"यों मन कबहूँ तुमहिं न लाग्यो -तुलसीदास": अवतरणों में अंतर
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राम-सीय-आश्रमनि चलत त्यों भये न स्त्रमित अभागे॥6॥ | राम-सीय-आश्रमनि चलत त्यों भये न स्त्रमित अभागे॥6॥ | ||
सकल अंग पद बिमुख नाथ मुख नामकी ओट लई है। | सकल अंग पद बिमुख नाथ मुख नामकी ओट लई है। | ||
है तुलसीहिं परतीति एक प्रभु मूरति कृपामई | है तुलसीहिं परतीति एक प्रभु मूरति कृपामई है॥7॥ | ||
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11:32, 1 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण
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यों मन कबहूँ तुमहिं न लाग्यो। |
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