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'''बीकानेर / Bikaner'''
{{सूचना बक्सा पर्यटन
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==स्थापना==
|विवरण=बीकानेर शहर, उत्तर-मध्य राजस्थान राज्य, पश्चिमोत्तर [[भारत]] में स्थित है।
बीकानेर शहर, उत्तर-मध्य [[राजस्थान]] राज्य, पश्चिमोत्तर [[भारत]] में स्थित है। यह [[दिल्ली]] से 386 किमी पश्चिम में पड़ता है। यह राजस्थान का एक नगर तथा पुरानी रियासत था। यह शहर भूतपूर्व बीकानेर रियासत की राजधानी था। लगभग 1465 में राठौर जाति के एक राजपूत सरदार बीका ने अन्य राजपूत जातियों का भूभाग जीतना प्रारंभ किया। 1488 में उन्होंने बीकानेर (बीका का आवास क्षेत्र) शहर का निर्माण प्रारंभ किया। 1504 में बीका की मृत्यु के बाद उनके उत्तराधिकारियों ने उनके राज्य क्षेत्र का क्रमिक विस्तार किया।
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|स्थापना=सन् 1448 ई. राठौर जाति के एक [[राजपूत]] सरदार बीका द्वारा स्थापित
|भौगोलिक स्थिति=[http://maps.google.com/maps?q=28.016667,73.311944&t=m&z=12&vpsrc=0 उत्तर- 28° 01′00' - पूर्व- 73° 18′43']
|मार्ग स्थिति=बीकानेर [[जयपुर]] से 316 किमी, [[जोधपुर]] से 240 किमी और [[जैसलमेर]] से 330 किमी की दूरी पर स्थित है।
|प्रसिद्धि=बीकानेर भव्य महलों की सुन्दरता, प्रवासी पक्षियों और ऊँटों के लिए प्रसिद्ध है।
|कब जाएँ=
|यातायात=ऑटो रिक्शा, सिटी बस
|हवाई अड्डा=नाल हवाई अड्डा
|रेलवे स्टेशन=बीकानेर जंक्शन रेलवे स्टेशन
|बस अड्डा=बस अड्डा बीकानेरा
|कैसे पहुँचें=रेल, बस आदि से पहुँचा जा सकता है।
|क्या देखें=लाल पत्थर के भव्य प्रासाद, हवेलियाँ, कोलायत, गजनेर के रमणीक स्थल, राज्य अभिलेखागार, म्यूजियम
|कहाँ ठहरें=होटल, धर्मशाला, अतिथि ग्रह
|क्या खायें=
|क्या ख़रीदें=ऊनी शाल, कालीन, मिश्री, हाथीदाँत और लाख की हस्तनिर्मित वस्तुऐं
|एस.टी.डी. कोड=0151
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|मानचित्र लिंक=[http://maps.google.co.in/maps?f=d&source=s_d&saddr=Nal+Airport&daddr=Bikaner+railway+station&geocode=FbFTrAEdYhZdBCm3U0W36sM_OTHP3di9PuDB_Q%3BFQ12qwEdqrheBCkfA0_Gfd0_OTGQaszRE5SEgw&hl=en&mra=ls&sll=28.033804,73.300438&sspn=0.13061,0.308647&ie=UTF8&ll=28.036531,73.260956&spn=0.130607,0.308647&z=12 गूगल मानचित्र]
|संबंधित लेख=
|पाठ 1=
|शीर्षक 1=
|पाठ 2=
|शीर्षक 2=
|अन्य जानकारी=बीकानेर स्थित राजस्थान राज्य अभिलेख़ागार देश के सबसे अच्‍छे और विश्‍व के चर्चित अभिलेख़ागारों में से एक है।
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|अद्यतन={{अद्यतन|15:35, 9 दिसम्बर 2011 (IST)}}
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'''बीकानेर''' शहर, उत्तर-मध्य [[राजस्थान]] राज्य, पश्चिमोत्तर [[भारत]] में स्थित है। बीकानेर [[दिल्ली]] से 386 किमी पश्चिम में पड़ता है। बीकानेर राजस्थान का एक नगर तथा पुरानी रियासत था। बीकानेर शहर भूतपूर्व बीकानेर रियासत की राजधानी था। लगभग सन् 1465 ई. में राठौर जाति के एक राजपूत सरदार बीका ने अन्य राजपूत जातियों का भूभाग जीतना प्रारंभ किया। सन् 1488 ई. में उन्होंने बीकानेर (बीका का आवास क्षेत्र) शहर का निर्माण प्रारंभ किया। सन् 1504 ई. में बीका की मृत्यु के बाद उनके उत्तराधिकारियों ने उनके राज्य क्षेत्र का क्रमिक विस्तार किया।
==इतिहास==
==इतिहास==
यह राज्य मुग़ल बादशाहों, जिन्होंने 1526 से 1857 तक दिल्ली पर शासन किया, के प्रति निष्ठावान बना रहा। राय सिंह, जिन्होंने 1571 में बीकानेर की सरदारी पाई, बादशाह [[अकबर]] के सबसे प्रतिष्ठित सेनापतियों में से एक बन गए और बीकानेर के पहले राजा नियुक्त हुए। 18वीं शाताब्दी में मुग़लों के पतन के साथ ही बीकानेर और [[जोधपुर]] की रियासतों में बार-बार लड़ाईयाँ होती रहीं। 1818 में एक संधि हुई, जिसने ब्रिटिश वर्चस्व की स्थापना की और रियासत में ब्रिटिश सेना पुनर्व्यवस्था ले आई। 1833 में इसे राजपूताना एजेंसी में शामिल किए जाने से पहले तक स्थानीय ठाकुरों या ज़मींदारों के विद्रोही तेवर जारी रहे।  
यह राज्य मुग़ल बादशाहों, जिन्होंने सन् 1526 ई. से 1857 ई. तक दिल्ली पर शासन किया, और उसके प्रति निष्ठावान बना रहा। राय सिंह, जिन्होंने सन् 1571 ई. में बीकानेर की सरदारी पाई, बादशाह [[अकबर]] के सबसे प्रतिष्ठित सेनापतियों में से एक बन गए और बीकानेर के पहले राजा नियुक्त हुए। 18वीं शाताब्दी में मुग़लों के पतन के साथ ही बीकानेर और [[जोधपुर]] की रियासतों में बार-बार लड़ाइयाँ होती रहीं। सन् 1818 ई. में एक संधि हुई, जिसने ब्रिटिश वर्चस्व की स्थापना की और रियासत में ब्रिटिश सेना पुनर्व्यवस्था ले आई। सन् 1833 ई. में इसे राजपूताना एजेंसी में शामिल किए जाने से पहले तक स्थानीय ठाकुरों या ज़मींदारों के विद्रोही तेवर जारी रहे।  


राज्य की सैन्य सेवा में बीकानेरी ऊँट सवार सेना शामिल है, जिसने बक्सर विद्रोह (1900) के दौरान [[चीन]] और प्रथम विश्व युद्ध के दौरान मध्य-पूर्व में ख्याति अर्जित की थी। बीकानेर को, जिसका क्षेत्रफल तब 60,000 वर्ग किमी से अधिक हो गया था, 1949 में राजस्थान का अंग बनाकर तीन ज़िलों में बाँट दिया गया। महाराज बीकानेर नरेन्द्र-मंडल (चेम्बर ऑफ़ प्रिन्सेज) के आरम्भ से ही एक महत्वपूर्ण सदस्य रहे। स्वाधीनता के उपरान्त बीकानेर रियासत भारत में विलीन हो गयी। पुराना बीकानेर थोड़े उठे हुए मैदान पर स्थित है और पांच द्वारों के साथ-साथ सात किलोमीटर लंबी पंक्तिबद्ध दीवार से घिरा हुआ है।
राज्य की सैन्य सेवा में बीकानेरी ऊँट सवार सेना शामिल है, जिसने [[बक्सर]] विद्रोह (1900) के दौरान [[चीन]] और प्रथम विश्व युद्ध के दौरान मध्य-पूर्व में ख्याति अर्जित की थी। बीकानेर को, जिसका क्षेत्रफल तब 60,000 वर्ग किमी से अधिक हो गया था, सन् 1949 ई. में राजस्थान का अंग बनाकर तीन ज़िलों में बाँट दिया गया। महाराज बीकानेर नरेन्द्र-मंडल (चेम्बर ऑफ़ प्रिन्सेज) के आरम्भ से ही एक महत्त्वपूर्ण सदस्य रहे। स्वाधीनता के उपरान्त बीकानेर रियासत [[भारत]] में विलीन हो गयी। पुराना बीकानेर थोड़े उठे हुए मैदान पर स्थित है और पाँच द्वारों के साथ-साथ सात किलोमीटर लंबी पंक्तिबद्ध दीवार से घिरा हुआ है।


==यातायात और परिवहन==
==यातायात और परिवहन==
यह जोधपुर, [[जयपुर]], दिल्ली, [[नागौर]] और [[गंगानगर]] से रेलमार्ग और सड़क मार्ग द्वारा जुडा हुआ हैं। ज़िले की सीमा जहाँ [[चूरू]], नागौर, गंगानगर, [[हनुमानगढ़]], जोधपुर व [[जैसलमेर]] की सीमा को छूती है, वहीं अन्तरराष्ट्रीय सीमा [[पाकिस्तान]] से मिलती हैं। ज़िले के दो प्राकृतिक भागों को उतरी व पश्चिमी रेगिस्तान व दक्षिणी व पूर्व अर्द्ध मरूस्थल में विभाजित किया सकता है।
यह जोधपुर, [[जयपुर]], दिल्ली, [[नागौर]] और [[गंगानगर]] से रेलमार्ग और सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। ज़िले की सीमा जहाँ [[चूरू]], नागौर, गंगानगर, [[हनुमानगढ़]], जोधपुर व [[जैसलमेर]] की सीमा को छूती है, वहीं अन्तरराष्ट्रीय सीमा [[पाकिस्तान]] से मिलती है। ज़िले के दो प्राकृतिक भागों को उतरी व पश्चिमी रेगिस्तान व दक्षिणी व पूर्व अर्द्ध मरूस्थल में विभाजित किया सकता है।


==कृषि और खनिज==
==कृषि और खनिज==
यहाँ कोई नदी न होने के कारण मुख्यत: गहरे नलकूपों से ही सिंचाई की जाती है। [[बाजरा]], [[ज्वार]] और [[दलहन]] यहाँ की प्रमुख फ़सलें हैं।
यहाँ कोई नदी न होने के कारण मुख्यत: गहरे नलकूपों से ही सिंचाई की जाती है। [[बाजरा]], [[ज्वार]] और दलहन यहाँ की प्रमुख फ़सलें हैं।
 
[[चित्र:Bhandasar-Temple-Bikaner.jpg|thumb|left|भांडासर जैन मंदिर, बीकानेर]]
==उद्योग और व्यापार==  
==उद्योग और व्यापार==  
प्राचीन काफिलों के मार्ग पर बीकानेर की अनुकूल स्थिति के कारण, जो पश्चिमी मध्य एशिया से आते थे, प्राचीन काल में यह मुख्य व्यापार का केन्द्र बन गया था। बीकानेर अब ऊन, चमड़ा, इमारती पत्थर, नमक और खाद्यान्न का व्यापारिक केंद्र है। बीकानेरी ऊनी शाल, कालीन और मिश्री प्रसिद्ध है, साथ ही यहाँ हाथीदाँत और लाख की हस्तनिर्मित वस्तुऐं मिलती हैं। यहाँ विद्युत और अभियांत्रिकी कार्यशालाऐं, रेलवे कार्यशालाऐं और काँच, मिट्टी के बर्तन, नमदा, रसायन, जूते और सिगरेट बनाने की औद्योगिक इकाइयाँ हैं। बीकानेर लहरदार बालू के टीलों वाले बंजर क्षेत्र में स्थित है, जहाँ ऊँटों, घोड़ों की नस्लें तैयार करना प्रमुख व्यवसाय है।
प्राचीन काफ़िलों के मार्ग पर बीकानेर की अनुकूल स्थिति के कारण, जो पश्चिमी मध्य एशिया से आते थे, प्राचीन काल में यह मुख्य व्यापार का केन्द्र बन गया था। बीकानेर अब ऊन, चमड़ा, इमारती पत्थर, नमक और खाद्यान्न का व्यापारिक केंद्र है। बीकानेरी ऊनी शाल, कालीन और मिश्री प्रसिद्ध है, साथ ही यहाँ हाथीदांत और लाख की हस्तनिर्मित वस्तुऐं मिलती हैं। बीकानेर में विद्युत और अभियांत्रिकी कार्यशालाऐं, रेलवे कार्यशालाऐं और काँच, मिट्टी के बर्तन, [[नमदा]], रसायन, जूते और सिगरेट बनाने की औद्योगिक इकाइयाँ हैं। बीकानेर लहरदार बालू के टीलों वाले बंजर क्षेत्र में स्थित है, जहाँ ऊँटों, घोड़ों की नस्लें तैयार करना प्रमुख व्यवसाय है।


==शिक्षण संस्थान==
==शिक्षण संस्थान==
यहाँ के महाविद्यालय (मेडिकल स्कूल और शिक्षण प्रशिक्षण संस्थान सहित) राजस्थान विश्वविद्यालय से संबद्ध हैं।
बीकानेर के महाविद्यालय (मेडिकल स्कूल और शिक्षण प्रशिक्षण संस्थान सहित) राजस्थान विश्वविद्यालय से संबद्ध हैं। यहाँ का 'संगीत भारती' नामक शिक्षण संस्थान मुख्य रूप से उल्लेखनीय है। जिसके द्वारा प्रतिवर्ष हज़ारों विद्यार्थियों को संगीत की शिक्षा दी जाती है।
 
==जनसंख्या==
बीकानेर शहर की जनसंख्या (2001) 5,29,007 है। बीकानेर ज़िले की कुल जनसंख्या 16,73,562 है।
 
==पर्यटन==
राजस्थान के मरूस्थल की गोद में बसा बीकानेर अपने ऐतिहासिक व सांस्कृतिक महत्व के साथ-साथ भौगोलिक विशिष्टता के लिए विख्यात हैं। लाल पत्थर के भव्य प्रासाद, हवेलियाँ, कोलायत, गजनेर के रमणीक स्थल, राज्य अभिलेखागार, म्यूजियम, अनुपम संस्कृत पुस्तकालय व टेस्सीतोरी कर्मस्थली होने के कारण यह जिला ऐतिहासिक व सांस्कृतिक दृष्टि से अपना विशिष्ट स्थान रखता हैं। बीकानेर में मुतात्विक दृष्टि से बीका-की-टेकरी का भव्य किला(पुराना किला), संग्रहालय, लक्ष्मीनारायण मंदिर, भंडेसर मंदिर, नागणेची जी का मंदिर, देवकृण्डसागर में प्राचीन शासकों की छतरियॉ, शिवबाडी मंदिर और लालगढ़ महल महत्वपूर्ण हैं। शहर से मात्र 32 किलोमीटर दूर स्थित गजनेर भव्य महलों की सुन्दरता और प्रवासी पक्षियों के लिये प्रसिद्ध हैं। देशनोक स्थित करणीमाता का मंदिर देवी और चूहों के लिये प्रसिद्ध हैं। राजस्थान के उतर-पश्चिम में बसा बीकानेर 27244 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ हैं। बीकानेर ऊँटों के लिए प्रसिद्ध है।
====बीकानेर का क़िला====
बीकानेर शहर का पुराना हिस्सा पाँच से नौ मीटर ऊँची पत्थर की दीवार से घिरा है और इसके पाँच द्वार हैं। शहर का पुराना भाग एक क़िले के ऊपर से दिखाई देता है, यहाँ बड़ी संख्या में चटकीले लाल और पीले बलुआ पत्थरों से निर्मित भवन हैं। क़िले के भीतर विभिन्न कालों के महल, राजपूत शैली के लद्युचित्रों वाला एक संग्रहालय और संस्कृत व फ़ारसी पांडुलिपियों का पुस्तकालय है।
====करणीमाता का मंदिर====
हमारे देश में अनेक प्रसिद्ध मंदिर हैं, जहाँ बार-बार जाने का मन करता है। एक ऐसा ही मंदिर राजस्थान के बीकानेर से लगभग 30 किलोमीटर दूर जोधपुर रोड पर गाँव देशनोक की सीमा में स्थित है। यह है माँ करणी देवी का विख्यात मंदिर। यह भी एक तीरथ धाम है, लेकिन इसे चूहे वाले मंदिर के नाम से भी देश और दुनिया के लोग जानते हैं। करणी देवी साक्षात माँ जगदम्बा की अवतार थीं। अब से लगभग साढ़े छह सौ वर्ष पूर्व जिस स्थान पर यह भव्य मंदिर है, वहाँ एक गुफा में रहकर माँ अपने इष्ट देव की पूजा अर्चना किया करती थीं। यह गुफा आज भी मंदिर परिसर में स्थित है। माँ के ज्योर्तिलीन होने पर उनकी इच्छानुसार उनकी मूर्ति की इस गुफा में स्थापना की गई। संगमरमर से बने मंदिर की भव्यता देखते ही बनती है। वहाँ पर चूहों की धमाचौकड़ी देखती ही बनती है। चूहे पूरे मंदिर प्रांगण में मौजूद रहते है। वे श्रद्धालुओं के शरीर पर कूद-फांद करते हैं, लेकिन किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते। चील, गिद्ध और दूसरे जानवरों से इन चूहों की रक्षा के लिए मंदिर में खुले स्थानों पर बारीक जाली लगी हुई है। इन चूहों की उपस्थिति की वजह से ही श्री करणी देवी का यह मंदिर चूहों वाले मंदिर के नाम से भी विख्यात है। ऐसी मान्यता है कि किसी श्रद्धालु को यदि यहां सफेद चूहे के दर्शन होते हैं, तो इसे बहुत शुभ माना जाता है। सुबह पांच बजे मंगला आरती और सायं सात बजे आरती के समय चूहों का जुलूस तो देखने लायक होता है। मंदिर के मुख्य द्वार पर संगमरमर पर नक्काशी को भी विशेष रूप से देखने के लिए लोग यहाँ आते हैं। चाँदी के किवाड़, सोने के छत्र और चूहों (काबा) के प्रसाद के लिए यहाँ रखी चाँदी की बड़ी परात भी देखने लायक है।  
==ऊँटों के लिए प्रसिद्ध==
बीकानेर का ऊँट दल रियासत काल के दौरान प्रसिद्ध युद्धकारी सेना थी अभी भी सीमा सुरक्षा बल के द्वारा वह युद्ध एवं रक्षा का महत्वपूर्ण हिस्सा है। अनन्त समय से आकर्षित करता आ रहा बीकानेर एक शाही सुदृढ़ शहर है। रेगिस्तान राज्य के उत्तर में स्थित इस शहर के आसपास हालू के टीले हैं। बीकानेर में अभी तक मध्ययुगीन भव्यता है जो शहर की जीवन शैली में व्यापक रूप से दिखती है। ऊँटों के देश के नाम से प्रसिद्ध, यह शहर विश्व में बेहतर ऊँटों की सवारी के लिए विख्यात है। रेगिस्तान का जहाज, जीवन का एक अविभाज्य अंग है। चाहे भरी गाड़ी खीचनी हैं, अनाज ले जाना हो या कुओं पर काम करना है, ऊँट मुख्य सहायक है।
==मुख्य स्थल==
 
====जूनागढ़====
 
सम्राट अकबर की सेना के एक सेनापति राजा राय सिंह ने इस क़िले को सन् 1593 में निर्मित करवाया था। यह सुदृढ़ क़िला एक खाई से घिरा हुआ है। इसमें कई आकर्षक महल हैं, लाल बलुए एवं संगमरमर पत्थर से बने महल प्रांगण, छज्जों, छतरियों व खिड़कियाँ जो सभी इमारतों में फैली हुई है।   
 
====सूरज पोल या सूर्य द्वार====
 
यह क़िले का मुख्य द्वार है। इन महलो में सबसे उल्लेखनीय महल है अति सुन्दर चन्द्र महल, जिसमें शानदार चित्र, शीशे और नक्काशीदार संगमरमर की पट्टीयाँ हैं और फूल महल, जो शीशों के काम से अलंकृत है। अन्य दर्शनीय महल हैं, अनुप महल, कर्ण महल, डूंगर निवास, गंगा निवास, गज मंदिर और रंग महल। महल के अंदर बने भव्य स्तंभ, मेहराब व आलीशान चिलमन उसकी शोभा बढ़ाते हैं।
 
====लाल गढ़ महल====
 
महाराजा गंगा सिंह द्वारा अपने पिता महाराजा लाल सिंह की याद में निर्मित लाल बलुए पत्थर से बना यह महल वास्तुशिल्प का एक बेजोड़ नमूना है। महल के आर्कषण जाली का जरदोजी का काम हुआ है। खिले हुए बोगनवेलियाँ व नाचते हुए बगीचे देखने योग्य है। महल का कुछ हिस्सा एक हेरिटेज होटल व एक संग्रहालय में बदल दिया गया है जो श्री सार्दुल संग्रहालय के नाम से प्रसिद्ध है।  संग्रहालय महल के समूचे प्रथम तल में बना हुआ है और इनमें सुरक्षित पुराने चित्र व वन्य जीवन की निशानियाँ संग्रहीत है।
 
====गंगा गोल्डन जुबली संग्रहालय====
 
यह राजस्थान के बेहतरीन संग्रहालयों मे से एक है जिसमें मिट्टी के बर्तन, हथियार, बीकानेर शैली के लघुचित्रों व सिक्कों का सबसे समृद्ध संग्रह है। हड़प्पा सभ्यता, गुप्त व कृषाण युग की उत्कृष्ट कलाकृतियाँ और अति प्राचीन काल की मूर्तियाँ यहाँ प्रदर्शित है।
 
====अन्य स्थल====


*'''भांड़ासार जैन मंदिर''' पाँचवें तीर्थकर सुमतिनाथ जी का 15वीं सदी का आकर्षण मंदिर है।
==चित्रकला==
*'''ऊंट शोध केंद्र''' ऊँट शोध एवं प्रजनन केन्द्र में रेगिस्तान के जहाज के साथ कुछ समय बिताऐं। यह एशिया में अपनी तरह का एक ही केन्द्र है।  
{{Main|बीकानेर की चित्रकला}}
*'''गजनेर वन्य प्राणी अभयारण्य''' जैसलमेर मार्ग पर हरा - भरा जंगल, नीलगाय, चिंकारा, काले मृग, जंगली सूअर व शाही रेतीली तीतरों के झुंड के लिए यह एक स्वर्ग है। गजनेर महल, राजाओं की मानसून के समय की आरामगाह, झील के तट पर स्थित है और इसे हैरिटेज होटल में तब्दील कर दिया गया है।
मारवाड़ शैली से सम्बन्धित बीकानेर शैली का सर्वाधिक विकास अनूप सिंह के शासन काल में हुआ। रामलाल, अली रजा, हसन रजा, रूकनुद्दीन आदि इस शैली के उल्लेखनीय कलाकार थे। इस शैली पर पंजाबी शैली का भी प्रभाव दृष्टिगोचर होता है क्योंकि बीकानेर क्षेत्र उत्तर में [[पंजाब]] के समीप ही स्थित है। यहाँ के शासको की नियुक्ति दक्षिण में होने के कारण इस शैली पर दक्खिनी शैली का भी प्रभाव पड़ा है। इस शैली की सबसे प्रमुख विशेषता है मुस्लिम कलाकारों द्वारा [[हिन्दू धर्म]] से सम्बन्धित एवं पौराणिक विषयों पर चित्रांकन करना।
*'''शिव बाड़ी मंदिर''' उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्द में ड़ूंगर सिंह जी द्वारा निर्मित यह मंदिर एक टूटी - फूटी दीवार से घिरा है। इसमें सुन्दर चित्र हैं और एक पीपल का नन्दी, शिव लिंग की ओर देखता हुआ स्थित है।
*'''कोलायतजी''' कफिल मुनि का प्रसिद्ध तीर्थस्थल जिसमें एक मंदिर भी है। कार्तिक (अक्तूबर - नवम्बर) के महीने में लगने वाले वार्षिक मेले में लाखों श्रद्धालु पूर्णमासी के दिन कोलयता की झील में डुबकी लगाने के लिए एकत्रित होते हैं।
*'''कालीबंगा''' हनुमानगढ़ जिले में इस स्थान में पूर्व हड़प्पा युग व हड़प्पा सभ्यता के व्यापक अवशेष पाये गये हैं जो कि पुरातत्ववेत्ताओं के लिए अत्यधिक रुचि की चीजें हैं। यहाँ संग्रहालय भी बना है।


==त्योहारों का आन्नद==
==त्योहारों का आनंद==
[[चित्र:Bikaner-Camel-Fair.jpg|thumb|250px||ऊँटों का प्रसिद्ध मेला, बीकानेर]]
====ऊँट मेला (जनवरी)====  
====ऊँट मेला (जनवरी)====  
ऊँटों का उत्सव, ऊँटों की दौड़, ऊँटों की कलाबाजी, नृत्य व दूध देने की प्रतिस्पर्धा का एक दर्शनीय त्योहार है, जो इस समारोह का एक हिस्सा होता है।
ऊँटों का उत्सव, ऊँटों की दौड़, ऊँटों की कलाबाज़ी, नृत्य व दूध देने की प्रतिस्पर्धा का एक दर्शनीय त्योहार है, जो इस समारोह का एक हिस्सा होता है।
====कोलायत मेला (नवंबर)====  
====कोलायत मेला (नवंबर)====  
कार्तिक के महीने में पूर्णमासी के दिन पुष्कर मेले के साथ पड़ने वाले इस मेले में भक्त कोलायात झील में डुबकी लगाते हैं।  
कार्तिक के महीने में पूर्णमासी के दिन पुष्कर मेले के साथ पड़ने वाले इस मेले में भक्त कोलायात झील में डुबकी लगाते हैं।  
====गणगौर त्यौहार (अप्रैल)====
====गणगौर त्योहार (अप्रैल)====
[[गणगौर]] का यह त्योहार चैत्र शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है। होली के दूसरे दिन (चैत्र कृष्ण प्रतिपदा) से जो नवविवाहिताएँ प्रतिदिन गणगौर पूजती हैं, वे चैत्र शुक्ल द्वितीया के दिन किसी नदी, तालाब या सरोवर पर जाकर अपनी पूजी हुई गणगौरों को पानी पिलाती हैं और दूसरे दिन सायंकाल के समय उनका विसर्जन कर देती हैं। यह व्रत विवाहिता लड़कियों के लिए पति का अनुराग उत्पन्न कराने वाला और कुमारियों को उत्तम पति देने वाला है। इससे सुहागिनों का सुहाग अखंड रहता है।  
[[गणगौर]] का यह त्योहार चैत्र शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है। होली के दूसरे दिन (चैत्र कृष्ण प्रतिपदा) से जो नवविवाहिताएँ प्रतिदिन गणगौर पूजती हैं, वे चैत्र शुक्ल द्वितीया के दिन किसी नदी, तालाब या सरोवर पर जाकर अपनी पूजी हुई गणगौरों को पानी पिलाती हैं और दूसरे दिन सायंकाल के समय उनका विसर्जन कर देती हैं। यह व्रत विवाहिता लड़कियों के लिए पति का अनुराग उत्पन्न कराने वाला और कुमारियों को उत्तम पति देने वाला है। इससे सुहागिनों का सुहाग अखंड रहता है।  
[[चित्र:Gangaur-Festival-1.jpg|thumb|left|ईशर और गौर, [[गणगौर]], बीकानेर]]
====होली (मार्च)====  
====होली (मार्च)====  
होली से कई दिन पूर्व शुरू होने वाला रंगो का यह त्योहार विशेष रूप से दर्शनीय है। बीकानेर में [[होली]] का त्योहार नौ दिन तक मनाया जाता है। फाल्गुन माह में खेलनी सप्तमी से शुरू हुआ यह त्योहार धुलंडी के दिन तक अनवरत जारी रहता है। बीकानेर के शाकद्विपीय ब्राह्मणों के द्वारा खेलनी सप्तमी के दिन मरुनायक चौक में 'थम्ब पूजन' के साथ ही होली के त्योहार की शुरुआत हो जाती है। चूंकि शाकद्विपीय समाज के लोग बीकानेर के मंदिरों के पुजारी हैं अत: शहर के प्राचीन नागणेची मंदिर में धूमधाम से पूजा की जाती है और माँ को गुलाल अबीर से होली खेलाई जाती है। इस फागोत्सव के बाद पुरुष चंग बजाते हुए व फाग के गीत गाते हुए शहर में प्रवेश करते हैं तथा होली के प्रारम्भ की सूचना देते हैं। अगले ही दिन अष्टमी को शहर के किकाणी व्यासों के चौक में, लालाणी व्यासों के चौंक में, सुनारों की गुवाड़ में व अन्य जगहों पर भी थम्ब पूजन कर दिया जाता है और इसी के साथ ही होलकाष्टक प्रारम्भ हो जाते हैं। होलाकाष्टक का पूरा समय मस्ती, उल्लास, अल्हड़ता के बिताया जाता है। इन दिनों में विवाह आदि शुभ कार्य वर्जित माने गए हैं।  
[[होली]] से कई दिन पूर्व शुरू होने वाला रंगों का यह त्योहार विशेष रूप से दर्शनीय है। बीकानेर में [[होली]] का त्योहार नौ दिन तक मनाया जाता है। फाल्गुन माह में खेलनी सप्तमी से शुरू हुआ यह त्योहार धुलंडी के दिन तक अनवरत जारी रहता है। बीकानेर के शाकद्विपीय ब्राह्मणों के द्वारा खेलनी सप्तमी के दिन मरुनायक चौक में 'थम्ब पूजन' के साथ ही होली के त्योहार की शुरुआत हो जाती है। चूँकि शाकद्विपीय समाज के लोग बीकानेर के मंदिरों के पुजारी हैं अत: शहर के प्राचीन नागणेची मंदिर में धूमधाम से पूजा की जाती है और माँ को [[गुलाल]] [[अबीर]] से [[होली]] खिलाई जाती है। इस फागोत्सव के बाद पुरुष शंख बजाते हुए व फाग के गीत गाते हुए शहर में प्रवेश करते हैं तथा होली के प्रारम्भ की सूचना देते हैं। अगले ही दिन अष्टमी को शहर के किकाणी व्यासों के चौक में, लालाणी व्यासों के चौंक में, सुनारों की गुवाड़ में व अन्य जगहों पर भी थम्ब पूजन कर दिया जाता है और इसी के साथ ही होलकाष्टक प्रारम्भ हो जाते हैं। होलाकाष्टक का पूरा समय मस्ती, उल्लास, अल्हड़ता के साथ बिताया जाता है। इन दिनों में विवाह आदि शुभ कार्य वर्जित माने गए हैं।  
=====होली व डोलची पानी का खेल=====
=====होली व डोलची पानी का खेल=====
बीकानेर की होली का सबसे आकर्षण का केंद्र होता है पुष्करणा ब्राह्मण समाज के हर्ष व व्यास जाति के बीच खेला जाने वाला डोचली पानी का खेल। 'डोलच' चमड़े का बना एक ऐसा पात्र है जिसमें पानी भरा जाता है। इस डोलची में भरे पानी को पूरी ताकत के साथ सामने वाले की पीठ पर मारा जाता है। बीकानेर के हर्षों के चौक में रहने वाले इस आयोजन को देखने के लिए भारी भीड़ उमड़ती है। प्रेम के नीर से भरी यह डोलची जब प्यार से पीठ पर पड़ती है तो इसकी गर्जन दर्शकों को भी आह्लादित कर देती है। करीब चार सौ साल से चल रहे इस आयोजन के पीछे अपना एक समृध्द व गौरवशाली इतिहास है जो जातीय संघर्ष से जुड़ा हुआ है। हर्ष व व्यास जाति के लोग आज भी बड़ी शिद्दत व ईमानदारी से इस इतिहास को सहेजे हुए हैं। ऐसा ही एक आयोजन बीकानेर के बारहगुवाड़ चौक में ओझा व छंगाणी जाति के बीच होलिका दहन वाले दिन होता है।
बीकानेर की होली का सबसे आकर्षण का केंद्र होता है पुष्करणा ब्राह्मण समाज के हर्ष व व्यास जाति के बीच खेला जाने वाला डोचली पानी का खेल। 'डोलच' चमड़े का बना एक ऐसा पात्र है जिसमें पानी भरा जाता है। इस डोलची में भरे पानी को पूरी ताक़त के साथ सामने वाले की पीठ पर मारा जाता है। बीकानेर के हर्षों के चौक में रहने वाले इस आयोजन को देखने के लिए भारी भीड़ उमड़ती है। प्रेम के नीर से भरी यह डोलची जब प्यार से पीठ पर पड़ती है तो इसकी गर्जन दर्शकों को भी आह्लादित कर देती है। क़्ररीब चार सौ साल से चल रहे इस आयोजन के पीछे अपना एक समृध्द व गौरवशाली इतिहास है जो जातीय संघर्ष से जु्ड़ा हुआ है। हर्ष व व्यास जाति के लोग आज भी बड़ी शिद्दत व ईमानदारी से इस इतिहास को सहेजे हुए हैं। ऐसा ही एक आयोजन बीकानेर के बारहगुवाड़ चौक में ओझा व छंगाणी जाति के बीच होलिका दहन वाले दिन होता है।
 
==बीकानेर अभिलेखागार==
==बीकानेर अभिलेखागार==
बीकानेर स्थित राजस्थान राज्य अभिलेखागार देश के सबसे अच्‍छे और विश्‍व के चर्चित अभिलेखागारों में से एक है। इस अभिलेखागार की स्‍थापना 1955 में हुई और यह अपनी अपार व अमूल्‍य अभिलेख निधि के लिए प्रतिष्ठित है. यहाँ संरक्षित दुर्लभ दस्‍तावेजों की सुव्‍यवस्थित व्‍यवस्‍था काबिलेतारीफ़ है। अपने समृद्ध इतिहास स्रोतों और उनके बेहतर प्रबंधन, रखरखाव के चलते ही शायद इसे देश का सबसे अच्‍छा अभिलेखागार माना जाता है। इस अभिलेखागार की तीन विशेषताऐं हैं-
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*एक तो यहाँ उपलब्‍ध सामग्री इस लिहाज से निसंदेह रूप से यह देश के सबसे समृद्ध अभिलेखागारों में से एक है।  
[[चित्र:Laxmi-Niwas-Palace.jpg|thumb|350px|लक्ष्मी निवास महल, बीकानेर]]
*दूसरा उपलब्‍ध सामग्री को संरक्षित सुरक्षित रखने के तौर तरीके और  
बीकानेर स्थित राजस्थान राज्य अभिलेख़ागार देश के सबसे अच्‍छे और विश्‍व के चर्चित अभिलेख़ागारों में से एक है। इस अभिलेख़ागार की स्‍थापना सन् 1955 ई. में हुई और यह अपनी अपार व अमूल्‍य अभिलेख़ निधि के लिए प्रतिष्ठित है. यहाँ संरक्षित दुर्लभ दस्‍तावे्ज़ों की सुव्‍यवस्थित व्‍यवस्‍था काबिलेतारीफ़ है। अपने समृद्ध इतिहास स्रोतों और उनके बेहतर प्रबंधन, रखरखाव के चलते ही शायद इसे देश का सबसे अच्‍छा अभिलेख़ागार माना जाता है। इस अभिलेख़ागार की तीन विशेषताऐं हैं-
*एक तो यहाँ उपलब्‍ध सामग्री इस लिहाज़ से निसंदेह रूप से यह देश के सबसे समृद्ध अभिलेख़ागारों में से एक है।  
*दूसरा उपलब्‍ध सामग्री को संरक्षित सुरक्षित रखने के तौर तरीक़े और  
*तीसरा इसका प्रबंधन।  
*तीसरा इसका प्रबंधन।  
इन सबका एक साथ मिलना अपने आप में बड़ी बात है।.
इन सबका एक साथ मिलना अपने आप में बड़ी बात है।
==जनसंख्या==
2001 की जनगणना के अनुसार बीकानेर शहर की जनसंख्या 5,29,007 है। बीकानेर ज़िले की कुल जनसंख्या 16,73,562 है।


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==वीथिका==
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चित्र:Lalgarh-Palace-Bikaner.jpg|[[लाल गढ़ महल बीकानेर|लाल गढ़ महल]], बीकानेर (1900)
चित्र:Junagarh-Fort-Bikaner-1.jpg|[[जूनागढ़ क़िला बीकानेर|जूनागढ़ क़िला]], बीकानेर
चित्र:Lawrence-School-Bikaner.jpg|लॉरेंस स्कूल, बीकानेर (1900)
चित्र:Lalgarh-Palace-Bikaner-1.jpg|[[लाल गढ़ महल बीकानेर|लाल गढ़ महल]], बीकानेर (1900)
चित्र:Junagarh-Fort-Bikaner-2.jpg|[[जूनागढ़ क़िला बीकानेर|जूनागढ़ क़िला]], बीकानेर
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==संबंधित लेख==
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14:21, 30 जून 2017 के समय का अवतरण

बीकानेर
विवरण बीकानेर शहर, उत्तर-मध्य राजस्थान राज्य, पश्चिमोत्तर भारत में स्थित है।
राज्य राजस्थान
ज़िला बीकानेर
स्थापना सन् 1448 ई. राठौर जाति के एक राजपूत सरदार बीका द्वारा स्थापित
भौगोलिक स्थिति उत्तर- 28° 01′00' - पूर्व- 73° 18′43'
मार्ग स्थिति बीकानेर जयपुर से 316 किमी, जोधपुर से 240 किमी और जैसलमेर से 330 किमी की दूरी पर स्थित है।
प्रसिद्धि बीकानेर भव्य महलों की सुन्दरता, प्रवासी पक्षियों और ऊँटों के लिए प्रसिद्ध है।
कैसे पहुँचें रेल, बस आदि से पहुँचा जा सकता है।
हवाई अड्डा नाल हवाई अड्डा
रेलवे स्टेशन बीकानेर जंक्शन रेलवे स्टेशन
बस अड्डा बस अड्डा बीकानेरा
यातायात ऑटो रिक्शा, सिटी बस
क्या देखें लाल पत्थर के भव्य प्रासाद, हवेलियाँ, कोलायत, गजनेर के रमणीक स्थल, राज्य अभिलेखागार, म्यूजियम
कहाँ ठहरें होटल, धर्मशाला, अतिथि ग्रह
क्या ख़रीदें ऊनी शाल, कालीन, मिश्री, हाथीदाँत और लाख की हस्तनिर्मित वस्तुऐं
एस.टी.डी. कोड 0151
ए.टी.एम लगभग सभी
गूगल मानचित्र
अन्य जानकारी बीकानेर स्थित राजस्थान राज्य अभिलेख़ागार देश के सबसे अच्‍छे और विश्‍व के चर्चित अभिलेख़ागारों में से एक है।
अद्यतन‎

बीकानेर शहर, उत्तर-मध्य राजस्थान राज्य, पश्चिमोत्तर भारत में स्थित है। बीकानेर दिल्ली से 386 किमी पश्चिम में पड़ता है। बीकानेर राजस्थान का एक नगर तथा पुरानी रियासत था। बीकानेर शहर भूतपूर्व बीकानेर रियासत की राजधानी था। लगभग सन् 1465 ई. में राठौर जाति के एक राजपूत सरदार बीका ने अन्य राजपूत जातियों का भूभाग जीतना प्रारंभ किया। सन् 1488 ई. में उन्होंने बीकानेर (बीका का आवास क्षेत्र) शहर का निर्माण प्रारंभ किया। सन् 1504 ई. में बीका की मृत्यु के बाद उनके उत्तराधिकारियों ने उनके राज्य क्षेत्र का क्रमिक विस्तार किया।

इतिहास

यह राज्य मुग़ल बादशाहों, जिन्होंने सन् 1526 ई. से 1857 ई. तक दिल्ली पर शासन किया, और उसके प्रति निष्ठावान बना रहा। राय सिंह, जिन्होंने सन् 1571 ई. में बीकानेर की सरदारी पाई, बादशाह अकबर के सबसे प्रतिष्ठित सेनापतियों में से एक बन गए और बीकानेर के पहले राजा नियुक्त हुए। 18वीं शाताब्दी में मुग़लों के पतन के साथ ही बीकानेर और जोधपुर की रियासतों में बार-बार लड़ाइयाँ होती रहीं। सन् 1818 ई. में एक संधि हुई, जिसने ब्रिटिश वर्चस्व की स्थापना की और रियासत में ब्रिटिश सेना पुनर्व्यवस्था ले आई। सन् 1833 ई. में इसे राजपूताना एजेंसी में शामिल किए जाने से पहले तक स्थानीय ठाकुरों या ज़मींदारों के विद्रोही तेवर जारी रहे।

राज्य की सैन्य सेवा में बीकानेरी ऊँट सवार सेना शामिल है, जिसने बक्सर विद्रोह (1900) के दौरान चीन और प्रथम विश्व युद्ध के दौरान मध्य-पूर्व में ख्याति अर्जित की थी। बीकानेर को, जिसका क्षेत्रफल तब 60,000 वर्ग किमी से अधिक हो गया था, सन् 1949 ई. में राजस्थान का अंग बनाकर तीन ज़िलों में बाँट दिया गया। महाराज बीकानेर नरेन्द्र-मंडल (चेम्बर ऑफ़ प्रिन्सेज) के आरम्भ से ही एक महत्त्वपूर्ण सदस्य रहे। स्वाधीनता के उपरान्त बीकानेर रियासत भारत में विलीन हो गयी। पुराना बीकानेर थोड़े उठे हुए मैदान पर स्थित है और पाँच द्वारों के साथ-साथ सात किलोमीटर लंबी पंक्तिबद्ध दीवार से घिरा हुआ है।

यातायात और परिवहन

यह जोधपुर, जयपुर, दिल्ली, नागौर और गंगानगर से रेलमार्ग और सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। ज़िले की सीमा जहाँ चूरू, नागौर, गंगानगर, हनुमानगढ़, जोधपुर व जैसलमेर की सीमा को छूती है, वहीं अन्तरराष्ट्रीय सीमा पाकिस्तान से मिलती है। ज़िले के दो प्राकृतिक भागों को उतरी व पश्चिमी रेगिस्तान व दक्षिणी व पूर्व अर्द्ध मरूस्थल में विभाजित किया सकता है।

कृषि और खनिज

यहाँ कोई नदी न होने के कारण मुख्यत: गहरे नलकूपों से ही सिंचाई की जाती है। बाजरा, ज्वार और दलहन यहाँ की प्रमुख फ़सलें हैं।

भांडासर जैन मंदिर, बीकानेर

उद्योग और व्यापार

प्राचीन काफ़िलों के मार्ग पर बीकानेर की अनुकूल स्थिति के कारण, जो पश्चिमी मध्य एशिया से आते थे, प्राचीन काल में यह मुख्य व्यापार का केन्द्र बन गया था। बीकानेर अब ऊन, चमड़ा, इमारती पत्थर, नमक और खाद्यान्न का व्यापारिक केंद्र है। बीकानेरी ऊनी शाल, कालीन और मिश्री प्रसिद्ध है, साथ ही यहाँ हाथीदांत और लाख की हस्तनिर्मित वस्तुऐं मिलती हैं। बीकानेर में विद्युत और अभियांत्रिकी कार्यशालाऐं, रेलवे कार्यशालाऐं और काँच, मिट्टी के बर्तन, नमदा, रसायन, जूते और सिगरेट बनाने की औद्योगिक इकाइयाँ हैं। बीकानेर लहरदार बालू के टीलों वाले बंजर क्षेत्र में स्थित है, जहाँ ऊँटों, घोड़ों की नस्लें तैयार करना प्रमुख व्यवसाय है।

शिक्षण संस्थान

बीकानेर के महाविद्यालय (मेडिकल स्कूल और शिक्षण प्रशिक्षण संस्थान सहित) राजस्थान विश्वविद्यालय से संबद्ध हैं। यहाँ का 'संगीत भारती' नामक शिक्षण संस्थान मुख्य रूप से उल्लेखनीय है। जिसके द्वारा प्रतिवर्ष हज़ारों विद्यार्थियों को संगीत की शिक्षा दी जाती है।

चित्रकला

मारवाड़ शैली से सम्बन्धित बीकानेर शैली का सर्वाधिक विकास अनूप सिंह के शासन काल में हुआ। रामलाल, अली रजा, हसन रजा, रूकनुद्दीन आदि इस शैली के उल्लेखनीय कलाकार थे। इस शैली पर पंजाबी शैली का भी प्रभाव दृष्टिगोचर होता है क्योंकि बीकानेर क्षेत्र उत्तर में पंजाब के समीप ही स्थित है। यहाँ के शासको की नियुक्ति दक्षिण में होने के कारण इस शैली पर दक्खिनी शैली का भी प्रभाव पड़ा है। इस शैली की सबसे प्रमुख विशेषता है मुस्लिम कलाकारों द्वारा हिन्दू धर्म से सम्बन्धित एवं पौराणिक विषयों पर चित्रांकन करना।

त्योहारों का आनंद

ऊँटों का प्रसिद्ध मेला, बीकानेर

ऊँट मेला (जनवरी)

ऊँटों का उत्सव, ऊँटों की दौड़, ऊँटों की कलाबाज़ी, नृत्य व दूध देने की प्रतिस्पर्धा का एक दर्शनीय त्योहार है, जो इस समारोह का एक हिस्सा होता है।

कोलायत मेला (नवंबर)

कार्तिक के महीने में पूर्णमासी के दिन पुष्कर मेले के साथ पड़ने वाले इस मेले में भक्त कोलायात झील में डुबकी लगाते हैं।

गणगौर त्योहार (अप्रैल)

गणगौर का यह त्योहार चैत्र शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है। होली के दूसरे दिन (चैत्र कृष्ण प्रतिपदा) से जो नवविवाहिताएँ प्रतिदिन गणगौर पूजती हैं, वे चैत्र शुक्ल द्वितीया के दिन किसी नदी, तालाब या सरोवर पर जाकर अपनी पूजी हुई गणगौरों को पानी पिलाती हैं और दूसरे दिन सायंकाल के समय उनका विसर्जन कर देती हैं। यह व्रत विवाहिता लड़कियों के लिए पति का अनुराग उत्पन्न कराने वाला और कुमारियों को उत्तम पति देने वाला है। इससे सुहागिनों का सुहाग अखंड रहता है।

ईशर और गौर, गणगौर, बीकानेर

होली (मार्च)

होली से कई दिन पूर्व शुरू होने वाला रंगों का यह त्योहार विशेष रूप से दर्शनीय है। बीकानेर में होली का त्योहार नौ दिन तक मनाया जाता है। फाल्गुन माह में खेलनी सप्तमी से शुरू हुआ यह त्योहार धुलंडी के दिन तक अनवरत जारी रहता है। बीकानेर के शाकद्विपीय ब्राह्मणों के द्वारा खेलनी सप्तमी के दिन मरुनायक चौक में 'थम्ब पूजन' के साथ ही होली के त्योहार की शुरुआत हो जाती है। चूँकि शाकद्विपीय समाज के लोग बीकानेर के मंदिरों के पुजारी हैं अत: शहर के प्राचीन नागणेची मंदिर में धूमधाम से पूजा की जाती है और माँ को गुलाल अबीर से होली खिलाई जाती है। इस फागोत्सव के बाद पुरुष शंख बजाते हुए व फाग के गीत गाते हुए शहर में प्रवेश करते हैं तथा होली के प्रारम्भ की सूचना देते हैं। अगले ही दिन अष्टमी को शहर के किकाणी व्यासों के चौक में, लालाणी व्यासों के चौंक में, सुनारों की गुवाड़ में व अन्य जगहों पर भी थम्ब पूजन कर दिया जाता है और इसी के साथ ही होलकाष्टक प्रारम्भ हो जाते हैं। होलाकाष्टक का पूरा समय मस्ती, उल्लास, अल्हड़ता के साथ बिताया जाता है। इन दिनों में विवाह आदि शुभ कार्य वर्जित माने गए हैं।

होली व डोलची पानी का खेल

बीकानेर की होली का सबसे आकर्षण का केंद्र होता है पुष्करणा ब्राह्मण समाज के हर्ष व व्यास जाति के बीच खेला जाने वाला डोचली पानी का खेल। 'डोलच' चमड़े का बना एक ऐसा पात्र है जिसमें पानी भरा जाता है। इस डोलची में भरे पानी को पूरी ताक़त के साथ सामने वाले की पीठ पर मारा जाता है। बीकानेर के हर्षों के चौक में रहने वाले इस आयोजन को देखने के लिए भारी भीड़ उमड़ती है। प्रेम के नीर से भरी यह डोलची जब प्यार से पीठ पर पड़ती है तो इसकी गर्जन दर्शकों को भी आह्लादित कर देती है। क़्ररीब चार सौ साल से चल रहे इस आयोजन के पीछे अपना एक समृध्द व गौरवशाली इतिहास है जो जातीय संघर्ष से जु्ड़ा हुआ है। हर्ष व व्यास जाति के लोग आज भी बड़ी शिद्दत व ईमानदारी से इस इतिहास को सहेजे हुए हैं। ऐसा ही एक आयोजन बीकानेर के बारहगुवाड़ चौक में ओझा व छंगाणी जाति के बीच होलिका दहन वाले दिन होता है।

बीकानेर अभिलेखागार

लक्ष्मी निवास महल, बीकानेर

बीकानेर स्थित राजस्थान राज्य अभिलेख़ागार देश के सबसे अच्‍छे और विश्‍व के चर्चित अभिलेख़ागारों में से एक है। इस अभिलेख़ागार की स्‍थापना सन् 1955 ई. में हुई और यह अपनी अपार व अमूल्‍य अभिलेख़ निधि के लिए प्रतिष्ठित है. यहाँ संरक्षित दुर्लभ दस्‍तावे्ज़ों की सुव्‍यवस्थित व्‍यवस्‍था काबिलेतारीफ़ है। अपने समृद्ध इतिहास स्रोतों और उनके बेहतर प्रबंधन, रखरखाव के चलते ही शायद इसे देश का सबसे अच्‍छा अभिलेख़ागार माना जाता है। इस अभिलेख़ागार की तीन विशेषताऐं हैं-

  • एक तो यहाँ उपलब्‍ध सामग्री इस लिहाज़ से निसंदेह रूप से यह देश के सबसे समृद्ध अभिलेख़ागारों में से एक है।
  • दूसरा उपलब्‍ध सामग्री को संरक्षित सुरक्षित रखने के तौर तरीक़े और
  • तीसरा इसका प्रबंधन।

इन सबका एक साथ मिलना अपने आप में बड़ी बात है।

जनसंख्या

2001 की जनगणना के अनुसार बीकानेर शहर की जनसंख्या 5,29,007 है। बीकानेर ज़िले की कुल जनसंख्या 16,73,562 है।


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