पंकज उदास

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पंकज उदास
पंकज उदास
पंकज उदास
पूरा नाम पंकज उदास
जन्म 17 मई, 1951
जन्म भूमि जेतपुर, गुजरात
मृत्यु 26 फरवरी, 2024
मृत्यु स्थान मुम्बई, महाराष्ट्र
अभिभावक माता- जितुबेन उदास

पिता- केशुभाई उदास

पति/पत्नी फ़रीदा उदास
संतान दो पुत्री- रेवा उदास, नायाब उदास
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र गायन
मुख्य फ़िल्में साजन, मोहरा, नाम, दयावान आदि।
पुरस्कार-उपाधि पद्म श्री, 2006

महाराष्ट्र गौरव पुरस्कार

प्रसिद्धि ग़ज़ल व फ़िल्मी पार्श्वगायक
नागरिकता भारतीय
सक्रिय वर्ष 1980–2024
अन्य जानकारी पंकज उदास के दो बड़े भाई हैं- मनहर उदास और निर्मल उदास, जो प्रसिद्ध गायक भी हैं। उनके दादा अपने गाँव के पहले स्नातक थे और भावनगर राज्य के राजस्व मंत्री बने थे।

पंकज उदास (अंग्रेज़ी: Pankaj Udhas, जन्म- 17 मई, 1951; मृत्यु- 26 फरवरी, 2024) प्रसिद्ध भारतीय ग़ज़ल और पार्श्वगायक थे जो हिंदी सिनेमा और भारतीय पॉप में अपने काम के लिए जाने जाते थे। उन्होंने अपने कॅरियर की शुरुआत साल 1980 में 'आहट' नामक एक ग़ज़ल एल्बम की रिलीज़ के साथ की। पद्म श्री पंकज उदास हिंदुस्तानी संगीत में ग़ज़ल की वो आवाज रहे, जिन्होंने ग़ज़ल को जटिल परंपरा से बाहर निकाल कर उसे हर आदमी तक पहुंचाया।

पंकज उदास ने न केवल गली-मोहल्लों, चौक-चौराहों, छोटी जगह के लोगों के दिलों को ग़ज़ल के सुकून से परिचित कराया, बल्कि आम आदमी के दुख-दर्द को पहचानने वाली आवाज भी बने। एक दौर था जब 'चिट्ठी आई है' जैसी ग़ज़ल गाकर पंकज उदास ने बेशुमार लोकप्रियता कमाई और वे उस दौर में रेडियो के माध्यम से हर घर में गूंजने वाली आवाज बन गए। पंकज उदास देश-परदेस में रहने वाले और अपने देश को छोड़कर काम काज करने वाले व्यक्ति के दर्द की आवाज थे।

परिचय

पंकज उदास का जन्म 17 मई, 1951 को जेतपुर, गुजरात में हुआ था। वह हिन्दू जमींदार परिवार से ताल्लुक रखते थे। पंकज उदास के पिता का नाम केशुभाई उदास था, जो एक सरकारी कर्मचारी और खिलाड़ी थे। माता का नाम जितुबेन उदास था। पंकज उदास के दो बड़े भाई हैं- मनहर उदास और निर्मल उदास, जो प्रसिद्ध गायक भी हैं। उनके दादा अपने गाँव के पहले स्नातक थे और भावनगर राज्य के राजस्व मंत्री बने थे।[1] पंकज सेंट जेवियर्स कॉलेज में पढ़ने के लिए मुंबई चले गए थे और नवरंग नागपुरकर से हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत सीखा।

विवाह

पंकज उदास ने 11 फरवरी, 1982 के दिन फरीदा से शादी रचाई थी। दोनों की यह लव मैरिज थी। फरीदा एक एयरहोस्टेस थीं और पारंपरिक पारसी परिवार से ताल्लुक रखती थीं। यह 70 के दशक की बात है। दोनों की मुलाकात पंकज उदास के एक पड़ोसी ने करवाई थी। पंकज उदास और फरीदा का धर्म अलग होने के कारण दोनों ने शादी करने के लिए काफी मुसीबतों का सामना किया था। पंकज उदास और फरीदा दोनों परिवार की रजामंदी से शादी करना चाहते थे, लेकिन धर्म अलग होने के कारण दोनों के घरवाले इस शादी के खिलाफ थे। आखिर में उनके प्यार के आगे परिवार की हार हुई और दोनों के परिवार ने शादी करने की अनुमति दे दी।

संतान

पंकज उदास और फरीदा की दो बेटियां हैं। बड़ी बेटी का नाम है- रेवा उदास और छोटी बेटी का नाम है- नायाब उदास।

कॅरियर

सन 1979 मे, पंकज उदास ने फिल्म 'हम तुम और वो' के लिए प्लेबैक के रूप में अपने कॅरियर की शुरुआत की। उन्होंने 'साथ-साथ' (1982), 'उत्सव' (1984) और 'प्रेम प्रतिज्ञा' (1989) जैसी कई अन्य फिल्मों के लिए गाना गाया। हालांकि, 1984 में उनके पहले सोलो एल्बम 'आहट' की रिलीज के साथ ही उन्हें ग़ज़ल गायक के रूप में बड़ी पहचान मिली। अपने कॅरियर के दौरान उन्होंने 60 से अधिक एल्बम जारी किए। उन्होंने जगजीत सिंह, आशा भोंसले, लता मंगेशकर और अनूप जलोटा जैसे कई अन्य कलाकारों के साथ भी काम किया। उनके गाने कई फिल्मों और टेलीविजन शो में दिखाए गए हैं।

पंकज उदास की सुरीली आवाज, ग़ज़ल, कविता की गहरी समझ के साथ, श्रोताओं के बीच गहराई से गूंजती रही। वह ग़ज़लों को मुख्य धारा में लाने में अग्रणी बन गए, जिससे ये शैली के पारखी लोगों से परे व्यापक दर्शकों के लिए सुलभ हो गईं। फिल्म 'नाम' (1986) के गाने 'चिठ्ठी आई है' और 'आ गले लग जा' जैसे गीतों ने उन्हें एक घरेलू नाम के रूप में स्थापित किया, जिससे भारत के प्रमुख ग़ज़ल गायकों में से एक के रूप में बड़े स्तर पर उनकी पहचान बनी। अपनी संगीत प्रतिभा के अलावा, पंकज उदास अपने विनम्र और व्यावहारिक व्यक्तित्व के लिए जाने जाते थे। पंकज उदास की आवाज हर जगह ग़ज़ल प्रेमियों के दिलों में हमेशा के लिए बस गई थी।[2] 'चिट्ठी आई है' से मिली पहचान== पंकज उदास ने कभी नहीं सोचा था कि वो अपना कॅरियर गायन में बनाएंगे। भारत और चीन के बीच युद्ध के दौरान लता मंगेशकर का ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ गाना रिलीज हुआ था। पंकज को ये गाना बहुत पसंद आया। उन्होंने बिना किसी की मदद से इस गाने को उसी लय और सुर के साथ तैयार किया। पंकज ने ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ गाना गया। उनके इस गीत से दर्शकों की आंखें नम हो गईं। उन्हें खूब वाहवाही भी मिली। दर्शकों में से एक आदमी ने खड़े होकर उनके लिए ताली बजाई और इनाम में उन्हें 51 रुपए दिए। ये उनका पहला इनाम था।

पंकज उदास अपने भाईयों के जैसे ही बाॅलीवुड में जगह बनाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने 4 साल का लंबा संघर्ष किया। इसी दौरान उन्हें कोई बड़ा काम नहीं मिला। उन्होंने फिल्म ‘कामना’ में अपने एक गाने को आवाज दी थी, लेकिन वो फिल्म फ्लॉप हो गई। जिस वजह से उन्हें भी कोई खास पॉपुलैरिटी नहीं मिली। काम नहीं मिलने से दु:खी होकर उन्होंने विदेश जाकर रहने का फैसला किया। आरंभ में पंकज ने फिल्म 'नाम' में काम करने के लिए मना कर दिया था। भाई मनहर उदास के समझाने पर उन्होंने राजेन्द्र कुमार के असिस्टेंट के साथ काम किया। उन्होंने फिल्म ‘नाम’ में काम किया और ग़ज़ल ‘चिट्ठी आई है’ को अपनी आवाज दी। ये ग़ज़ल उनके कॅरियर के बेहतरीन ग़ज़लों में से एक है। इस ग़ज़ल की ऐडिटिंग डेविड धवन ने की थी। राज कपूर ने ‘चिट्ठी आई है’ ग़ज़ल को सुना तो वो रो पड़े थे।[3]

प्रसिद्ध गीत

पंकज उदास

पंकज उदास के लोकप्रिय गीतों की सूची इस प्रकार है, जिसमें फिल्मी और गैर-फिल्मी ग़ज़लें और गीत शामिल हैं-[1]

  1. चिट्ठी आई है, फ़िल्म 'नाम' (1986)
  2. निकलो ना बेनकाब, ज़माना खराब है
  3. और आहिस्ता कीजिए बातें
  4. चांदी जैसा रंग है तेरा
  5. फिर हाथ में गिलास है, सच बोलता हूं मैं
  6. जीयें तो जीयें कैसे, बिन आपके के, फ़िल्म 'साजन' (1991)
  7. ना कजरे की धार, ना मोतियों के हार, फ़िल्म 'मोहरा' (1994)
  8. आज फिर तुम पे प्यार आया है, फ़िल्म 'दयावान' (1988)
  9. मैं दीवाना हूं मुझे, फ़िल्म 'ये दिल्लगी' (1994)
  10. आदमी खिलोना है, फ़िल्म 'आदमी खिलोना है' (1993)
  11. एक तरफ़ उसका घर, एक तरफ़ मयकदा

पुरस्कार व सम्मान

2013 - पंकज उदास को 2013 में 'ऑल इंडिया गालिब अकादमी' द्वारा 'गालिब पुरस्कार' से सम्मानित किया गया था।[2]
2006 - ग़ज़ल गायन की कला में उनके योगदान के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया। उनके ग़ज़ल गायन के 25 वर्ष पूरे होने के अवसर पर कैंसर रोगियों और थैलेसीमिक बच्चों के लिए उनके महान योगदान के लिए उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया।
2006 - 'हसरत' के लिए' 2005 का 'बेस्ट ग़ज़ल एल्बम' के रूप में कोलकाता में प्रतिष्ठित 'कलाकार पुरस्कार' से सम्मानित किया गया।
2004 - प्रतिष्ठित स्थल पर प्रदर्शन के 20 साल पूरे होने पर वेम्बली कॉन्फ्रेंस सेंटर, लंदन में विशेष अभिनंदन।
2003 - सफल एल्बम 'इन सर्च ऑफ मीर' के लिए एमटीवी इमीज अवार्ड।
2003 - दुनिया भर में ग़ज़लों को लोकप्रिय बनाने के लिए बॉलीवुड म्यूजिक अवार्ड, न्यूयॉर्क में विशेष उपलब्धि पुरस्कार।
2003 - ग़ज़ल और संगीत की दुनिया में योगदान के लिए 'दादाभाई नौरोजी इंटरनेशनल सोसाइटी' द्वारा 'दादाभाई नौरोजी मिलेनियम पुरस्कार' प्रदान किया गया।
2002 - मुंबई में सहयोग फाउंडेशन ने संगीत के क्षेत्र में श्रेष्ठता के लिए पुरस्कार प्रदान किया।
2002 - इंडो-अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा सम्मानित।
2001 - ग़ज़ल सिंगर के रूप में आउटस्टैंडिंग परफॉर्मेंस के लिए रोटरी क्लब ऑफ मुंबई डाउनटाउन ने वोकेशनल रिकॉग्निशन अवार्ड से नवाजा।
2001 - ग़ज़ल सिंगगिंग के लिए 'संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार भी जीता।
1999 - भारतीय संगीत, विशेष रूप से भारत और विदेशों में ग़ज़लों को बढ़ावा देने के लिए असाधारण सेवाओं के लिए भारतीय विद्या भवन, यूएसए पुरस्कार।
1998 - जर्सी सिटी के मेयर द्वारा 'भारतीय कला पुरस्कार समारोह' प्रस्तुत किया गया।
1998 - अटलांटिक सिटी में अमेरिकन एकेडमी ऑफ आर्टिस्ट्स द्वारा आउटस्टैंडिंग आर्टिस्टिक अचीवमेंट अवॉर्ड दिया गया।
1996 - संगीत में आउटस्टैंडिंग सर्विसेस, अचीवमेंट्स और योगदान के लिए 'इंदिरा गांधी प्रियदर्शनी पुरस्कार'।
1994 - लब्बॉक टेक्सास, अमेरिका की मानद नागरिकता।
1994 - आउटस्टैंडिंग अचीवमेंट और रेडियो की आधिकारिक हिट परेड में परफॉर्म किए गए कई गानों के लिए रेडियो लोटस अवार्ड। डरबन विश्वविद्यालय में रेडियो लोटस, दक्षिण अफ्रीका द्वारा प्रस्तुत किया गया।
1993 - संगीत के क्षेत्र में एक्स्ट्राऑर्डिनरी एफर्ट्स अचीव करने के लिए जाइंट्स इंटरनेशनल अवार्ड, जिससे पूरे कम्यूनिटी को उत्कृष्टता हासिल करने के लिए प्रेरणा मिली।
1990 - पॉजिटिव लीडरशिप और राष्ट्र को प्रदान की गई विशिष्ट सेवाओं के लिए आउटस्टैंडिंग यंग पर्सन्स अवॉर्ड (1989-1990)।
1990 - पंकज उदास ने फ़िल्म 'नाम' के गाने 'चिट्ठी आई है' के लिए बेस्ट मेल प्लेबैक सिंगर का फिल्मफेयर पुरस्कार जीता।
1985 - साल का बेस्ट ग़ज़ल सिंगर होने के लिए 'के एल सहगल पुरस्कार' मिला।

मृत्यु

मशहूर ग़ज़ल गायक पंकज उदास का 26 फ़रवरी, 2024 को 72 वर्ष की उम्र में निधन हुआ। वह कई दिनों से लगातार बीमार चल रहे थे। एक रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने मुंबई के ब्रीच कैंडी हाॅस्पिटल में 26 फ़रवरी की सुबह 11 बजे अंतिम सांस ली।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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