अधोमुखश्वानासन (अंग्रेज़ी: Adhomukhasvanasana) श्वसन से सम्बंधित महत्त्वपूर्ण योगासन है। अधो-सामने, मुख-चेहरा, स्वान (श्वान)-कुत्ता। अधोमुख स्वान आसन एक कुत्ते (श्वान, स्वान) की तरह सामने की ओर झुकने का प्रतिकात्मक है। इसलिए इसे 'अधोमुखश्वानासन' कहते हैं।
महत्त्व
अधोमुखश्वानासन संस्कृत का शब्द है जहां अधो का अर्थ आगे, मुख का अर्थ चेहरा, श्वान का अर्थ कुत्ता और आसन का अर्थ मुद्रा है। इस आसन को अधोमुखश्वानासन इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस आसन को करते समय ठीक वैसे ही आकृति बनायी जाती है, जैसे श्वान आगे की ओर झुककर अपने शरीर को खींचते समय बनाता है। अधोमुखश्वानासन सूर्य नमस्कार का एक आवश्यक हिस्सा है और यह पूरे शरीर को मजबूत बनाने के साथ ही मांसपेशियों को लचीला बनाने में मदद करता है। अधोमुखश्वानासन कंधों में अकड़न से छुटकारा दिलाने और रीढ़ की हड्डी को बढ़ाने और पैरों को सीधा रखने में मदद करता है। यह आसन योग मुद्रा के कई आसनों में एक महत्वपूर्ण आसन माना जाता है। इसलिए ज्यादातर लोग इस योग मुद्रा का अभ्यास करते हैं।
विधि
अधोमुखश्वानासन योगासन को करने की प्रक्रिया बहुत आसान है और कोई भी ऐसा व्यक्ति जिसने योगाभ्यास करना शुरू ही किया है, यह आसानी से कर सकता है। यह योगासन अत्यंत लाभदायक है और इसे प्रतिदिन के योगाभ्यास में अवश्य जोड़ना चाहिए।
- अधोमुखश्वानासन में सबसे पहले सीधे खड़े हों और दोनों पैरों के बीच दूरी रखें।
- उसके बाद धीरे से नीचे की ओर मुड़ें जिससे की V जैसा आकार बनेगा।
- दोनों हाथों और पैरों के बीच में थोड़ी-सी दूरी बनायें।
- साँस लेते समय अपने पैरों की उँगलियों की मदद से अपने कमर को पीछे की ओर खींचें। अपने पैरों और हांथों को ना मोड़ें।
- ऐसा करने से शरीर के पीछे, हांथों और पैरों को अच्छा खिंचाव मिलेगा।
- एक लम्बी सी साँस लें और कुछ देरी के लिए इस मुद्रा में रुकें।
लाभ
- यह आसन शरीर को ऊर्जा देता है और तारो-ताज़ा करता है।
- यह रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है। छाती की मांसपेसियो को मजबूती प्रदान करता है और फेफड़े की क्षमता को बढ़ाता है।
- पूरे शरीर को शक्ति प्रदान करता है। विशेषकर हाँथ, कंधे और पैरों को।
- मांसपेसियो को सुदृढ़ करता है और मस्तिष्क में रक्त का संचार बढ़ाता है।
- मन को शांति प्रदान करता है एवं सरदर्द, अनिंद्रा, थकान आदि में भी अत्यंत लाभदायक है।
सावधानियाँ
- यदि कोई उच्च रक्तचाप से पीड़ित है। तब यह आसन नहीं करना चाहिए।
- आँखों की केशिकाएँ कमजोर हैं, कंधे की चोट या दस्त से पीड़ित हैं तो भी यह आसन न करें।
- अधोमुखश्वानासन से पहले किये जाने वाले आसन
- धनुरासन
- दण्डासन
- अधोमुखश्वानासन के बाद किये जाने वाले आसन
- अर्धपिंचा मयुरासन
- चतुरंग दण्डासन
- ऊर्ध्वमुख श्वानासन
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