"माधवजू मोसम मंद न कोऊ -तुलसीदास": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "६" to "6") |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "७" to "7") |
||
पंक्ति 44: | पंक्ति 44: | ||
एकहि एक खात लालच-बस, नहिं देखत निज नासा॥6॥ | एकहि एक खात लालच-बस, नहिं देखत निज नासा॥6॥ | ||
मेरे अघ सारद अनेक जुग गनत पार नहिं पावै। | मेरे अघ सारद अनेक जुग गनत पार नहिं पावै। | ||
तुलसीदास पतित-पावन प्रभु, यह भरोस जिय | तुलसीदास पतित-पावन प्रभु, यह भरोस जिय आवै॥7॥ | ||
</poem> | </poem> |
11:32, 1 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण
| ||||||||||||||||||
|
माधवजू मोसम मंद न कोऊ। |
संबंधित लेख |