"केशव,कहि न जाइ -तुलसीदास": अवतरणों में अंतर
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देखत तव रचना विचित्र अति ,समुझि मनहिमन रहिये। | देखत तव रचना विचित्र अति ,समुझि मनहिमन रहिये। | ||
शून्य भीति पर चित्र, रंग नहि तनु बिनु लिखा चितेरे। | शून्य भीति पर चित्र, रंग नहि तनु बिनु लिखा चितेरे। | ||
धोये मिटे न मरै भीति, | धोये मिटे न मरै भीति, दु:ख पाइय इति तनु हेरे। | ||
रविकर नीर बसै अति दारुन, मकर रुप तेहि माहीं। | रविकर नीर बसै अति दारुन, मकर रुप तेहि माहीं। | ||
बदन हीन सो ग्रसै चराचर, पान करन जे जाहीं। | बदन हीन सो ग्रसै चराचर, पान करन जे जाहीं। |
14:02, 2 जून 2017 के समय का अवतरण
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केशव , कहि न जाइ, का कहिये। |
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