सिद्धान्त चन्द्रिकावृत्ति
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गंगाधर सूरि रचित सिद्धान्त चन्द्रिका वृत्ति
- बाधूल गोत्रोत्पन्न, देवसिंह मखि के पुत्र, विश्वरुपयति के शिष्य, भास्कर राय के गुरु तथा तञ्जाउर-अधीश शाह जी नृपति के समकालीन, गंगाधर वाजपेयी नाम से प्रसिद्ध, गंगाधर सूरि (1650 ई.) द्वारा सिद्धान्त चन्द्रिका नामक वृत्ति की रचना की गई।[1] इसकी एक व्याख्या प्रसादाख्या भी मूलकार के द्वारा रचित है।[2]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख