मैथिल ब्राह्मण
मैथिल ब्राह्मणों का नाम मिथिला के नाम पर पड़ा है। मिथिला भारत का प्राचीन प्रदेश है। उसमें तिरहुत, सारन तथा पूर्णिया के आधुनिक ज़िलों का एक बड़ा भाग और नेपाल से सटे प्रदेशों के भाग भी शामिल हैं।[1]
उपशाखाएँ
मैथिल ब्राह्मणों की निम्नलिखित उप-शाखाएं हैं-
- ओझा
- ठाकुर
- मिश्रा
- पुरा
- श्रोत्रिय
- भूमिहार
- मिश्राओं की भी निम्नलिखित उप-शाखाएं हैं-
- चंधारी
- राय
- परिहस्त
- खान
- कुमर
ब्रजस्थ मैथिल ब्राह्मण
ब्रजस्थ मैथिल ब्राह्मण वे ब्राह्मण हैं, जो ग़यासुद्दीन तुग़लक़ से लेकर मुग़ल बादशाह अकबर के शासन काल तक तिरहुत (मिथिला) से तत्कलीन भारत की राजधानी आगरा में बसे तथा समयोपरान्त केन्द्रीय ब्रज के तीन ज़िलों में बादशाह औरंगज़ेब के कुशासन से प्रताड़ित होकर बस गये। ब्रज में पाये जाने वाले मैथिल ब्राह्मण उसी समय से ब्रज मे प्रवास कर रहे हैं, जो कि मिथिला के गणमान्य विद्वानों द्वारा शोधोपरान्त 'ब्रजस्थ मैथिल ब्राह्मणों' के नाम से ज्ञात हुए। ये ब्राह्मण ब्रज के आगरा, अलीगढ़, मथुरा और नवनिर्मित ज़िलों हाथरस व कांशीरामनगर में प्रमुख रुप से रहते हैं। यहाँ से भी प्रवासित होकर यह दिल्ली, अजमेर, जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, बड़ौदा, दाहौद, लखनऊ, कानपुर आदि स्थानों पर रह रहे हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ जातिप्रथा का अभिशाप, भीमराव अम्बेडकर (हिन्दी) हिन्दी समय। अभिगमन तिथि: 21 अगस्त, 2014।