच द्वारा निर्देशित जितेंद्र की सुपरहिट फ़िल्म 'फर्ज' प्रदर्शित हुई। इस फ़िल्म में जितेंद्र ने नृत्य कलाकार की भूमिका निभाई। इस फ़िल्म के बाद जितेंद्र को 'जंपिंग जैक' कहा जाने लगा। डांसिंग स्टार की उनकी छवि को ही आगे चलकर मिथुन चक्रवर्ती और गोविंदा जैसे नायकों ने अपनी फ़िल्म में भुनाया और हिंदी सिनेमा में अपनी नृत्य भूमिका से लोगों के पसंदीदा बन गए।[1]

पुरस्कार और सम्मान

  1. 18वाँ उजाला सिनेमा एक्सप्रेस पुरस्कार- 1998
  2. लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड- 2000
  3. फ़िल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड- 2003
  4. भारतीय सिनेमा का दिग्गज- 2004 - अटलांटिक सिटी (संयुक्त राज्य अमेरिका)
  5. स्क्रीन लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड- 2005
  6. ज़ी सिने पुरस्कार - लाइफटाइम अचीवमेंट के लिए- 2012
  7. लायंस गोल्ड पुरस्कार - 2012 - सबसे सदाबहार रोमांटिक हीरो
पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख