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'''ख़याल''' या '''ख़्याल''' हिंदूस्तानी [[संगीत]] में, हिंदी गीत पर आधारित दो हिस्सों वाली संगीत शैली है, जो रागात्मक एवं लयात्मक आशु गायन के विस्तारित चक्रों के बीच पुनरावृत्त होती है।  
'''ख़याल''' या '''ख़्याल''' हिंदूस्तानी [[संगीत]] में, हिंदी गीत पर आधारित दो हिस्सों वाली संगीत शैली है, जो रागात्मक एवं लयात्मक आशु गायन के विस्तारित चक्रों के बीच पुनरावृत्त होती है।  
*मानक प्रदर्शन में एक ही [[राग]] में एक विलंबित (धीमा) ख़याल के बाद एक द्रुत (तेज) ख़याल आता है।  
*मानक प्रदर्शन में एक ही [[राग]] में एक विलम्बित (धीमा) ख़याल के बाद एक द्रुत (तेज) ख़याल आता है।  
*ख़याल की [[ध्रुपद]] लंबी रागात्मक शैली से संबद्ध है, लेकिन इसमें कम प्रतिबंध हैं।  
*ख़याल की [[ध्रुपद]] लंबी रागात्मक शैली से संबद्ध है, लेकिन इसमें कम प्रतिबंध हैं।  
*इसके साथ विविध तालों में [[तबला]] एवं [[तानपुरा]] संगत करते हैं।  
*इसके साथ विविध तालों में [[तबला]] एवं [[तानपुरा]] संगत करते हैं।  
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==बाहरी कड़ियाँ==
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*[http://shodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/112039/4/04_chapter%201.pdf ख़्याल शैली का अभिप्राय एवं उद्गम]
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
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09:04, 10 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण

ख़याल या ख़्याल हिंदूस्तानी संगीत में, हिंदी गीत पर आधारित दो हिस्सों वाली संगीत शैली है, जो रागात्मक एवं लयात्मक आशु गायन के विस्तारित चक्रों के बीच पुनरावृत्त होती है।

  • मानक प्रदर्शन में एक ही राग में एक विलम्बित (धीमा) ख़याल के बाद एक द्रुत (तेज) ख़याल आता है।
  • ख़याल की ध्रुपद लंबी रागात्मक शैली से संबद्ध है, लेकिन इसमें कम प्रतिबंध हैं।
  • इसके साथ विविध तालों में तबला एवं तानपुरा संगत करते हैं।


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