"यों मन कबहूँ तुमहिं न लाग्यो -तुलसीदास": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "४" to "4") |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "७" to "7") |
||
(इसी सदस्य द्वारा किए गए बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 40: | पंक्ति 40: | ||
त्यों रघुपति-पद-पदुम-परसको तनु पातकी न तरस्यो॥4॥ | त्यों रघुपति-पद-पदुम-परसको तनु पातकी न तरस्यो॥4॥ | ||
ज्यों सब भाँति कुदेव कुठाकर सेये बपु बचन हिये हूँ। | ज्यों सब भाँति कुदेव कुठाकर सेये बपु बचन हिये हूँ। | ||
त्यों न राम, सकृतग्य जे सकुचत सकृत प्रनाम किये | त्यों न राम, सकृतग्य जे सकुचत सकृत प्रनाम किये हूँ॥5॥ | ||
चंचल चरन लोभ लगि लोलु द्वार-द्वार जग बागे। | चंचल चरन लोभ लगि लोलु द्वार-द्वार जग बागे। | ||
राम-सीय-आश्रमनि चलत त्यों भये न स्त्रमित | राम-सीय-आश्रमनि चलत त्यों भये न स्त्रमित अभागे॥6॥ | ||
सकल अंग पद बिमुख नाथ मुख नामकी ओट लई है। | सकल अंग पद बिमुख नाथ मुख नामकी ओट लई है। | ||
है तुलसीहिं परतीति एक प्रभु मूरति कृपामई | है तुलसीहिं परतीति एक प्रभु मूरति कृपामई है॥7॥ | ||
</poem> | </poem> |
11:32, 1 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण
| ||||||||||||||||||
|
यों मन कबहूँ तुमहिं न लाग्यो। |
संबंधित लेख |