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'''कुंडेश्वर''' [[मध्य प्रदेश]] के [[बुंदेलखण्ड]] में [[टीकमगढ़ ज़िला|टीकमगढ़]] से 4 मील {{मील|मील=4}} की दूरी पर दक्षिण में यमद्वार नदी के उत्तरी तट पर बसा एक रम्य स्थान है।<ref>{{cite web |url=http://khoj.bharatdiscovery.org/india/%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%82%E0%A4%A1%E0%A5%87%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%B0|title=कुंडेश्वर|accessmonthday=18 मार्च|accessyear=2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>
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*यहाँ पर [[शिव|भगवान शिव]] का एक मंदिर है, जिसकी मूर्ति के संबंध में कहा जाता है कि यह 15वीं शती ई. में एक कुंड से आविर्भूत हुई थी। उन दिनों वहीं [[तुंगारण्य]] में [[वल्लभाचार्य]] '[[श्रीमद्भागवदगीता]]' की कथा कह रहे थे।
*यहाँ पर [[शिव|भगवान शिव]] का एक मंदिर है, जिसकी मूर्ति के संबंध में कहा जाता है कि यह 15वीं शती ई. में एक कुंड से आविर्भूत हुई थी। उन दिनों वहीं [[तुंगारण्य]] में [[वल्लभाचार्य]] '[[श्रीमद्भागवदगीता]]' की कथा कह रहे थे।

12:27, 25 अक्टूबर 2017 के समय का अवतरण

कुंडेश्वर मध्य प्रदेश के बुंदेलखण्ड में टीकमगढ़ से 4 मील (लगभग 6.4 कि.मी.) की दूरी पर दक्षिण में यमद्वार नदी के उत्तरी तट पर बसा एक रम्य स्थान है।[1]

  • यहाँ पर भगवान शिव का एक मंदिर है, जिसकी मूर्ति के संबंध में कहा जाता है कि यह 15वीं शती ई. में एक कुंड से आविर्भूत हुई थी। उन दिनों वहीं तुंगारण्य में वल्लभाचार्य 'श्रीमद्भागवदगीता' की कथा कह रहे थे।
  • शिव की मूर्ति के मिलने का समाचार सुनकर वल्लभाचार्य जी यहाँ आए और तैलंग ब्राह्मणों द्वारा मूर्ति का संस्कार कराया और वहीं प्रतिष्ठित किया।
  • मूति एक कुंड से प्राप्त हुई थी, इसी कारण से यह 'कुंडेश्वर' कहा जाता है।
  • 'शिवरात्रि', 'मकर संक्रांति' और 'बसंत पंचमी' के अवसर पर यहाँ भारी मेला लगता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कुंडेश्वर (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 18 मार्च, 2014।

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