सावरा जाति

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सावरा जाति पूर्वी भारत की एक जनजाति है। इस जाति के लोगों को 'साओरा', 'सोरा' या 'सौरा' भी कहा जाता है। यह मुख्यत: उड़ीसा, मध्य प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश तथा बिहार में पाई जाती है। इनकी कुल संख्या 3,10,000 के लगभग है, जिनमें से अधिकांश उड़ीसा में है।

  • सावरा जाति के लोग बहुत कम वस्त्र अपने शरीर पर धारण करते हैं।
  • अधिकांश सावरा लोगों ने अब हिन्दू धर्म अपना लिया है, और सामान्यत: ये उड़िया भाषा बोलते हैं।
  • इसके विपरीत पहाड़ियों पर रहने वाले लोगों में मुंडा बोली का परम्परागत स्वरूप बना हुआ है।
  • पहाड़ी अंचल के सावरा लोग व्यवसायों के आधार पर कुछ उपजनजातियों में विभाजित हैं।
  • ‘जाति’ नामक सावरा कृषक हैं, ‘आरसी’ बुनकर हैं, ‘मूली’ लुहार हैं, ‘किंडाल’ टोकरी बनाने वाले और ‘कुंबी’ कुम्हार हैं।
  • इनकी परम्परागत सामाजिक इकाई परिवार का ही एक विस्तृत रूप है, जिसमें पुरुष और स्त्रियाँ, दोनों एक ही पूर्वज के वंशज हैं।
  • सावरा जाति में स्त्रियों के अधिकतर आभूषण सस्ती धातुओं के बने होते हैं।
  • ये लोग वनों से प्राप्त घुँघचियों की माला पहनते हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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