"ख़्वाजा जहान": अवतरणों में अंतर
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*1394 ई. में महमूद ने अपने वज़ीर 'ख़्वाजा जहान' को 'मलिक-उस-शर्क' (पूर्व का स्वामी) की उपाधि प्रदान की। | *1394 ई. में महमूद ने अपने वज़ीर 'ख़्वाजा जहान' को 'मलिक-उस-शर्क' (पूर्व का स्वामी) की उपाधि प्रदान की। | ||
*ख़्वाजा जहान ने [[दिल्ली]] पर हुए [[तैमूर]] के आक्रमण के कारण व्याप्त अस्थिरता का लाभ उठा कर स्वतन्त्र [[शर्की वंश]] की नींव डाली। | *ख़्वाजा जहान ने [[दिल्ली]] पर हुए [[तैमूर]] के आक्रमण के कारण व्याप्त अस्थिरता का लाभ उठा कर स्वतन्त्र [[शर्की वंश]] की नींव डाली। | ||
*इसने कभी सुल्तान की उपाधि धारण नहीं की। | *इसने कभी सुल्तान की उपाधि धारण नहीं की। | ||
*1399 ई. में ख़्वाजा जहान की मृत्यु हो गई थी। | *1399 ई. में ख़्वाजा जहान की मृत्यु हो गई थी। | ||
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07:41, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण
ख़्वाजा जहान ने जौनपुर में शर्की वंश की स्थापना की थी। वह फ़िरोज़शाह तुग़लक़ के पुत्र महमूद तुग़लक के दरबार में वज़ीर के पद पर नियुक्त था।
- 1394 ई. में महमूद ने अपने वज़ीर 'ख़्वाजा जहान' को 'मलिक-उस-शर्क' (पूर्व का स्वामी) की उपाधि प्रदान की।
- ख़्वाजा जहान ने दिल्ली पर हुए तैमूर के आक्रमण के कारण व्याप्त अस्थिरता का लाभ उठा कर स्वतन्त्र शर्की वंश की नींव डाली।
- इसने कभी सुल्तान की उपाधि धारण नहीं की।
- 1399 ई. में ख़्वाजा जहान की मृत्यु हो गई थी।
- उसके राज्य की सीमाएँ 'कोल', 'सम्भल' तथा 'रापरी' तक फैली हुई थीं।
- उसने 'तिरहुत' तथा 'दोआब' के साथ-साथ बिहार पर भी प्रभुत्व स्थापित किया।
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