"बहादुर शाह ज़फ़र": अवतरणों में अंतर
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - " फिक्र" to " फ़िक्र") |
No edit summary |
||
(2 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|पूरा नाम=अबु ज़फ़र सिराजुद्दीन महम्मद बहादुर शाह ज़फ़र | |पूरा नाम=अबु ज़फ़र सिराजुद्दीन महम्मद बहादुर शाह ज़फ़र | ||
|अन्य नाम=बहादुरशाह द्वितीय | |अन्य नाम=बहादुरशाह द्वितीय | ||
|जन्म=[[24 अक्तूबर]] सन् 1775 | |जन्म=[[24 अक्तूबर]] सन् [[1775]] | ||
|जन्म भूमि=[[दिल्ली]] | |जन्म भूमि=[[दिल्ली]] | ||
|मृत्यु तिथि=[[7 नवंबर]], 1862 | |मृत्यु तिथि=[[7 नवंबर]], [[1862]] | ||
|मृत्यु स्थान=[[रंगून]], [[बर्मा]] | |मृत्यु स्थान=[[रंगून]], [[बर्मा]] | ||
|पिता/माता=अकबर शाह द्वितीय और लालबाई | |पिता/माता=अकबर शाह द्वितीय और लालबाई | ||
पंक्ति 36: | पंक्ति 36: | ||
|बाहरी कड़ियाँ= | |बाहरी कड़ियाँ= | ||
|अद्यतन= | |अद्यतन= | ||
}} | }}'''बहादुर शाह ज़फ़र''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Bahadur Shah Zafar'', जन्म: [[24 अक्तूबर]] सन् [[1775]] ई.; मृत्यु: [[7 नवंबर]] सन् [[1862]] ई.) [[मुग़ल साम्राज्य]] के अंतिम बादशाह थे। इनका शासनकाल 1837-57 तक था। बहादुर शाह ज़फ़र एक कवि, संगीतकार व खुशनवीस थे और राजनीतिक नेता के बजाय सौंदर्यानुरागी व्यक्ति अधिक थे। | ||
'''बहादुर शाह ज़फ़र''' ([[अंग्रेज़ी]]:''Bahadur Shah Zafar'', जन्म:24 अक्तूबर सन् 1775 ई. | |||
==जीवन परिचय== | ==जीवन परिचय== | ||
बहादुर शाह ज़फ़र का जन्म [[24 अक्तूबर]] सन् 1775 ई. को [[दिल्ली]] में हुआ था। बहादुर शाह अकबर शाह द्वितीय और लालबाई के दूसरे पुत्र थे। उनकी | बहादुर शाह ज़फ़र का जन्म [[24 अक्तूबर]] सन् 1775 ई. को [[दिल्ली]] में हुआ था। बहादुर शाह अकबर शाह द्वितीय और लालबाई के दूसरे पुत्र थे। उनकी माँ लालबाई [[हिंदू]] [[परिवार]] से थीं। 1857 में जब हिंदुस्तान की आजादी की चिंगारी भड़की तो सभी विद्रोही सैनिकों और राजा-महाराजाओं ने उन्हें हिंदुस्तान का सम्राट माना और उनके नेतृत्व में अंग्रेजों की ईट से ईट बजा दी। अंग्रेजों के ख़िलाफ़ भारतीय सैनिकों की बगावत को देख बहादुर शाह जफर का भी गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने अंग्रेजों को हिंदुस्तान से खदेड़ने का आह्वान कर डाला। भारतीयों ने दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में अंग्रेजों को कड़ी शिकस्त दी। अपने शासनकाल के अधिकांश समय उनके पास वास्तविक सत्ता नहीं रही और वह [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] पर आश्रित रहे। 1857 ई. में [[सिपाही क्रांति 1857|स्वतंत्रता संग्राम]] शुरू होने के समय बहादुर शाह 82 वर्ष के बूढे थे, और स्वयं निर्णय लेने की क्षमता को खो चुके थे। सितम्बर 1857 ई. में अंग्रेज़ों ने दुबारा [[दिल्ली]] पर क़ब्ज़ा जमा लिया और बहादुर शाह द्वितीय को गिरफ़्तार करके उन पर मुक़दमा चलाया गया तथा उन्हें रंगून निर्वासित कर दिया गया। | ||
==प्रसिद्ध उर्दू कवि== | ==प्रसिद्ध उर्दू कवि== | ||
बहादुर शाह ज़फ़र सिर्फ एक देशभक्त मुग़ल बादशाह ही नहीं बल्कि [[उर्दू]] के प्रसिद्ध कवि भी थे। उन्होंने बहुत सी मशहूर उर्दू कविताएं लिखीं, जिनमें से काफ़ी अंग्रेजों के ख़िलाफ़ बगावत के समय मची उथल-पुथल के दौरान खो गई या नष्ट हो गई। उनके द्वारा उर्दू में लिखी गई पंक्तियां भी काफ़ी मशहूर हैं- | बहादुर शाह ज़फ़र सिर्फ एक देशभक्त मुग़ल बादशाह ही नहीं बल्कि [[उर्दू]] के प्रसिद्ध कवि भी थे। उन्होंने बहुत सी मशहूर उर्दू कविताएं लिखीं, जिनमें से काफ़ी अंग्रेजों के ख़िलाफ़ बगावत के समय मची उथल-पुथल के दौरान खो गई या नष्ट हो गई। उनके द्वारा उर्दू में लिखी गई पंक्तियां भी काफ़ी मशहूर हैं- | ||
पंक्ति 46: | पंक्ति 45: | ||
हिन्दुस्तान से बाहर रंगून में भी उनकी उर्दू कविताओं का जलवा जारी रहा। वहां उन्हें हर वक्त हिंदुस्तान की फ़िक्र रही। उनकी अंतिम इच्छा थी कि वह अपने जीवन की अंतिम सांस हिंदुस्तान में ही लें और वहीं उन्हें दफनाया जाए लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। | हिन्दुस्तान से बाहर रंगून में भी उनकी उर्दू कविताओं का जलवा जारी रहा। वहां उन्हें हर वक्त हिंदुस्तान की फ़िक्र रही। उनकी अंतिम इच्छा थी कि वह अपने जीवन की अंतिम सांस हिंदुस्तान में ही लें और वहीं उन्हें दफनाया जाए लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। | ||
====ज़फ़र की एक कविता==== | ====ज़फ़र की एक कविता==== | ||
[[चित्र:Bahadur-Shah-Second.jpg|thumb|200px|बहादुर शाह द्वितीय]] | |||
<poem style="font-size:larger; color:#990099"> | <poem style="font-size:larger; color:#990099"> | ||
लगता नहीं है जी मेरा उजड़े दयार में | लगता नहीं है जी मेरा उजड़े दयार में | ||
पंक्ति 57: | पंक्ति 57: | ||
उम्र-ए-दराज़ माँग कर लाये थे चार दिन | उम्र-ए-दराज़ माँग कर लाये थे चार दिन | ||
दो आरज़ू में कट गये दो इन्तज़ार में | दो आरज़ू में कट गये दो इन्तज़ार में | ||
दिन | दिन ज़िंदगी के ख़त्म हुए शाम हो गई | ||
फैला के पाँव सोयेंगे कुंजे मज़ार में | फैला के पाँव सोयेंगे कुंजे मज़ार में | ||
कितना है बदनसीब "ज़फ़र" दफ़्न के लिये | कितना है बदनसीब "ज़फ़र" दफ़्न के लिये | ||
पंक्ति 64: | पंक्ति 64: | ||
==निधन== | ==निधन== | ||
मुल्क से अंग्रेजों को भगाने का सपना लिए [[7 नवंबर]] 1862 को उनका निधन हो गया। बहादुर शाह ज़फ़र की मृत्यु 86 वर्ष की अवस्था में [[रंगून]] (वर्तमान [[यांगून]]), [[बर्मा]] (वर्तमान [[म्यांमार]]) में हुई थी। उन्हें रंगून में श्वेडागोन पैगोडा के नजदीक दफनाया गया। उनके दफन स्थल को अब बहादुर शाह जफर दरगाह के नाम से जाना जाता है। लोगों के दिल में उनके लिए कितना सम्मान था उसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हिंदुस्तान में जहां कई जगह सड़कों का नाम उनके नाम पर रखा गया है, वहीं पाकिस्तान के लाहौर शहर में भी उनके नाम पर एक सड़क का नाम रखा गया है। [[बांग्लादेश]] के ओल्ड ढाका शहर स्थित विक्टोरिया पार्क का नाम बदलकर बहादुर शाह जफर पार्क कर दिया गया है।" जिस दिन बहादुरशाह ज़फ़र का निधन हुआ उसी दिन उनके दो बेटों और पोते को भी गिरफ़्तार करके गोली मार दी गई। इस प्रकार बादशाह [[बाबर]] ने जिस [[मुग़ल]] वंश की स्थापना [[भारत]] में की थी, उसका अंत हो गया। | मुल्क से अंग्रेजों को भगाने का सपना लिए [[7 नवंबर]] 1862 को उनका निधन हो गया। बहादुर शाह ज़फ़र की मृत्यु 86 वर्ष की अवस्था में [[रंगून]] (वर्तमान [[यांगून]]), [[बर्मा]] (वर्तमान [[म्यांमार]]) में हुई थी। उन्हें रंगून में श्वेडागोन पैगोडा के नजदीक दफनाया गया। उनके दफन स्थल को अब बहादुर शाह जफर दरगाह के नाम से जाना जाता है। लोगों के दिल में उनके लिए कितना सम्मान था उसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हिंदुस्तान में जहां कई जगह सड़कों का नाम उनके नाम पर रखा गया है, वहीं पाकिस्तान के लाहौर शहर में भी उनके नाम पर एक सड़क का नाम रखा गया है। [[बांग्लादेश]] के ओल्ड ढाका शहर स्थित विक्टोरिया पार्क का नाम बदलकर बहादुर शाह जफर पार्क कर दिया गया है।" जिस दिन बहादुरशाह ज़फ़र का निधन हुआ उसी दिन उनके दो बेटों और पोते को भी गिरफ़्तार करके गोली मार दी गई। इस प्रकार बादशाह [[बाबर]] ने जिस [[मुग़ल]] वंश की स्थापना [[भारत]] में की थी, उसका अंत हो गया। | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक3|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}} | |||
{{लेख प्रगति | |||
|आधार= | |||
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक3 | |||
|माध्यमिक= | |||
|पूर्णता= | |||
|शोध= | |||
}} | |||
<references/> | <references/> | ||
==बाहरी कड़ियाँ== | ==बाहरी कड़ियाँ== | ||
*[http://www.kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%AC%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A5%81%E0%A4%B0_%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%B9_%E0%A4%9C%E0%A4%BC%E0%A4%AB%E0%A4%BC%E0%A4%B0 बहादुर शाह ज़फ़र की रचनाएँ] | *[http://www.kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%AC%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A5%81%E0%A4%B0_%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%B9_%E0%A4%9C%E0%A4%BC%E0%A4%AB%E0%A4%BC%E0%A4%B0 बहादुर शाह ज़फ़र की रचनाएँ] | ||
*[http://www.kranti1857.org/krantikari.php#bhadur_shah_jafar बहादुर शाह ज़फ़र] | *[http://www.kranti1857.org/krantikari.php#bhadur_shah_jafar बहादुर शाह ज़फ़र] | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{मुग़ल साम्राज्य}}{{मध्य काल}} | {{मुग़ल साम्राज्य}}{{मध्य काल}} | ||
[[Category: | [[Category:मुग़ल_साम्राज्य]][[Category:मध्य काल]][[Category:औपनिवेशिक काल]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]][[Category:अंग्रेज़ी शासन]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:चरित कोश]][[Category:इतिहास कोश]] | ||
[[Category: | |||
[[Category: | |||
[[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]] | |||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
__NOTOC__ | __NOTOC__ |
08:04, 2 मई 2020 के समय का अवतरण
बहादुर शाह ज़फ़र
| |
पूरा नाम | अबु ज़फ़र सिराजुद्दीन महम्मद बहादुर शाह ज़फ़र |
अन्य नाम | बहादुरशाह द्वितीय |
जन्म | 24 अक्तूबर सन् 1775 |
जन्म भूमि | दिल्ली |
मृत्यु तिथि | 7 नवंबर, 1862 |
मृत्यु स्थान | रंगून, बर्मा |
पिता/माता | अकबर शाह द्वितीय और लालबाई |
पति/पत्नी | 4 (अशरफ़ महल, अख़्तर महल, ज़ीनत महल, ताज महल) |
राज्य सीमा | उत्तर और मध्य भारत |
शासन काल | 28 सितंबर 1837 – 14 सितंबर 1857 |
शा. अवधि | 19 वर्ष |
धार्मिक मान्यता | इस्लाम, सूफ़ी |
पूर्वाधिकारी | अकबर शाह द्वितीय |
उत्तराधिकारी | मुग़ल साम्राज्य समाप्त |
वंश | मुग़ल वंश |
अन्य जानकारी | बहादुर शाह ज़फ़र एक कवि, संगीतकार व खुशनवीस थे और राजनीतिक नेता के बजाय सौंदर्यानुरागी व्यक्ति अधिक थे। |
बहादुर शाह ज़फ़र (अंग्रेज़ी: Bahadur Shah Zafar, जन्म: 24 अक्तूबर सन् 1775 ई.; मृत्यु: 7 नवंबर सन् 1862 ई.) मुग़ल साम्राज्य के अंतिम बादशाह थे। इनका शासनकाल 1837-57 तक था। बहादुर शाह ज़फ़र एक कवि, संगीतकार व खुशनवीस थे और राजनीतिक नेता के बजाय सौंदर्यानुरागी व्यक्ति अधिक थे।
जीवन परिचय
बहादुर शाह ज़फ़र का जन्म 24 अक्तूबर सन् 1775 ई. को दिल्ली में हुआ था। बहादुर शाह अकबर शाह द्वितीय और लालबाई के दूसरे पुत्र थे। उनकी माँ लालबाई हिंदू परिवार से थीं। 1857 में जब हिंदुस्तान की आजादी की चिंगारी भड़की तो सभी विद्रोही सैनिकों और राजा-महाराजाओं ने उन्हें हिंदुस्तान का सम्राट माना और उनके नेतृत्व में अंग्रेजों की ईट से ईट बजा दी। अंग्रेजों के ख़िलाफ़ भारतीय सैनिकों की बगावत को देख बहादुर शाह जफर का भी गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने अंग्रेजों को हिंदुस्तान से खदेड़ने का आह्वान कर डाला। भारतीयों ने दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में अंग्रेजों को कड़ी शिकस्त दी। अपने शासनकाल के अधिकांश समय उनके पास वास्तविक सत्ता नहीं रही और वह अंग्रेज़ों पर आश्रित रहे। 1857 ई. में स्वतंत्रता संग्राम शुरू होने के समय बहादुर शाह 82 वर्ष के बूढे थे, और स्वयं निर्णय लेने की क्षमता को खो चुके थे। सितम्बर 1857 ई. में अंग्रेज़ों ने दुबारा दिल्ली पर क़ब्ज़ा जमा लिया और बहादुर शाह द्वितीय को गिरफ़्तार करके उन पर मुक़दमा चलाया गया तथा उन्हें रंगून निर्वासित कर दिया गया।
प्रसिद्ध उर्दू कवि
बहादुर शाह ज़फ़र सिर्फ एक देशभक्त मुग़ल बादशाह ही नहीं बल्कि उर्दू के प्रसिद्ध कवि भी थे। उन्होंने बहुत सी मशहूर उर्दू कविताएं लिखीं, जिनमें से काफ़ी अंग्रेजों के ख़िलाफ़ बगावत के समय मची उथल-पुथल के दौरान खो गई या नष्ट हो गई। उनके द्वारा उर्दू में लिखी गई पंक्तियां भी काफ़ी मशहूर हैं-
हिंदिओं में बू रहेगी जब तलक ईमान की।
तख्त ए लंदन तक चलेगी तेग हिंदुस्तान की।।
हिन्दुस्तान से बाहर रंगून में भी उनकी उर्दू कविताओं का जलवा जारी रहा। वहां उन्हें हर वक्त हिंदुस्तान की फ़िक्र रही। उनकी अंतिम इच्छा थी कि वह अपने जीवन की अंतिम सांस हिंदुस्तान में ही लें और वहीं उन्हें दफनाया जाए लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।
ज़फ़र की एक कविता
लगता नहीं है जी मेरा उजड़े दयार में
किस की बनी है आलम-ए-नापायेदार में
बुलबुल को बागबां से न सैय्याद से गिला
किस्मत में कैद थी लिखी फ़स्ले बहार में
कह दो इन हसरतों से कहीं और जा बसें
इतनी जगह कहाँ है दिल-ए-दाग़दार में
इक शाख़-ए-गुल पे बैठ के बुलबुल है शादमां
कांटे बिछा दिए हैं दिल-ए-लालाज़ार में
उम्र-ए-दराज़ माँग कर लाये थे चार दिन
दो आरज़ू में कट गये दो इन्तज़ार में
दिन ज़िंदगी के ख़त्म हुए शाम हो गई
फैला के पाँव सोयेंगे कुंजे मज़ार में
कितना है बदनसीब "ज़फ़र" दफ़्न के लिये
दो गज़ ज़मीन भी न मिली कू-ए-यार में
निधन
मुल्क से अंग्रेजों को भगाने का सपना लिए 7 नवंबर 1862 को उनका निधन हो गया। बहादुर शाह ज़फ़र की मृत्यु 86 वर्ष की अवस्था में रंगून (वर्तमान यांगून), बर्मा (वर्तमान म्यांमार) में हुई थी। उन्हें रंगून में श्वेडागोन पैगोडा के नजदीक दफनाया गया। उनके दफन स्थल को अब बहादुर शाह जफर दरगाह के नाम से जाना जाता है। लोगों के दिल में उनके लिए कितना सम्मान था उसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हिंदुस्तान में जहां कई जगह सड़कों का नाम उनके नाम पर रखा गया है, वहीं पाकिस्तान के लाहौर शहर में भी उनके नाम पर एक सड़क का नाम रखा गया है। बांग्लादेश के ओल्ड ढाका शहर स्थित विक्टोरिया पार्क का नाम बदलकर बहादुर शाह जफर पार्क कर दिया गया है।" जिस दिन बहादुरशाह ज़फ़र का निधन हुआ उसी दिन उनके दो बेटों और पोते को भी गिरफ़्तार करके गोली मार दी गई। इस प्रकार बादशाह बाबर ने जिस मुग़ल वंश की स्थापना भारत में की थी, उसका अंत हो गया।
|
|
|
|
|
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख