नासिका ऊपर भौँहन के मधि कुँकुम बिँदु मृगंमद को कनु । पूँछ ते पँख पसारि उड़्यो मुख ओर खगा लखि मोतिन को गनु । देव कै नैन लुलान पला धरि भाग सुहाग के ताल तटी तनु । नारि हिये त्रिपुरारि बँध्यो लखि हारि के मैन उतारि धयो धनु ।