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11:39, 2 जुलाई 2015 के समय का अवतरण

हठयोग प्रदीपिका एक प्रसिद्ध ग्रंथ है, जो 'हठयोग से सम्बद्ध है। हठयोग से सम्बंधित जितने भी ग्रंथ प्राप्त हैं, उनमें यह अत्यधिक प्रभावशाली माना जाता है। इसके रचयिता गुरु गोरखनाथ के शिष्य स्वामी स्वात्साराम थे।

  • इस ग्रंथ की रचना 15वीं शताब्दी में हुई थी। हठयोग के दो अन्य प्रसिद्ध ग्रन्थ 'घेरण्ड संहिता' तथा 'शिव संहिता' हैं।
  • 'हठयोग प्रदीपिका' की कई पाण्डुलिपियाँ प्राप्त हैं, जिनमें इस ग्रन्थ के कई अलग-अलग नाम मिलते हैं।
  • वियना विश्वविद्यालय के ए. सी. वुलनर पाण्डुलिपि परियोजना के डेटाबेस के अनुसार इस ग्रंथ के निम्नलिखित नाम प्राप्त होते हैं-
  1. हठयोगप्रदीपिका
  2. हठप्रदीपिका
  3. हठप्रदी
  4. हठ-प्रदीपिका

इस ग्रंथ में चार अध्याय हैं, जिनमें आसन, प्राणायाम, चक्र, कुण्डलिनी, बन्ध, क्रिया, शक्ति, नाड़ी, मुद्रा आदि विषयों का वर्णन है।

  • यह सनातन हिन्दू योग पद्धति का अनुसरण करती है और श्रीआदिनाथ (भगवान शंकर) के मंगलाचरण से आरम्भ होती है। इसके निम्नलिखित चार उपदेश हैं-
  1. प्रथमोपदेशः - इसमें आसनों का वर्णन है।
  2. द्वितीयोपदेशः - इसमें प्राणायाम का वर्णन है।
  3. तृतीयोपदेशः - इसमें योग की मुद्राओं का वर्णन है।
  4. चतुर्थोपदेशः - इसमें समाधि का वर्णन है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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