भुजंगासन (अंग्रेज़ी: Bhujangasana or Cobra Pose) सूर्य नमस्कार के 12 आसनों में से 8वां है। भुजंगासन को 'सर्पासन', 'कोबरा आसन' या 'सर्प मुद्रासन' भी कहा जाता है। इस मुद्रा में शरीर सांप की आकृति बनाता है। ये आसन जमीन पर लेटकर और पीठ को मोड़कर किया जाता है। जबकि सिर सांप के उठे हुए फन की मुद्रा में होता है। भुजंगासन फन उठाए हुएँ साँप की भाँति प्रतीत होता है, इसलिए इस आसन का नाम भुजंगासन है। यह छाती और कमर की मांसपेशियों को लचीला बनाता है और कमर में आये किसी भी तनाव को दूर करता है। मेरुदंड से सम्बंधित रोगियों को अवश्य ही भुजंगासन बहुत लाभकारी साबित होगा। स्त्रियों में यह गर्भाशय में रक्त के दौरे को नियंत्रित करने में सहायता करता है। गुर्दे से संबंधित रोगी हो या पेट से संभंधित कोई भी परेशानी, ये आसान-सा आसन सभी समस्याओं का हल है।
विधि
- ज़मीन पर पेट के बल लेट जाएँ, पादांगुली और मस्तक ज़मीन पे सीधा रखें।
- पैर एकदम सीधे रखें, पाँव और एड़ियों को भी एक साथ रखें।
- दोनों हाथ, दोनों कंधो के बराबर नीचें रखे तथा दोनों कोहनियों को शरीर के समीप और समानान्तर रखें।
- दीर्घ श्वास लेते हुए, धीरे से मस्तक, फिर छाती और बाद में पेट को उठाएँ। नाभि को ज़मीन पे ही रखें।
- अब शरीर को ऊपर उठाते हुए, दोनों हाथों का सहारा लेकर, कमर के पीछे की ओर खीचें।
- दोनों बाजुओं पे एक समान भार बनाए रखें।
- सजगता से श्वास लेते हुए, रीड़ के जोड़ को धीरे-धीरे और भी अधिक मोड़ते हुए दोनों हाथों को सीधा करें; गर्दन उठाते हुए ऊपर की ओर देखें।
- अपने कंधों को शिथिल रखेंl आवश्यकता हो तो कोहनियों को मोड़ भी सकते हैं। यथा अवकाश अभ्यास ज़ारी रखते हुए, कोहनियों को सीधा रखकर पीठ को और ज़्यादा वक्रता देना सीख सकते हैं।
- ध्यान रखें कि आपके पैर अभी तक सीधे ही हैं। हल्की मुस्कान बनाये रखें, दीर्घ श्वास लेते रहें।
- अपनी क्षमतानुसार ही शरीर को तानें, बहुत ज़्यादा मोड़ना हानिप्रद हो सकता है।
- श्वास छोड़ते हुए प्रथमत: पेट, फिर छाती और बाद में सिर को धीरे से वापस ज़मीन ले आयें।
सावधानियाँ
- सबसे महत्वपूर्ण बात, भुजंगासन या फिर योग का कोई और अन्य आसन हो तो उसे अपनी क्षमता के अनुसार ही करना चाहिए।
- यदि इस आसन को करते वक्त पेट दर्द या शरीर के किसी अन्य शरीर में अधिक दर्द हो तो इस आसन को ना करे।
- जिस व्यक्ति को पेट के घाव या आंत की बीमारी है, वो इस आसन को करने से पहले चिकित्सक से सलाह ले।
- इस आसन का अभ्यास करते वक्त पीछे की तरफ ज्यादा ना झुकें। इससे माँस-पेशियों में खिंचाव आ सकता है जिसके चलते बाँहों और कंधों में दर्द पैदा होने की संभावना बढ़ती है।
लाभ
- कंधे और गर्दन को तनाव से मुक्त कराना।
- पेट के स्नायुओं को मज़बूत बनाना।
- संपूर्ण पीठ और कंधों को पुष्ट करना।
- रीढ़ की हड्डी का ऊपर वाला और मंझला हिस्सा ज़्यादा लचीला बनाना।
- थकान और तनाव से मुक्ति पाना।
- अस्थमा तथा अन्य श्वास प्रश्वास संबंधी रोगों के लिए अति लाभदायक (जब अस्थमा का दौरा जारी हो तो इस आसन का प्रयोग ना करें)।
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