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*चोल मण्डल की शक्ति का उत्कर्ष राजा विजयालय द्वारा हुआ, जो कि 864 ई. के लगभग राजसिंहासन पर आरूढ़ हुआ था।
*'''विजयालय''' (850-875 ई.) ने 9वीं शताब्दी के मध्य लगभग 850ई. में चोल शक्ति का पुनरुत्थान किया।
*उससे पूर्व चोलों की स्थिति [[पल्लव वंश]] के सामन्तों के समान थी।
*विजयालय को [[चोल राजवंश]] का द्वितीय संस्थापक भी माना जाता है।
*विजयालय ने पल्लवों की अधीनता से चोल मण्डल को मुक्त किया, और स्वतंत्रतापूर्वक शासन करना शुरू किया।  
*आरम्भ में चोल [[पल्लव वंश|पल्लवों]] के सामन्त थे।
*राजा विजयालय की राजधानी [[तंजोर]] थी।
*विजयालय ने पल्लवों की अधीनता से चोल मण्डल को मुक्त किया और स्वतंत्रतापूर्वक शासन करना शुरू किया।
 
*उसने [[पाण्ड्य साम्राज्य]] के शासकों से [[तंजौर]] (तंजावुर) को छीनकर 'उरैयूर' के स्थान पर इसे अपने राज्य की राजधानी बनाया।
 
*तंजौर को जीतने के उपलक्ष्य में विजयालय ने 'नरकेसरी' की उपाधि धारण की थी।


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04:47, 7 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण

  • विजयालय (850-875 ई.) ने 9वीं शताब्दी के मध्य लगभग 850ई. में चोल शक्ति का पुनरुत्थान किया।
  • विजयालय को चोल राजवंश का द्वितीय संस्थापक भी माना जाता है।
  • आरम्भ में चोल पल्लवों के सामन्त थे।
  • विजयालय ने पल्लवों की अधीनता से चोल मण्डल को मुक्त किया और स्वतंत्रतापूर्वक शासन करना शुरू किया।
  • उसने पाण्ड्य साम्राज्य के शासकों से तंजौर (तंजावुर) को छीनकर 'उरैयूर' के स्थान पर इसे अपने राज्य की राजधानी बनाया।
  • तंजौर को जीतने के उपलक्ष्य में विजयालय ने 'नरकेसरी' की उपाधि धारण की थी।


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