कन्हैया गीत

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कन्हैया गीत राजस्थान के पूर्वी भाग में विशेषकर मीणा समुदाय में प्रचलित सामूहिक गायन है, जिसे नौबत, घेरा, मंजीरा, ढोलक नामक वाद्य यंत्रों की मदद से गाया जाता है। पूर्वी भाग में ये लोगो के बीच आपसी भाईचारे और बंधुत्व को बढ़ाने में एक अनुकरणीय योगदान देता है।

  • कन्हैया गीतों को एक निश्चित प्रारूप में बहुत सारे लोग एक घेरा बनाकर गाते हैं। इनको निर्देश देने के लिए बीच में कुछ मुख्य कलाकार खड़े रहते हैं, जिनको 'मेडिया' कहा जाता है। ये मुख्य कलाकार होते हैं जो गीत के बीच में बोल देते हैं और गीत के प्रवाह को तय करते हैं।
  • सामान्यतः एक दल में दो मेडिया होते हैं, जो बारी-बारी से बोल उठाकर अपनी तरफ के लोगो को गीत के प्रवाह से जोड़ते हैं।
  • कन्हैया गीतों के आयोजन जिसमें दो या दो से अधिक दलों के बीच कन्हैया गीतों का मुकाबला होता है, कन्हैया दंगल कहलाता है। इसका आयोजन ज्यादातर पूरे गाँव के मध्य होता है। इसमें भाग लेने के लिए दो या दो से अधिक गाँवो को निमंत्रण भेजा जाता है, जिसको कागज़ भेजना कहा जाता है। यदि दूसरा गाँव भाग लेने पर सहमत हो जाता है तो उसे 'कागज लेना' कहते हैं और अगर सहमत नहीं होता तो कहा जाता है कि उस गाँव ने 'कागज़ झेलने' से मना कर दिया।


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