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'''राम नारायण''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Ram Narayan'', जन्म- [[25 दिसंबर]], [[1927]], [[उदयपुर]], [[राजस्तान]]) हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीतकार हैं जो गज (कमानी वाला) यंत्र, [[सारंगी]] बजाते हैं। उन्हें सारंगी को एक एकल शास्त्रीय [[वाद्य यंत्र]] के रूप में प्रसिद्ध करने का श्रेय जाता है। राम नारायण जी का [[परिवार]] एक लंबे समय से दरबारी संगीतकारों से संबंध रखता है। उन्होंने अपना आरंभिक प्रशिक्षण अपने [[पिता]] से लिया। उन्होंने बहुत कम उम्र में ही ध्रुपद सीखा और [[लखनऊ]] के गायक माधव प्रसाद से ख्याल सीखा। बाद में [[लाहौर]] के ख्याल गायक अब्दुल वाहिद खान से रागों का प्रशिक्षण लिया। हालांकि राम नारायण की शैली परंपरागत मानी गई है, एकल यंत्र एवं [[संगीत]] प्रशिक्षण का उनका चुनाव काफी अपरंपरागत है। पार्श्व में प्रयोग किये जाने वाले वाद्य यंत्र सारंगी को उन्होंने हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में अग्र स्थान दिलवाया है।<ref>{{cite web |url=https://www.indianculture.gov.in/hi/intangible-cultural-heritage/performing-arts/pandaita-raama-naaraayana |title=राम नारायण|accessmonthday=17 दिसंबर|accessyear=2020 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=indianculture.gov.in |language=हिंदी}}</ref>
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==परिचय==
==परिचय==
पंडित राम नारायण का जन्म उदयपुर के पास हुआ। छोटी आयु में ही उन्होंने सारंगी वादन की शिक्षा प्राप्त की। सारंगी के विभिन्न शिक्षकों और गायकों से शिक्षा प्राप्त राम नारायण ने किशोरावस्था में ही संगीत शिक्षक और यात्रा संगीतकार के रूप में कार्य किया। आकाशवाणी, लाहौर ने उनको [[1944]] में गायकों के संगतकार के रूप में रखा। उन्हें हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत में एकल संगीत सारंगी वादन ने लोकप्रिय बनाया और वे प्रथम अन्तरराष्ट्रीय सारंगीवादक बने।
पंडित राम नारायण का जन्म उदयपुर के पास हुआ। छोटी आयु में ही उन्होंने सारंगी वादन की शिक्षा प्राप्त की। सारंगी के विभिन्न शिक्षकों और गायकों से शिक्षा प्राप्त राम नारायण ने किशोरावस्था में ही संगीत शिक्षक और यात्रा संगीतकार के रूप में कार्य किया। आकाशवाणी, लाहौर ने उनको [[1944]] में गायकों के संगतकार के रूप में रखा। उन्हें हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत में एकल संगीत सारंगी वादन ने लोकप्रिय बनाया और वे प्रथम अन्तरराष्ट्रीय सारंगीवादक बने।
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==मुम्बई आगमन==
==मुम्बई आगमन==
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राम नारायण [[1947]] में [[भारत विभाजन|भारत के विभाजन]] के समय [[दिल्ली]] आ गये, लेकिन संगतकार की भूमिका से आगे बढ़ने के स्थान पर सहायक भूमिका में निराश होकर वे [[1949]] में भारतीय सिनेमा के लिए काम करने [[मुम्बई]] चले गये।
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पंडित राम नारायणसन [[1954]] में एक असफल प्रयास के बाद [[1956]] में सहवादन एकल कलाकार बने और तत्पश्चात संगत को त्याग दिया। उन्होंने एकल एलबम अभिलिखित किया। [[1960]] में [[अमेरिका]] और [[यूरोप]] की यात्रा आरम्भ कर दी। पंडित राम नारायण ने भारतीय और विदेशी छात्रों को शिक्षा दी और [[2000]] के दशक में [[भारत]] से बाहर भी प्रस्तुतियाँ दीं।
पंडित राम नारायणसन [[1954]] में एक असफल प्रयास के बाद [[1956]] में सहवादन एकल कलाकार बने और तत्पश्चात संगत को त्याग दिया। उन्होंने एकल एलबम अभिलिखित किया। [[1960]] में [[अमेरिका]] और [[यूरोप]] की यात्रा आरम्भ कर दी। पंडित राम नारायण ने भारतीय और विदेशी छात्रों को शिक्षा दी और [[2000]] के दशक में [[भारत]] से बाहर भी प्रस्तुतियाँ दीं।
==सम्मान==
==सम्मान==
वर्ष [[2005]] में पंडित राम नारायण को द्वितीय सर्वोच्च नागरीक सम्मान '[[पद्म विभूषण]]' से सम्मानित किया गया।
*वर्ष [[2005]] में पंडित राम नारायण को द्वितीय सर्वोच्च नागरीक सम्मान '[[पद्म विभूषण]]' से सम्मानित किया गया।
*[[सारंगी वादक]] उस्ताद पंडित राम नारायण को [[3 फ़रवरी]], [[2016]] को [[भारत रत्न]] 'पंडित भीमसेन जोशी शास्त्रीय संगीत पुरस्कार' ([[2015]]-[[2016|16]]) के लिए भी चुना गया था। उनका चयन [[महाराष्ट्र]] के सांस्कृतिक मामलों के मंत्री विनोद तावडे द्वारा [[मुंबई]] में किया गया।<ref>{{cite web |url=https://www.jagranjosh.com/current-affairs/%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A5%80-%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A4%95-%E0%A4%AA%E0%A4%82%E0%A4%A1%E0%A4%BF%E0%A4%A4-%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AE-%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%A3-%E0%A4%95%E0%A5%8B-%E0%A4%AD%E0%A5%80%E0%A4%AE%E0%A4%B8%E0%A5%87%E0%A4%A8-%E0%A4%9C%E0%A5%8B%E0%A4%B6%E0%A5%80-%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%8F-%E0%A4%9A%E0%A4%AF%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%A4-%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE-%E0%A4%97%E0%A4%AF%E0%A4%BE-1454562039-2 |title=सारंगी वादक पंडित राम नारायण को भीमसेन जोशी पुरस्कार के लिए चयनित किया गया|accessmonthday=17 दिसंबर|accessyear=2020 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=indianculture.gov.in |language=हिंदी}}</ref>


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राम नारायण
राम नारायण
राम नारायण
पूरा नाम पंडित राम नारायण
जन्म 25 दिसंबर, 1927
जन्म भूमि उदयपुर, राजस्थान
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र शास्त्रीय संगीतकार
प्रसिद्धि सारंगीवादक
नागरिकता भारतीय
शैली हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत
सक्रियता 1944 से
अन्य जानकारी राम नारायण जी ने कम उम्र में ही ध्रुपद सीखा और लखनऊ के गायक माधव प्रसाद से ख्याल सीखा। बाद में लाहौर के ख्याल गायक अब्दुल वाहिद खान से रागों का प्रशिक्षण लिया।

राम नारायण (अंग्रेज़ी: Ram Narayan, जन्म- 25 दिसंबर, 1927, उदयपुर, राजस्थान) हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीतकार हैं जो गज (कमानी वाला) यंत्र, सारंगी बजाते हैं। उन्हें सारंगी को एक एकल शास्त्रीय वाद्य यंत्र के रूप में प्रसिद्ध करने का श्रेय जाता है। राम नारायण जी का परिवार एक लंबे समय से दरबारी संगीतकारों से संबंध रखता है। उन्होंने अपना आरंभिक प्रशिक्षण अपने पिता से लिया। उन्होंने बहुत कम उम्र में ही ध्रुपद सीखा और लखनऊ के गायक माधव प्रसाद से ख्याल सीखा। बाद में लाहौर के ख्याल गायक अब्दुल वाहिद खान से रागों का प्रशिक्षण लिया। हालांकि राम नारायण की शैली परंपरागत मानी गई है, एकल यंत्र एवं संगीत प्रशिक्षण का उनका चुनाव काफी अपरंपरागत है। पार्श्व में प्रयोग किये जाने वाले वाद्य यंत्र सारंगी को उन्होंने हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में अग्र स्थान दिलवाया है।[1]

परिचय

पंडित राम नारायण का जन्म उदयपुर के पास हुआ। छोटी आयु में ही उन्होंने सारंगी वादन की शिक्षा प्राप्त की। सारंगी के विभिन्न शिक्षकों और गायकों से शिक्षा प्राप्त राम नारायण ने किशोरावस्था में ही संगीत शिक्षक और यात्रा संगीतकार के रूप में कार्य किया। आकाशवाणी, लाहौर ने उनको 1944 में गायकों के संगतकार के रूप में रखा। उन्हें हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत में एकल संगीत सारंगी वादन ने लोकप्रिय बनाया और वे प्रथम अन्तरराष्ट्रीय सारंगीवादक बने।

पंडित राम नारायण

मुम्बई आगमन

राम नारायण 1947 में भारत के विभाजन के समय दिल्ली आ गये, लेकिन संगतकार की भूमिका से आगे बढ़ने के स्थान पर सहायक भूमिका में निराश होकर वे 1949 में भारतीय सिनेमा के लिए काम करने मुम्बई चले गये।

विदेश यात्रा

पंडित राम नारायणसन 1954 में एक असफल प्रयास के बाद 1956 में सहवादन एकल कलाकार बने और तत्पश्चात संगत को त्याग दिया। उन्होंने एकल एलबम अभिलिखित किया। 1960 में अमेरिका और यूरोप की यात्रा आरम्भ कर दी। पंडित राम नारायण ने भारतीय और विदेशी छात्रों को शिक्षा दी और 2000 के दशक में भारत से बाहर भी प्रस्तुतियाँ दीं।

सम्मान


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. राम नारायण (हिंदी) indianculture.gov.in। अभिगमन तिथि: 17 दिसंबर, 2020।
  2. सारंगी वादक पंडित राम नारायण को भीमसेन जोशी पुरस्कार के लिए चयनित किया गया (हिंदी) indianculture.gov.in। अभिगमन तिथि: 17 दिसंबर, 2020।

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