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किसी ज़माने में इस इलाके में पश्चिम में तुर्की से लेकर पूर्व में मंगोलिया और उत्तर में साइबेरिया तक का विशाल क्षेत्र आता था। तूरान का संबंध तुर्क जाति से है। गौरतलब है कि संस्कृत में तुर्क के लिए 'तुरुष्क' शब्द है। अवेस्ता में इसे ही 'तुर्य' कहा गया है। इसके अलावा [[अवेस्ता भाषा|अवेस्ता]] की [[कथा|कथाओं]] में एक उल्लेख [[मध्य एशिया]] के प्रतापी सम्राट फरीदुन का भी मिलता है, जिसके तीन पुत्र थे। 'सल्म' ([[अरबी भाषा|अरबी]] में सलामत), 'तूर' और 'इरज़'। किन्हीं संदर्भों में तूर का उल्लेख 'तुरज़' भी आया है। सम्राट ने पश्चिमी क्षेत्र के सभी राज्य, जिसमें अनातोलिया भी था, सल्म को दिए। तूर को मंगोलिया, तुर्किस्तान और [[चीन]] के प्रांत दिए और साम्राज्य का सबसे अच्छा इलाका तीसरे पुत्र ईरज़ को सौंपा।
किसी ज़माने में इस इलाके में पश्चिम में तुर्की से लेकर पूर्व में मंगोलिया और उत्तर में साइबेरिया तक का विशाल क्षेत्र आता था। तूरान का संबंध तुर्क जाति से है। गौरतलब है कि संस्कृत में तुर्क के लिए 'तुरुष्क' शब्द है। अवेस्ता में इसे ही 'तुर्य' कहा गया है। इसके अलावा [[अवेस्ता भाषा|अवेस्ता]] की [[कथा|कथाओं]] में एक उल्लेख [[मध्य एशिया]] के प्रतापी सम्राट फरीदुन का भी मिलता है, जिसके तीन पुत्र थे। 'सल्म' ([[अरबी भाषा|अरबी]] में सलामत), 'तूर' और 'इरज़'। किन्हीं संदर्भों में तूर का उल्लेख 'तुरज़' भी आया है। सम्राट ने पश्चिमी क्षेत्र के सभी राज्य, जिसमें अनातोलिया भी था, सल्म को दिए। तूर को मंगोलिया, तुर्किस्तान और [[चीन]] के प्रांत दिए और साम्राज्य का सबसे अच्छा इलाका तीसरे पुत्र ईरज़ को सौंपा।


'ईर' का बहुवचन ईरान हुआ और 'तूर' का तूरान। अर्थात जहां तूर शासित क्षेत्र तूरान और ईर शासित क्षेत्र [[ईरान]]। यह गाथा काफी लंबी है, किंतु इतना तो बताती है कि [[संस्कृत]] और [[अवेस्ता]] में उल्लेखित 'तुरुष्कः', 'तुर्य' अथवा 'तूर' से ही तुर्क शब्द बना है और प्राचीन काल में इसे ही 'तूरान' या 'तुरान' कहा जाता था। इस शब्द के दायरे में सभी [[मंगोल]], [[तुर्क]], कज़ाख, [[उज़बेक]] आदि जाति समूह आ जाते हैं। उल्लेखनीय है कि अवेस्ता में 'आर्य' का उच्चारण 'ऐर्य' होता है। 'एर' का अर्थ होता है 'सीधा, सरल, सभ्य'। 'तूर' का मतलब होता है 'ताकतवर, कठोर, मज़बूत'। [[हिन्दी]] में प्रचलित तेज़-तर्रार और तुर्रमखाँ जैसे मुहावरों के पीछे यही तुरुष्क, तूरान और तुर्क का प्रभाव रहा है।<ref name="aa"/>
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07:54, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण

तूरान मध्य एशिया का क्षेत्र है, जो तुर्क, तातारी, मंगोल आदि जातियों का निवास स्थान है। ईरान का उत्तरी क्षेत्र प्राचीन काल में 'तूरान' के नाम से जाना जाता था और यहां के जातीय समूह और भाषा के लिए 'तूरानी' शब्द का प्रयोग होता था। ईरान की प्राचीन भाषा 'अवेस्ता' में इसके लिए 'तुर्य' शब्द मिलता है।

नामकरण

गौरतलब है कि ईरान शब्द की व्युत्पत्ति 'आर्य' से हुई है। संस्कृत की बहन और ईरान की प्राचीन भाषा अवेस्ता में 'ऐर्य-तुर्य' शब्दों का उल्लेख है, जिसकी वजह से इस पूरे भूक्षेत्र के लिए ईरान के साथ तूरान नाम भी चलन में आया।[1]

विस्तार

किसी ज़माने में इस इलाके में पश्चिम में तुर्की से लेकर पूर्व में मंगोलिया और उत्तर में साइबेरिया तक का विशाल क्षेत्र आता था। तूरान का संबंध तुर्क जाति से है। गौरतलब है कि संस्कृत में तुर्क के लिए 'तुरुष्क' शब्द है। अवेस्ता में इसे ही 'तुर्य' कहा गया है। इसके अलावा अवेस्ता की कथाओं में एक उल्लेख मध्य एशिया के प्रतापी सम्राट फरीदुन का भी मिलता है, जिसके तीन पुत्र थे। 'सल्म' (अरबी में सलामत), 'तूर' और 'इरज़'। किन्हीं संदर्भों में तूर का उल्लेख 'तुरज़' भी आया है। सम्राट ने पश्चिमी क्षेत्र के सभी राज्य, जिसमें अनातोलिया भी था, सल्म को दिए। तूर को मंगोलिया, तुर्किस्तान और चीन के प्रांत दिए और साम्राज्य का सबसे अच्छा इलाका तीसरे पुत्र ईरज़ को सौंपा।

'ईर' का बहुवचन ईरान हुआ और 'तूर' का तूरान। अर्थात् जहां तूर शासित क्षेत्र तूरान और ईर शासित क्षेत्र ईरान। यह गाथा काफ़ी लंबी है, किंतु इतना तो बताती है कि संस्कृत और अवेस्ता में उल्लेखित 'तुरुष्कः', 'तुर्य' अथवा 'तूर' से ही तुर्क शब्द बना है और प्राचीन काल में इसे ही 'तूरान' या 'तुरान' कहा जाता था। इस शब्द के दायरे में सभी मंगोल, तुर्क, कज़ाख, उज़बेक आदि जाति समूह आ जाते हैं। उल्लेखनीय है कि अवेस्ता में 'आर्य' का उच्चारण 'ऐर्य' होता है। 'एर' का अर्थ होता है 'सीधा, सरल, सभ्य'। 'तूर' का मतलब होता है 'ताकतवर, कठोर, मज़बूत'। हिन्दी में प्रचलित तेज़-तर्रार और तुर्रमखाँ जैसे मुहावरों के पीछे यही तुरुष्क, तूरान और तुर्क का प्रभाव रहा है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 तुर्रमखाँ तूरानी, दुर्र-ए-दुर्रानी (हिन्दी) शब्दों का सफर। अभिगमन तिथि: 29 सितम्बर, 2014।

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