"देव! दूसरो कौन दीनको दयालु -तुलसीदास": अवतरणों में अंतर
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देव! दूसरो कौन दीनको दयालु। | देव! दूसरो कौन दीनको दयालु। | ||
सीलनिधान सुजान-सिरोमनि, | सीलनिधान सुजान-सिरोमनि, | ||
सरनागत-प्रिय प्रनत- | सरनागत-प्रिय प्रनत-पालु॥1॥ | ||
को समरथ सर्बग्य सकल प्रभु, | को समरथ सर्बग्य सकल प्रभु, | ||
सिव-सनेह मानस-मरालु। | सिव-सनेह मानस-मरालु। | ||
को साहिब किये मीत प्रीतिबस, | को साहिब किये मीत प्रीतिबस, | ||
खग निसिचर कपि भील- | खग निसिचर कपि भील-भालु॥2॥ | ||
नाथ, हाथ माया-प्रपंच सब, | नाथ, हाथ माया-प्रपंच सब, | ||
जीव-दोष-गुन-करम-कालु। | जीव-दोष-गुन-करम-कालु। | ||
तुलसीदास भलो पोच रावरो, | तुलसीदास भलो पोच रावरो, | ||
नेकु निरखि कीजिये | नेकु निरखि कीजिये निहालु॥3॥ | ||
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10:10, 1 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण
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देव! दूसरो कौन दीनको दयालु। |
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