"रामलला नहछू -तुलसीदास": अवतरणों में अंतर
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``नहछू जाइ करावहु बैठि सिंहासन हो।। | ``नहछू जाइ करावहु बैठि सिंहासन हो।। | ||
गोद लिहे कौसल्या बैठी रामहि बर हो। | गोद लिहे कौसल्या बैठी रामहि बर हो। | ||
सोभित दूलह राम सीस पर आँचर हो | सोभित दूलह राम सीस पर आँचर हो ।।9।। | ||
नाउनि अति गुनखानि तौ बेगि बोलाई हो। | नाउनि अति गुनखानि तौ बेगि बोलाई हो। | ||
करि सिँगार अति लोन तो बिहसति आई हो।। | करि सिँगार अति लोन तो बिहसति आई हो।। | ||
कनक-चुनिन सों लसित नहरनी लिये कर हो। | कनक-चुनिन सों लसित नहरनी लिये कर हो। | ||
आनँद हिय न समाइ देखि रामहि बर हो | आनँद हिय न समाइ देखि रामहि बर हो ।।10।। | ||
काने कनक तरीवन, बेसरि सोहइ हो। | काने कनक तरीवन, बेसरि सोहइ हो। | ||
पंक्ति 113: | पंक्ति 113: | ||
भरि गाड़ी निवछावरि नाऊ लेइ आवइ हो। | भरि गाड़ी निवछावरि नाऊ लेइ आवइ हो। | ||
परिजन करहिं निहाल असीसत आवइ हो।। | परिजन करहिं निहाल असीसत आवइ हो।। | ||
तापर करहिं सुमौज बहुत | तापर करहिं सुमौज बहुत दु:ख खोवहिँ हो। | ||
होइ सुखी सब लोग अधिक सुख सोवहिं हो ।।17।। | होइ सुखी सब लोग अधिक सुख सोवहिं हो ।।17।। | ||
पंक्ति 124: | पंक्ति 124: | ||
कोटिन्ह दीन्हेउ दान मेघ जनु बरखइ हो।। | कोटिन्ह दीन्हेउ दान मेघ जनु बरखइ हो।। | ||
रामलला कर नहछू अति सुख गाइय हो। | रामलला कर नहछू अति सुख गाइय हो। | ||
जेहि गाये सिधि होइ परम निधि पाइय हो | जेहि गाये सिधि होइ परम निधि पाइय हो ।।19।। | ||
दसरथ राउ सिंहसान बैठि बिराजहिं हो। | दसरथ राउ सिंहसान बैठि बिराजहिं हो। | ||
तुलसिदास बलि जाहि देखि रघुराजहि हो।। | तुलसिदास बलि जाहि देखि रघुराजहि हो।। | ||
जे यह नहछू गावैं गाइ सुनावइँ हो। | जे यह नहछू गावैं गाइ सुनावइँ हो। | ||
ऋद्धि सिद्धि कल्यान मुक्ति नर पावइँ हो | ऋद्धि सिद्धि कल्यान मुक्ति नर पावइँ हो ।।20।। | ||
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14:02, 2 जून 2017 के समय का अवतरण
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आदि सारदा गनपति गौरि मनाइय हो। |
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