यदुनाथ सरकार
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पूरा नाम | यदुनाथ सरकार |
जन्म | 10 दिसम्बर, 1870 |
जन्म भूमि | राजशाही ज़िला, वर्तमान बांग्लादेश |
मृत्यु | 15 मई, 1958 |
मृत्यु स्थान | कलकत्ता (अब कोलकाता) |
पति/पत्नी | कादम्बिनी, लेडी सरकार |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | इतिहासकार, प्राचार्य |
मुख्य रचनाएँ | 'इंडिया ऑफ़ औरंगज़ेब', 'हिस्ट्री ऑफ़ औरंगज़ेब', 'शिवाजी एंड हिज टाइम', 'नादिरशाह इन इंडिया', 'हाउस ऑफ़ शिवाजी' आदि। |
विषय | इतिहास |
विद्यालय | प्रेसिडेंसी कॉलेज, कोलकाता |
शिक्षा | एम.ए. (अंग्रेज़ी साहित्य) |
प्रसिद्धि | इतिहासवेत्ता |
विशेष योगदान | मुग़ल और मराठा इतिहास पर कई ग्रन्थ लिखे, इन ग्रन्थों की प्रमाणिक सामग्री ने इन्हें ख्यातिप्राप्त इतिहासकार बना दिया। |
इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
यदुनाथ अथवा जदुनाथ सरकार (अंग्रेज़ी: Jadunath Sarkar, जन्म- 10 दिसम्बर, 1870 ई.; मृत्यु- 15 मई, 1958 ई.) को एक प्रसिद्ध इतिहासकार के रूप में जाना जाता है। ये ज़मींदार परिवार से सम्बन्ध रखते थे। इन्होंने 1892 में अंग्रेज़ी साहित्य में एम.ए. की परीक्षा पास की और जीवन का अधिकांश समय ग्रन्थों के अध्ययन और लेखन में व्यतीत किया। इतिहास और अंग्रेज़ी के प्रोफ़ेसर के रूप में भी इन्होंने अपनी विशिष्ट सेवाएँ प्रदान की थीं। यदुनाथ सरकार ने मुग़ल और मराठा इतिहास पर कई ग्रन्थ लिखे, इन ग्रन्थों की प्रमाणिक सामग्री ने इन्हें ख्यातिप्राप्त इतिहासकार बना दिया।
जन्म तथा शिक्षा
प्रसिद्ध इतिहासवेत्ता यदुनाथ सरकार का जन्म 10 दिसम्बर, 1870 ई. को राजशाही ज़िला, बांग्ला देश, के करछमरिया गांव में एक सम्पन्न ज़मींदार कायस्थ परिवार में हुआ था। 1892 में प्रेसिडेंसी कॉलेज, कोलकाता से 90 प्रतिशत अंक प्राप्त करके उन्होंने अंग्रेज़ी साहित्य में एम.ए. की परीक्षा पास की। यदुनाथ सरकार ने अपना सम्पूर्ण जीवन अध्यापन और ग्रन्थों की रचना में व्यतीत किया। कुछ समय तक रिपन कॉलेज और विद्यासागर कॉलेज में अंग्रेज़ी के अध्यापक रहने के बाद वे बंगाल प्रान्तीय शिक्षा सेवा में चुन लिये गए।
अध्यापन कार्य
इसके बाद उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय, पटना विश्वविद्यालय और उत्कल विश्वविद्यालयों में इतिहास और अंग्रेज़ी के प्रोफ़ेसर के पद पर काम किया। पटना में वे 1902 से 1917 तथा 1923 से 1926 तक रहे। 1917 में उनकी नियुक्ति 'काशी हिन्दू विश्वविद्यालय' में इतिहास विभाग के अध्यक्ष पद पर हुई। वहाँ से ये उत्कल विश्वविद्यालय चले गए। 1919 में उन्हें 'भारतीय शिक्षा सेवा' में नियुक्त किया गया। अवकाश ग्रहण करने के बाद दो वर्षों तक वे 'कोलकाता विश्वविद्यालय' के अवैतनिक कुलपति भी रहे। इस दौरान यदुनाथ सरकार कभी भी भारत से बाहर नहीं गए।
रचनाएँ
यदुनाथ सरकार की मुख्य ख्याति उनके ऐतिहासिक ग्रन्थों के कारण है। मुग़ल और मराठा इतिहास पर लिखे उनके शोधपरक ग्रन्थ ऐतिहासिक ग्रन्थों में प्रमाणिक माने जाते हैं। उन्होंने अपनी ऐतिहासिक मान्यताओं की स्थापना यत्र-तत्र बिखरी हुई मूल सामग्री के आधार पर की है। उनकी कुछ मुख्य रचनाएँ हैं-
- एनेकडोट्स ऑफ़ औरंगजेब (1912, तीसरा संशोधित संस्करण, 1949);
- चैतन्याज लाइफ़ ऐंड टीचिग्ज़ (1922, मूल लेख 1912),
- स्टडीज इन मुग़ल इंडिया (1919) मुग़ल ऐडमिनिस्ट्रेंशन, (दोनों खंड 1925);
- बेगम समरू (1925);
- इंडिया थ्रू दी एजेज़ (1928);
- ए शार्ट हिस्टरी ऑफ़ औरंगजेब (1930);
- बिहार ऐंड उड़ीसा ड्यूरिंग द फॉल ऑव द मुग़ल एंपायर (1932);
- हाउस ऑव शिवाजी (1940),
- मअसिर-ए-आलमगीरी (अंग्रेजी अनुवाद, 1947);
- हिस्टरी ऑफ़ बंगाल (दूसरा भाग, संपा., 1948);
- पूना रेज़ीडेंसी कारेस्पॉन्डेंस[1] जिल्द 1, 8 व 14 संपादित 1930, 1945, 1949)
- आईन-ए-अकबरी (जैरेट कृत अनुवाद का संशोधित संस्कण, (1948-1950);
- देहली अफ़ेयर्स, 1761-1788" (1953);
- मिलिटरी हिस्टरी ऑफ़ इंडिया (1960)।
लेखन विशेषता
यदुनाथ सरकार की पहली पुस्तक "इंडिया ऑफ़ औरंगजेब: टॉपॉग्राफी, स्टेटिस्टिक्स ऐंड रोड्स"[2]1901 में प्रकाशित हुई। "औरंगजेब का इतिहास" के प्रथम दो खंड 1919 में और पाँचवाँ तथा अंतिम खंड 1928 में छपा। उनकी पुस्तक "शिवाजी ऐंड हिज टाइम्स[3] 1919 में प्रकाशित हुई। इन पुस्तकों में फ़ारसी, मराठी, राजस्थानी और यूरोपीय भाषाओं में उपलब्ध सामग्री का सावधानी से उपयोग कर सरकार ने ऐतिहासिक खोज का महत्त्वपूर्ण कार्य किया और मूलभूत सामग्री के आधार पर खोज करने की परंपरा को दृढ़ किया। विशेष रूप से जयपुर राज्य में सुरक्षित फारसी अखबारात और अन्य अभिलेखों की ओर ऐतिहासिकों का ध्यान आकर्षित करने और उनको खोज कार्य के लिए उपलब्ध कराने का महान् कार्य यदुनाथ सरकार ने किया। उनकी दृष्टि में औरंगजेब एक महान् विभूति था जिसने भारत को राजनीतिक एकतंत्र में बाँधने का प्रयास किया, किंतु अपनी योग्यता और अथक परिश्रम के बावजूद अपने दृष्टिकोण की संकीर्णता के कारण असफल रहा। शिवाजी ने भी एक नए एकतंत्र की नींव डाली, किंतु मराठा समाज की जातिव्यवस्था की विषमता को वह दूर न कर सके। अन्य मराठी नेताओं ने भी महाराष्ट्र के बाहर रहने वाले हिंदुओं को लूट-पाटकर संकीर्णता का सबूत दिया। उत्तर मुग़लकालीन भारत की ओर यदुनाथ सरकार का ध्यान विलियम इरविन कृत "लेटर मुग़ल्स 1707-1739" का संपादन करते समय (1922) आकर्षित हुआ। 1739 से 1803 तक मुग़ल साम्राज्य के विघटन और सूवाई रियासतों के उत्थान का इतिहास उन्होंने चार खंडों में 1932 और 1950 के बीच (हिं. मुग़ल साम्राज्य का पतन, 1961) प्रकाशित किया। ऐतिहासिक कला की दृष्टि से यह उनकी प्रौढ़तम रचना है। यदुनाथ सरकार की भाषा प्रभावशाली और सारगर्भित होते हुए भी बोझिल नहीं होती। ऐतिहासिक घटनाओं से नैतिक निष्कर्ष भी वे स्थान स्थान पर निकालते हैं।
निधन
भारतीय इतिहास से सम्बन्धित कई तथ्यों को उजागर करने वाले और इतिहासकारों में प्रसिद्धि प्राप्त यदुनाथ सरकार का 15 मई, 1958 को कलकत्ता में निधन हो गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 671 |
बाहरी कड़ियाँ
- Sir Jadunath Sarkar Collection
- Sir Jadunath Sarkar (britannica)
- CHARACTER OF SHIVAJI (by Sir Jadunath Sarkar)
- historian Jadunath Sarkar
- Biography of Jadunath Sarkar
- A History of Aurangzeb (Volume 1)
- SHIVAJI AND HIS TIMES (REV EDN)
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