"विश्व हृदय दिवस": अवतरणों में अंतर

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'''विश्व हृदय दिवस''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''World Heart Day'') प्रत्येक वर्ष '[[29 सितम्बर]]' को मनाया जाता है। अव्यवस्थित जीवन शैली और असंतुलित खानपान के चलते दुनिया भर में [[हृदय]] रोग के पीड़ितों की संख्या तेज़ीसे बढ़ी है। भागती-दौड़ती जिंदगी में लोगों को अपने स्वास्थ्य की ओर ध्यान देने का मौका नहीं मिलता, जिसका उन्हें भारी खामियाजा चुकाना पड़ता है। हृदय रोग विशेषज्ञों के अनुसार दिल की बीमारी किसी भी उम्र में किसी को भी हो सकती है, इसके लिए कोई निर्धारित उम्र नहीं होती। महिलाओं में हृदय रोग की संभावनाएं ज्यादा होती हैं, बावजूद इसके वे इस बीमारी के जोखिमों को नजरअंदाज़कर देती हैं। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में एक दिल ही है, जिस पर सबसे अधिक बोझ पड़ता है। तनाव, थकान, [[प्रदूषण]] आदि कई वजहों से [[रक्त]] का आदान-प्रदान करने वाले इस अति महत्वपूर्ण अंग को अपना काम करने में मुश्किल होती है, इसीलिए 'विश्व हृदय दिवस' लोगों में यह भावना जागृत करता है कि वे हृदय की बीमारियों के प्रति सचेत रहें।
'''विश्व हृदय दिवस''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''World Heart Day'') प्रत्येक वर्ष '[[29 सितम्बर]]' को मनाया जाता है। अव्यवस्थित जीवन शैली और असंतुलित खानपान के चलते दुनिया भर में [[हृदय]] रोग के पीड़ितों की संख्या तेजी से बढ़ी है। भागती-दौड़ती जिंदगी में लोगों को अपने स्वास्थ्य की ओर ध्यान देने का मौका नहीं मिलता, जिसका उन्हें भारी खामियाजा चुकाना पड़ता है। हृदय रोग विशेषज्ञों के अनुसार दिल की बीमारी किसी भी उम्र में किसी को भी हो सकती है, इसके लिए कोई निर्धारित उम्र नहीं होती। महिलाओं में हृदय रोग की संभावनाएं ज्यादा होती हैं, बावजूद इसके वे इस बीमारी के जोखिमों को नजरअंदाज कर देती हैं। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में एक दिल ही है, जिस पर सबसे अधिक बोझ पड़ता है। तनाव, थकान, [[प्रदूषण]] आदि कई वजहों से [[रक्त]] का आदान-प्रदान करने वाले इस अति महत्वपूर्ण अंग को अपना काम करने में मुश्किल होती है, इसीलिए 'विश्व हृदय दिवस' लोगों में यह भावना जागृत करता है कि वे हृदय की बीमारियों के प्रति सचेत रहें।
==शुरुआत==
==शुरुआत==
दुनिया भर में हर साल होने वाली 29 प्रतिशत मौतों की एक प्रमुख वजह हृदय की बीमारियां और हृदयाघात हैं। हृदय की बीमारियों और दिल के दौरे से हर साल 1.71 करोड़ से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है। आम लोगों को इन बीमारियों व दिल के स्वास्थ्य का ख़ास ख्याल रखने के प्रति जागरुक करने के मकसद से [[वर्ष]] [[2000]] में 'विश्व हृदय दिवस' मनाने की शुरुआत की गई। अब तक [[सितम्बर]] के अंतिम [[रविवार]] को 'विश्व हृदय दिवस' मनाया जाता रहा था, लेकिन 2014 से इसे [[29 सितम्बर]] के दिन ही मनाया जाएगा। 'विश्व स्वास्थ्य संगठन' (डब्ल्यूएचओ) की भागीदारी से स्वयंसेवी संगठन 'वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन' हर साल 'विश्व हृदय दिवस' मनाता है।<ref>{{cite web |url= http://khabar.ibnlive.in.com/latest-news/video/World-Heart-Day-Making-Heart-Healthy-Choices-With-The-Family-1206692-0.html?ref=hindi.in.com|title= विश्व हृदय दिवस आज, धुएँ में न उड़ाएँ दिल|accessmonthday= 29 सितम्बर|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= हॉट टॉपिक्स|language= हिन्दी}}</ref>  बढ़ते हृदय रोगों की संख्या और पीड़ितों की वजह से ही संयुक्त राष्ट्र ने साल [[2000]] से हर साल [[29 सितंबर]] को 'विश्व हृदय दिवस' के रूप में मनाने का निर्णय लिया। साल [[2009]] और [[2010]] में संयुक्त राष्ट्र ने 'विश्व हृदय दिवस' की थीम 'ऑफिस में हृदय स्वास्थ' थी और इस साल इसकी थीम है 'वन वर्ल्ड, वन होम, वन हर्ट' यानि 'एक संसार, एक घर और एक दिल', जिसके द्वारा संयुक्त राष्ट्र हर व्यक्ति को अपने हृदय के प्रति जागरूक बनाना चाहता है।<ref>{{cite web |url= http://days.jagranjunction.com/2011/09/29/world-heart-day-2011/|title= विश्व हृदय दिवस 2011 : एक संसार, एक घर और एक दिल|accessmonthday= 29 सितम्बर|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= जागरण जंक्शन|language= हिन्दी}}</ref>
दुनिया भर में हर साल होने वाली 29 प्रतिशत मौतों की एक प्रमुख वजह [[हृदय]] की बीमारियां और हृदयाघात हैं। हृदय की बीमारियों और दिल के दौरे से हर साल 1.71 करोड़ से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है। आम लोगों को इन बीमारियों व दिल के स्वास्थ्य का ख़ास ख्याल रखने के प्रति जागरुक करने के मकसद से [[वर्ष]] [[2000]] में 'विश्व हृदय दिवस' मनाने की शुरुआत की गई। अब तक [[सितम्बर]] के अंतिम [[रविवार]] को 'विश्व हृदय दिवस' मनाया जाता रहा था, लेकिन 2014 से इसे [[29 सितम्बर]] के दिन ही मनाया जाएगा। 'विश्व स्वास्थ्य संगठन' (डब्ल्यूएचओ) की भागीदारी से स्वयंसेवी संगठन 'वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन' हर साल 'विश्व हृदय दिवस' मनाता है।<ref>{{cite web |url= http://khabar.ibnlive.in.com/latest-news/video/World-Heart-Day-Making-Heart-Healthy-Choices-With-The-Family-1206692-0.html?ref=hindi.in.com|title= विश्व हृदय दिवस आज, धुएँ में न उड़ाएँ दिल|accessmonthday= 29 सितम्बर|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= हॉट टॉपिक्स|language= हिन्दी}}</ref>  बढ़ते हृदय रोगों की संख्या और पीड़ितों की वजह से ही संयुक्त राष्ट्र ने साल [[2000]] से हर साल [[29 सितंबर]] को 'विश्व हृदय दिवस' के रूप में मनाने का निर्णय लिया। साल [[2009]] और [[2010]] में संयुक्त राष्ट्र ने 'विश्व हृदय दिवस' की थीम 'ऑफिस में हृदय स्वास्थ' थी और इस साल इसकी थीम है 'वन वर्ल्ड, वन होम, वन हर्ट' यानि 'एक संसार, एक घर और एक दिल', जिसके द्वारा संयुक्त राष्ट्र हर व्यक्ति को अपने हृदय के प्रति जागरूक बनाना चाहता है।<ref>{{cite web |url= http://days.jagranjunction.com/2011/09/29/world-heart-day-2011/|title= विश्व हृदय दिवस 2011 : एक संसार, एक घर और एक दिल|accessmonthday= 29 सितम्बर|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= जागरण जंक्शन|language= हिन्दी}}</ref>
==उद्देश्य==
==उद्देश्य==
हृदय रोग पूरे विश्व में आज एक गंभीर बीमारी के तौर पर उभरा है। हर साल 'विश्व हृदय दिवस' के माध्यम से पूरे विश्व के लोगों में इसके बारे में जागरूकता फैलाई जाती है। अपने देश में तो अब कम उम्र के लोग भी इस बीमारी के शिकार हो रहे हैं। इस बीमारी की सबसे बड़ी वजहों में से एक है 'तनाव'। तनाव [[हृदय]] का सबसे बड़ा दुश्मन है। आज की भागदौड़ वाली जीवन शैली में लोगों में तनाव कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है। इसलिए इस बीमारी से पूरी तरह बचना तो मुश्किल है, लेकिन जहां तक संभव हो, इससे दूरी बनाए रखनी चाहिए।
हृदय रोग पूरे विश्व में आज एक गंभीर बीमारी के तौर पर उभरा है। हर साल 'विश्व हृदय दिवस' के माध्यम से पूरे विश्व के लोगों में इसके बारे में जागरूकता फैलाई जाती है। अपने देश में तो अब कम उम्र के लोग भी इस बीमारी के शिकार हो रहे हैं। इस बीमारी की सबसे बड़ी वजहों में से एक है 'तनाव'। तनाव [[हृदय]] का सबसे बड़ा दुश्मन है। आज की भागदौड़ वाली जीवन शैली में लोगों में तनाव कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है। इसलिए इस बीमारी से पूरी तरह बचना तो मुश्किल है, लेकिन जहां तक संभव हो, इससे दूरी बनाए रखनी चाहिए।


तनाव के समय आवश्यकता होती है कि हम अपने हृदय की आवाज सुनें, हृदय को दुरुस्त रखने के लिए तनाव दूर भगाएं। तनाव के कारण [[मस्तिष्क]] से जो रसायन स्रावित होते हैं, वे हृदय की पूरी प्रणाली खराब कर देते हैं। तनाव से उबरने के लिए योग का भी सहारा लिया जा सकता है। हृदय हमारे शरीर का ऐसा अंग है, जो लगातार पंप करता है और पूरे शरीर में रक्त प्रवाह को संचालित करता है। हृदय संचार प्रणाली के मध्य में होता है और धमनियों और नसों जैसी रक्त वाहिनियां अशुद्ध [[रक्त]] को शरीर के हर भाग से हृदय तक ले जाती हैं और शुद्ध रक्त को हृदय से शरीर के हर भाग तक पहुंचाती हैं।
तनाव के समय आवश्यकता होती है कि हम अपने हृदय की आवाज सुनें, हृदय को दुरुस्त रखने के लिए तनाव दूर भगाएं। तनाव के कारण [[मस्तिष्क]] से जो रसायन स्रावित होते हैं, वे हृदय की पूरी प्रणाली खराब कर देते हैं। तनाव से उबरने के लिए योग का भी सहारा लिया जा सकता है। हृदय हमारे [[मानव शरीर|शरीर]] का ऐसा अंग है, जो लगातार पंप करता है और पूरे शरीर में रक्त प्रवाह को संचालित करता है। हृदय संचार प्रणाली के मध्य में होता है और धमनियों और नसों जैसी रक्त वाहिनियां अशुद्ध [[रक्त]] को शरीर के हर भाग से हृदय तक ले जाती हैं और शुद्ध रक्त को हृदय से शरीर के हर भाग तक पहुंचाती हैं।
==हृदय के रोग==
==हृदय के रोग==
आज युवाओं में हृदयाघात और हृदय की बीमारियों की बढ़ती संख्या चिंता का विषय बन रही हैं। पहले जहां 30 से 40 [[वर्ष]] तक के बीच हृदय की समस्याएं आंकी जाती थीं, आज यह 20 वर्ष से कम उम्र के लोगों में भी होने लगी हैं। ऐसे में [[हृदय]] की समस्याओं से बचने का एक ही उपाय है कि आप खुद अपनी कुछ सामान्य जांच करें और हृदय संबंधी सामान्य समस्याओं को भी गंभीरता से लें। हृदय के साथ होने वाली छेड़छाड़ का ही नतीजा है कि आज विश्व भर में कई तरह के हृदय रोग देखने को मिल रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार [[भारत]] में 10.2 करोड़ लोग दिल के मरीज हैं। पूरी दुनियां में 1.73 करोड़ लोग हर [[वर्ष]] इस बीमारी के शिकार होकर मर जाते हैं। यदि हालातों पर काबू नहीं किया गया तो 2020 तक हर तीसरे व्यक्ति की मौत हृदय रोग से होगी। माना जाता है कि उच्च रक्त चाप '[[मधुमेह]] (डाइबिटीज) का सही नियंत्रण न करने एवं गुस्सा या चिंता अधिक करने वाले लोगों को जल्द हृदयाघात होने की आशंका होती है। इसलिए इससे बचाव के लिए काफी कुछ परहेज रखने की जरुरत है।
आज युवाओं में हृदयाघात और हृदय की बीमारियों की बढ़ती संख्या चिंता का विषय बन रही हैं। पहले जहां 30 से 40 [[वर्ष]] तक के बीच हृदय की समस्याएं आंकी जाती थीं, आज यह 20 वर्ष से कम उम्र के लोगों में भी होने लगी हैं। ऐसे में [[हृदय]] की समस्याओं से बचने का एक ही उपाय है कि आप खुद अपनी कुछ सामान्य जांच करें और हृदय संबंधी सामान्य समस्याओं को भी गंभीरता से लें। हृदय के साथ होने वाली छेड़छाड़ का ही नतीजा है कि आज विश्व भर में कई तरह के हृदय रोग देखने को मिल रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार [[भारत]] में 10.2 करोड़ लोग दिल के मरीज हैं। पूरी दुनिया में 1.73 करोड़ लोग हर [[वर्ष]] इस बीमारी के शिकार होकर मर जाते हैं। यदि हालातों पर काबू नहीं किया गया तो 2020 तक हर तीसरे व्यक्ति की मौत हृदय रोग से होगी। माना जाता है कि उच्च रक्त चाप '[[मधुमेह]] (डाइबिटीज) का सही नियंत्रण न करने एवं गुस्सा या चिंता अधिक करने वाले लोगों को जल्द हृदयाघात होने की आशंका होती है। इसलिए इससे बचाव के लिए काफ़ी कुछ परहेज रखने की जरुरत है।


साथ ही आजकल हम अपना अधिकतर समय ऑफिस में बिताते हैं, जहां अधिक शारीरिक कार्य करने की जगह अधिकतर लोग सिर्फ बैठकर अपना काम करते हैं। इस स्थिति में शरीर निष्क्रिय जीवन शैली का आदी बन जाता है। आज के युवा ऑफिस में तो बैठे-बैठे [[कॉफ़ी]] पीते हैं और फिर घर पर भी रात को देर तक टीवी देखकर सुबह देर से जगते हैं। फिर सुबह ऑफिस पहुंचने की भागमभाग में व्यायाम नाम की बला से पाला ही नहीं पड़ता। ऐसे में हृदय रोगों की सम्भावना बढ़ जाती है।
साथ ही आजकल हम अपना अधिकतर समय ऑफिस में बिताते हैं, जहां अधिक शारीरिक कार्य करने की जगह अधिकतर लोग सिर्फ बैठकर अपना काम करते हैं। इस स्थिति में शरीर निष्क्रिय जीवन शैली का आदी बन जाता है। आज के युवा ऑफिस में तो बैठे-बैठे [[कॉफ़ी]] पीते हैं और फिर घर पर भी रात को देर तक टीवी देखकर सुबह देर से जगते हैं। फिर सुबह ऑफिस पहुंचने की भागमभाग में व्यायाम नाम की बला से पाला ही नहीं पड़ता। ऐसे में हृदय रोगों की सम्भावना बढ़ जाती है।
====हृदयाघात की सम्भावना====
====हृदयाघात की सम्भावना====
"उम्र बढ़ने के साथ दिल का दौरा भी पड़ता है...", हम यही मानकर चलते हैं। लेकिन यह सच नहीं है। सभी बूढ़ों को दिल का दौरा नहीं पड़ता। दरअसल, दिल के दौरे की नींव बचपन में ही पड़ जाती है। यह समस्या सालों तक चुपचाप अंदर ही अंदर काम करती रहती है और एक दिन दिल के दौरे में तब्दील हो जाती है। दिल की सेहत से जुड़े कुछ तथ्यों को हम जान लें तो आधी लड़ाई जीत जाते हैं। बस, इसके लिए अपनी जीवन शैली में कुछ परिवर्तन करना जरूरी होते हैं। सच तो यह है कि हमारे देश में दिल के दौरों के लिए खानपान की गलत आदतें और अस्वास्थ्यकर जीवन शैली मुख्य रूप से जिम्मेदार है। जंकफूड भी जिम्मेदार है। 'सर्कुलेशन' जर्नल में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक जो लोग अपने भोजन में अत्यधिक [[वसा]], [[नमक]], अंडे और मांस खाते हैं, उन्हें दूसरों के मुकाबले दिल का दौरा बड़ने का जोखिम 35 प्रतिशत अधिक होता है। इसकी तुलना में जो लोग 60 ग्राम साबुत अनाज से बना हुआ दलिया खाते हैं, उन्हें यह जोखिम कम होता है।
"उम्र बढ़ने के साथ दिल का दौरा भी पड़ता है...", हम यही मानकर चलते हैं। लेकिन यह सच नहीं है। सभी बूढ़ों को दिल का दौरा नहीं पड़ता। दरअसल, दिल के दौरे की नींव बचपन में ही पड़ जाती है। यह समस्या सालों तक चुपचाप अंदर ही अंदर काम करती रहती है और एक दिन दिल के दौरे में तब्दील हो जाती है। दिल की सेहत से जुड़े कुछ तथ्यों को हम जान लें तो आधी लड़ाई जीत जाते हैं। बस, इसके लिए अपनी जीवन शैली में कुछ परिवर्तन करना ज़रूरी होते हैं। सच तो यह है कि हमारे देश में दिल के दौरों के लिए खानपान की गलत आदतें और अस्वास्थ्यकर जीवन शैली मुख्य रूप से जिम्मेदार है। जंकफूड भी जिम्मेदार है। 'सर्कुलेशन' जर्नल में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक़ जो लोग अपने भोजन में अत्यधिक [[वसा]], [[नमक]], अंडे और मांस खाते हैं, उन्हें दूसरों के मुकाबले दिल का दौरा बड़ने का जोखिम 35 प्रतिशत अधिक होता है। इसकी तुलना में जो लोग 60 ग्राम साबुत अनाज से बना हुआ दलिया खाते हैं, उन्हें यह जोखिम कम होता है।
==रोगियों की संख्या==
==रोगियों की संख्या==
[[हृदय]] के साथ होने वाली छेड़छाड़ का ही नतीजा है कि आज विश्व भर में हृदय रोगियों की संख्या बढ़ गई है। एक अनुमान के अनुसार, [[भारत]] में 10.2 करोड़ लोग इस बीमारी की चपेट में हैं। पूरी दुनिया में हर साल 1.73 करोड़ लोगों की मौत इस बीमारी की वजह से हो जाती है और यदि हालातों पर काबू नहीं किया गया तो 2020 तक हर तीसरे व्यक्ति की मौत हृदय रोग से होगी।
[[हृदय]] के साथ होने वाली छेड़छाड़ का ही नतीजा है कि आज विश्व भर में [[हृदय]] रोगियों की संख्या बढ़ गई है। एक अनुमान के अनुसार, [[भारत]] में 10.2 करोड़ लोग इस बीमारी की चपेट में हैं। पूरी दुनिया में हर साल 1.73 करोड़ लोगों की मौत इस बीमारी की वजह से हो जाती है और यदि हालातों पर काबू नहीं किया गया तो 2020 तक हर तीसरे व्यक्ति की मौत हृदय रोग से होगी।
==लोगों में व्याप्त मिथक==
==लोगों में व्याप्त मिथक==
इन सबके अतिरिक्त आजकल हृदय रोग से जुड़े ऐसे कई मिथक भी सामने आ रहे हैं, जो पूरी तरह बेबुनियाद होने के बावजूद अधिकांश लोगों के दिमाग में घर किए रहते हैं। ये गलत-सही जानकारियां हमें कहीं से भी मिल सकती हैं, लेकिन इन पर विश्वास करना हमारे [[हृदय]] के लिए हानिकारक हो सकता है। हृदय विशेषज्ञों का कहना है कि उन्हें हृदय रोगियों का उपचार करते समय उन्हें रोगियों के ऐसे कई मिथकों को भी दूर करना पड़ता है। कुछ मिथक तो बहुत आम होते हैं। जैसे- लोगों में यह आम धारणा होती है कि हर तरह का व्यायाम हृदय के लिए लाभकारी होता है। इसी तरह अधिकांश लोग यह सोचते हैं कि महिलाओं में दिल की बीमारी का खतरा कम होता है। इस तरह की अनेक ऐसी धारणाएं हैं, जो बहुत से लोगों में घर कर गई हैं। इन मिथकों को तोड़कर सही तथ्य स्पष्ट करने मात्र से रोगियों के हृदय को लंबे समय तक स्वस्थ रखा जा सकता है।<ref>{{cite web |url= http://hindi.webdunia.com/disease/%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B5-%E0%A4%B9%E0%A5%83%E0%A4%A6%E0%A4%AF-%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%B8-%E0%A4%95%E0%A5%88%E0%A4%B8%E0%A5%87-%E0%A4%B0%E0%A4%96%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B2-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%96%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%B2-113092800056_2.htm|title= विश्व हृदय दिवस- कैसे रखें दिल का खयाल|accessmonthday= 29 सितम्बर|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= वेब दुनिया|language= हिन्दी}}</ref>
इन सबके अतिरिक्त आजकल हृदय रोग से जुड़े ऐसे कई मिथक भी सामने आ रहे हैं, जो पूरी तरह बेबुनियाद होने के बावजूद अधिकांश लोगों के दिमाग में घर किए रहते हैं। ये गलत-सही जानकारियां हमें कहीं से भी मिल सकती हैं, लेकिन इन पर विश्वास करना हमारे [[हृदय]] के लिए हानिकारक हो सकता है। हृदय विशेषज्ञों का कहना है कि उन्हें हृदय रोगियों का उपचार करते समय उन्हें रोगियों के ऐसे कई मिथकों को भी दूर करना पड़ता है। कुछ मिथक तो बहुत आम होते हैं। जैसे- लोगों में यह आम धारणा होती है कि हर तरह का व्यायाम हृदय के लिए लाभकारी होता है। इसी तरह अधिकांश लोग यह सोचते हैं कि महिलाओं में दिल की बीमारी का खतरा कम होता है। इस तरह की अनेक ऐसी धारणाएं हैं, जो बहुत से लोगों में घर कर गई हैं। इन मिथकों को तोड़कर सही तथ्य स्पष्ट करने मात्र से रोगियों के हृदय को लंबे समय तक स्वस्थ रखा जा सकता है।<ref>{{cite web |url= http://hindi.webdunia.com/disease/%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B5-%E0%A4%B9%E0%A5%83%E0%A4%A6%E0%A4%AF-%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%B8-%E0%A4%95%E0%A5%88%E0%A4%B8%E0%A5%87-%E0%A4%B0%E0%A4%96%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B2-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%96%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%B2-113092800056_2.htm|title= विश्व हृदय दिवस- कैसे रखें दिल का खयाल|accessmonthday= 29 सितम्बर|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= वेब दुनिया|language= हिन्दी}}</ref>


पुरुषों को हल्की परेशानी होते ही वे चिकित्सक के पास चले जाते हैं, लेकिन सहनशक्ति अधिक होने के कारण महिलाएं हल्की-फुल्की परेशानी यूं ही झेल जाती हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि कई बार तो चिकित्सक के पास जाने पर कैंसर तक की जांच लिख दी जाती है, लेकिन दिल की जांच नहीं करवाई जाती। [[दिल्ली]] के मैक्स अस्पताल में हृदय रोग विशेषज्ञ के.के. तलवार अनुसार, "महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन के रहने से वे कुछ हद तक इससे संरक्षित तो रहती हैं, लेकिन धुम्रपान, अस्वास्थ्यकर भोजन करने की आदत और गर्भनिरोधक दवाएं लेने के कारण उनमें भी दिल की बीमारी का खतरा काफी होता है। मेनोपाज के बाद तो यह खतरा और बढ़ जाता है।"
पुरुषों को हल्की परेशानी होते ही वे चिकित्सक के पास चले जाते हैं, लेकिन सहनशक्ति अधिक होने के कारण महिलाएं हल्की-फुल्की परेशानी यूं ही झेल जाती हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि कई बार तो चिकित्सक के पास जाने पर कैंसर तक की जांच लिख दी जाती है, लेकिन दिल की जांच नहीं करवाई जाती। [[दिल्ली]] के मैक्स अस्पताल में हृदय रोग विशेषज्ञ के.के. तलवार अनुसार, "महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन के रहने से वे कुछ हद तक इससे संरक्षित तो रहती हैं, लेकिन धुम्रपान, अस्वास्थ्यकर भोजन करने की आदत और गर्भनिरोधक दवाएं लेने के कारण उनमें भी दिल की बीमारी का खतरा काफ़ी होता है। मेनोपाज के बाद तो यह खतरा और बढ़ जाता है।"


इसके अलावा ऐसे ढेरों मिथक हैं, जिन्हें समाज के [[मस्तिष्क]] से दूर किए जाने की जरूरत है, जैसे- युवाओं को दिल की बिमारी नहीं हो सकती या जब सीने के बाईं ओर दर्द हो तभी दिल की बीमारी की आशंका व्यक्त की जाती है। हृदय रोग विशेषज्ञ बताते हैं कि दिल की बीमारी होने पर दाहिनी बांह, ऊपरी पेड़ू या आमतौर पर बाईं बांह में भी दर्द हो सकता है। अधिकांश विज्ञापनों में कुछ विशेष तरह के खाद्य तेलों को [[हृदय]] के लिए अच्छा बताया जाता है, लेकिन वास्तव में यह पूरी तरह सच नहीं होता। हृदय रोग विशेषज्ञों का मानना है कि कई बार सही और गलत जानकारी में बहुत मामूली अंतर होता है, इसलिए सावधान रहने की जरूरत है।<ref>{{cite web |url= http://hindi.pardaphash.com/news/--743364/743364.html#.VCjWBfmSzVE|title= दुरुस्त दिल के लिए भ्रमों से दूर रहें|accessmonthday= 29 सितम्बर|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= पर्दाफाश टुडे|language= हिन्दी}}</ref>
इसके अलावा ऐसे ढेरों मिथक हैं, जिन्हें समाज के [[मस्तिष्क]] से दूर किए जाने की ज़रूरत है, जैसे- युवाओं को दिल की बिमारी नहीं हो सकती या जब सीने के बाईं ओर दर्द हो तभी दिल की बीमारी की आशंका व्यक्त की जाती है। हृदय रोग विशेषज्ञ बताते हैं कि दिल की बीमारी होने पर दाहिनी बांह, ऊपरी पेड़ू या आमतौर पर बाईं बांह में भी दर्द हो सकता है। अधिकांश विज्ञापनों में कुछ विशेष तरह के खाद्य तेलों को [[हृदय]] के लिए अच्छा बताया जाता है, लेकिन वास्तव में यह पूरी तरह सच नहीं होता। हृदय रोग विशेषज्ञों का मानना है कि कई बार सही और गलत जानकारी में बहुत मामूली अंतर होता है, इसलिए सावधान रहने की ज़रूरत है।<ref>{{cite web |url= http://hindi.pardaphash.com/news/--743364/743364.html#.VCjWBfmSzVE|title= दुरुस्त दिल के लिए भ्रमों से दूर रहें|accessmonthday= 29 सितम्बर|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= पर्दाफाश टुडे|language= हिन्दी}}</ref>
==हृदय की सेहत==
==हृदय की सेहत==
आज हमारे जीवन का आधे से भी ज्यादा समय हमारे कार्यस्थल और ऑफिस में बीतता है। ऐसे में हमें इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि अपनी कार्यप्रणाली के अनुरूप [[हृदय]] की सेहत कैसे दुरुस्त रहे। हृदय को स्वास्थ्य रखने के लिए निम्न बातों को अपनाना चाहिए<ref>{{cite web |url= http://www.indirapuramdoctors.com/news/hindi-health-news/%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B5-%E0%A4%B9%E0%A5%83%E0%A4%A6%E0%A4%AF-%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%B8-%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%A8%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B2-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%86%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%9C-%E0%A4%AD%E0%A5%80|title=विश्व हृदय दिवस, सुनें दिल की आवाज भी|accessmonthday= 29 सितम्बर|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= इंदिरापुरम|language= हिन्दी}}</ref>-
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#धूम्रपान बिल्कुल भी नहीं करें, यह दिल के लिए बहुत ही ख़तरनाक है।
#धूम्रपान बिल्कुल भी नहीं करें, यह दिल के लिए बहुत ही ख़तरनाक है।
#ऐसे खाद्य तेल का चयन करें, जिसमें शून्य ट्रांस फैटी एसिड्स हों।
#ऐसे खाद्य तेल का चयन करें, जिसमें शून्य ट्रांस फैटी एसिड्स हों।
#नींद दिल को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी है। रोजाना 7 घंटे की नींद लें।
#नींद दिल को स्वस्थ रखने के लिए ज़रूरी है। रोजाना 7 घंटे की नींद लें।
#कैफीन की मात्रा कम करें और काली या हरी चाय पियें।
#कैफीन की मात्रा कम करें और काली या हरी चाय पियें।
#गर्मियों में प्रतिदिन आठ से दस गिलास पानी जरूर पियें।
#गर्मियों में प्रतिदिन आठ से दस गिलास पानी ज़रूर पियें।


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==बाहरी कड़ियाँ==
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*[http://hindi.pardaphash.com/news/--743469/743469.html#.VCkL7lcdDct युवाओं को खानपान में सावधानी बरतने की जरूरत]
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*[http://hindi.pardaphash.com/news/--743507/743507.html#.VCkMfFcdDct हृदय रोग से होती है शहरी महिलाओं की मौत]
*[http://hindi.pardaphash.com/news/--743507/743507.html#.VCkMfFcdDct हृदय रोग से होती है शहरी महिलाओं की मौत]
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==

09:54, 11 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण

विश्व हृदय दिवस
विश्व हृदय दिवस
विश्व हृदय दिवस
विवरण 'विश्व हृदय दिवस' सारे विश्व में मनाया जाता है। दिल से जुड़ी बीमारियों तथा उसे स्वस्थ्य रखने के सम्बंध में ही इस दिवस को मनाया जाता है।
तिथि 29 सितम्बर
शुरुआत वर्ष 2000 से
उद्देश्य हृदय रोग पूरे विश्व में आज एक गंभीर समस्या हैं। हर साल 'विश्व हृदय दिवस' के माध्यम से पूरे विश्व के लोगों में इसके बारे में जागरूकता फैलाई जाती है।
हृदय रोग के कारण निष्क्रिय जीवन शैली, अत्यधिक तनाव, हाइपरटेंशन, मधुमेह, अधिक धूम्रपान, मोटापा, वसायुक्त भोजन। ऐसे लोगों को अधिक ख़तरा होता है, जिनका कोलेस्ट्रोल, ट्राईग्लिसराइड और वीएलडीएल, एलडीएल अधिक होता है।
अन्य जानकारी हृदय के साथ होने वाली छेड़छाड़ का ही नतीजा है कि आज विश्व भर में हृदय रोगियों की संख्या बढ़ गई है। एक अनुमान के अनुसार, भारत में 10.2 करोड़ लोग इस बीमारी की चपेट में हैं।

विश्व हृदय दिवस (अंग्रेज़ी: World Heart Day) प्रत्येक वर्ष '29 सितम्बर' को मनाया जाता है। अव्यवस्थित जीवन शैली और असंतुलित खानपान के चलते दुनिया भर में हृदय रोग के पीड़ितों की संख्या तेज़ीसे बढ़ी है। भागती-दौड़ती जिंदगी में लोगों को अपने स्वास्थ्य की ओर ध्यान देने का मौका नहीं मिलता, जिसका उन्हें भारी खामियाजा चुकाना पड़ता है। हृदय रोग विशेषज्ञों के अनुसार दिल की बीमारी किसी भी उम्र में किसी को भी हो सकती है, इसके लिए कोई निर्धारित उम्र नहीं होती। महिलाओं में हृदय रोग की संभावनाएं ज्यादा होती हैं, बावजूद इसके वे इस बीमारी के जोखिमों को नजरअंदाज़कर देती हैं। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में एक दिल ही है, जिस पर सबसे अधिक बोझ पड़ता है। तनाव, थकान, प्रदूषण आदि कई वजहों से रक्त का आदान-प्रदान करने वाले इस अति महत्वपूर्ण अंग को अपना काम करने में मुश्किल होती है, इसीलिए 'विश्व हृदय दिवस' लोगों में यह भावना जागृत करता है कि वे हृदय की बीमारियों के प्रति सचेत रहें।

शुरुआत

दुनिया भर में हर साल होने वाली 29 प्रतिशत मौतों की एक प्रमुख वजह हृदय की बीमारियां और हृदयाघात हैं। हृदय की बीमारियों और दिल के दौरे से हर साल 1.71 करोड़ से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है। आम लोगों को इन बीमारियों व दिल के स्वास्थ्य का ख़ास ख्याल रखने के प्रति जागरुक करने के मकसद से वर्ष 2000 में 'विश्व हृदय दिवस' मनाने की शुरुआत की गई। अब तक सितम्बर के अंतिम रविवार को 'विश्व हृदय दिवस' मनाया जाता रहा था, लेकिन 2014 से इसे 29 सितम्बर के दिन ही मनाया जाएगा। 'विश्व स्वास्थ्य संगठन' (डब्ल्यूएचओ) की भागीदारी से स्वयंसेवी संगठन 'वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन' हर साल 'विश्व हृदय दिवस' मनाता है।[1] बढ़ते हृदय रोगों की संख्या और पीड़ितों की वजह से ही संयुक्त राष्ट्र ने साल 2000 से हर साल 29 सितंबर को 'विश्व हृदय दिवस' के रूप में मनाने का निर्णय लिया। साल 2009 और 2010 में संयुक्त राष्ट्र ने 'विश्व हृदय दिवस' की थीम 'ऑफिस में हृदय स्वास्थ' थी और इस साल इसकी थीम है 'वन वर्ल्ड, वन होम, वन हर्ट' यानि 'एक संसार, एक घर और एक दिल', जिसके द्वारा संयुक्त राष्ट्र हर व्यक्ति को अपने हृदय के प्रति जागरूक बनाना चाहता है।[2]

उद्देश्य

हृदय रोग पूरे विश्व में आज एक गंभीर बीमारी के तौर पर उभरा है। हर साल 'विश्व हृदय दिवस' के माध्यम से पूरे विश्व के लोगों में इसके बारे में जागरूकता फैलाई जाती है। अपने देश में तो अब कम उम्र के लोग भी इस बीमारी के शिकार हो रहे हैं। इस बीमारी की सबसे बड़ी वजहों में से एक है 'तनाव'। तनाव हृदय का सबसे बड़ा दुश्मन है। आज की भागदौड़ वाली जीवन शैली में लोगों में तनाव कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है। इसलिए इस बीमारी से पूरी तरह बचना तो मुश्किल है, लेकिन जहां तक संभव हो, इससे दूरी बनाए रखनी चाहिए।

तनाव के समय आवश्यकता होती है कि हम अपने हृदय की आवाज सुनें, हृदय को दुरुस्त रखने के लिए तनाव दूर भगाएं। तनाव के कारण मस्तिष्क से जो रसायन स्रावित होते हैं, वे हृदय की पूरी प्रणाली खराब कर देते हैं। तनाव से उबरने के लिए योग का भी सहारा लिया जा सकता है। हृदय हमारे शरीर का ऐसा अंग है, जो लगातार पंप करता है और पूरे शरीर में रक्त प्रवाह को संचालित करता है। हृदय संचार प्रणाली के मध्य में होता है और धमनियों और नसों जैसी रक्त वाहिनियां अशुद्ध रक्त को शरीर के हर भाग से हृदय तक ले जाती हैं और शुद्ध रक्त को हृदय से शरीर के हर भाग तक पहुंचाती हैं।

हृदय के रोग

आज युवाओं में हृदयाघात और हृदय की बीमारियों की बढ़ती संख्या चिंता का विषय बन रही हैं। पहले जहां 30 से 40 वर्ष तक के बीच हृदय की समस्याएं आंकी जाती थीं, आज यह 20 वर्ष से कम उम्र के लोगों में भी होने लगी हैं। ऐसे में हृदय की समस्याओं से बचने का एक ही उपाय है कि आप खुद अपनी कुछ सामान्य जांच करें और हृदय संबंधी सामान्य समस्याओं को भी गंभीरता से लें। हृदय के साथ होने वाली छेड़छाड़ का ही नतीजा है कि आज विश्व भर में कई तरह के हृदय रोग देखने को मिल रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार भारत में 10.2 करोड़ लोग दिल के मरीज हैं। पूरी दुनिया में 1.73 करोड़ लोग हर वर्ष इस बीमारी के शिकार होकर मर जाते हैं। यदि हालातों पर काबू नहीं किया गया तो 2020 तक हर तीसरे व्यक्ति की मौत हृदय रोग से होगी। माना जाता है कि उच्च रक्त चाप 'मधुमेह (डाइबिटीज) का सही नियंत्रण न करने एवं गुस्सा या चिंता अधिक करने वाले लोगों को जल्द हृदयाघात होने की आशंका होती है। इसलिए इससे बचाव के लिए काफ़ी कुछ परहेज रखने की जरुरत है।

साथ ही आजकल हम अपना अधिकतर समय ऑफिस में बिताते हैं, जहां अधिक शारीरिक कार्य करने की जगह अधिकतर लोग सिर्फ बैठकर अपना काम करते हैं। इस स्थिति में शरीर निष्क्रिय जीवन शैली का आदी बन जाता है। आज के युवा ऑफिस में तो बैठे-बैठे कॉफ़ी पीते हैं और फिर घर पर भी रात को देर तक टीवी देखकर सुबह देर से जगते हैं। फिर सुबह ऑफिस पहुंचने की भागमभाग में व्यायाम नाम की बला से पाला ही नहीं पड़ता। ऐसे में हृदय रोगों की सम्भावना बढ़ जाती है।

हृदयाघात की सम्भावना

"उम्र बढ़ने के साथ दिल का दौरा भी पड़ता है...", हम यही मानकर चलते हैं। लेकिन यह सच नहीं है। सभी बूढ़ों को दिल का दौरा नहीं पड़ता। दरअसल, दिल के दौरे की नींव बचपन में ही पड़ जाती है। यह समस्या सालों तक चुपचाप अंदर ही अंदर काम करती रहती है और एक दिन दिल के दौरे में तब्दील हो जाती है। दिल की सेहत से जुड़े कुछ तथ्यों को हम जान लें तो आधी लड़ाई जीत जाते हैं। बस, इसके लिए अपनी जीवन शैली में कुछ परिवर्तन करना ज़रूरी होते हैं। सच तो यह है कि हमारे देश में दिल के दौरों के लिए खानपान की गलत आदतें और अस्वास्थ्यकर जीवन शैली मुख्य रूप से जिम्मेदार है। जंकफूड भी जिम्मेदार है। 'सर्कुलेशन' जर्नल में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक़ जो लोग अपने भोजन में अत्यधिक वसा, नमक, अंडे और मांस खाते हैं, उन्हें दूसरों के मुकाबले दिल का दौरा बड़ने का जोखिम 35 प्रतिशत अधिक होता है। इसकी तुलना में जो लोग 60 ग्राम साबुत अनाज से बना हुआ दलिया खाते हैं, उन्हें यह जोखिम कम होता है।

रोगियों की संख्या

हृदय के साथ होने वाली छेड़छाड़ का ही नतीजा है कि आज विश्व भर में हृदय रोगियों की संख्या बढ़ गई है। एक अनुमान के अनुसार, भारत में 10.2 करोड़ लोग इस बीमारी की चपेट में हैं। पूरी दुनिया में हर साल 1.73 करोड़ लोगों की मौत इस बीमारी की वजह से हो जाती है और यदि हालातों पर काबू नहीं किया गया तो 2020 तक हर तीसरे व्यक्ति की मौत हृदय रोग से होगी।

लोगों में व्याप्त मिथक

इन सबके अतिरिक्त आजकल हृदय रोग से जुड़े ऐसे कई मिथक भी सामने आ रहे हैं, जो पूरी तरह बेबुनियाद होने के बावजूद अधिकांश लोगों के दिमाग में घर किए रहते हैं। ये गलत-सही जानकारियां हमें कहीं से भी मिल सकती हैं, लेकिन इन पर विश्वास करना हमारे हृदय के लिए हानिकारक हो सकता है। हृदय विशेषज्ञों का कहना है कि उन्हें हृदय रोगियों का उपचार करते समय उन्हें रोगियों के ऐसे कई मिथकों को भी दूर करना पड़ता है। कुछ मिथक तो बहुत आम होते हैं। जैसे- लोगों में यह आम धारणा होती है कि हर तरह का व्यायाम हृदय के लिए लाभकारी होता है। इसी तरह अधिकांश लोग यह सोचते हैं कि महिलाओं में दिल की बीमारी का खतरा कम होता है। इस तरह की अनेक ऐसी धारणाएं हैं, जो बहुत से लोगों में घर कर गई हैं। इन मिथकों को तोड़कर सही तथ्य स्पष्ट करने मात्र से रोगियों के हृदय को लंबे समय तक स्वस्थ रखा जा सकता है।[3]

पुरुषों को हल्की परेशानी होते ही वे चिकित्सक के पास चले जाते हैं, लेकिन सहनशक्ति अधिक होने के कारण महिलाएं हल्की-फुल्की परेशानी यूं ही झेल जाती हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि कई बार तो चिकित्सक के पास जाने पर कैंसर तक की जांच लिख दी जाती है, लेकिन दिल की जांच नहीं करवाई जाती। दिल्ली के मैक्स अस्पताल में हृदय रोग विशेषज्ञ के.के. तलवार अनुसार, "महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन के रहने से वे कुछ हद तक इससे संरक्षित तो रहती हैं, लेकिन धुम्रपान, अस्वास्थ्यकर भोजन करने की आदत और गर्भनिरोधक दवाएं लेने के कारण उनमें भी दिल की बीमारी का खतरा काफ़ी होता है। मेनोपाज के बाद तो यह खतरा और बढ़ जाता है।"

इसके अलावा ऐसे ढेरों मिथक हैं, जिन्हें समाज के मस्तिष्क से दूर किए जाने की ज़रूरत है, जैसे- युवाओं को दिल की बिमारी नहीं हो सकती या जब सीने के बाईं ओर दर्द हो तभी दिल की बीमारी की आशंका व्यक्त की जाती है। हृदय रोग विशेषज्ञ बताते हैं कि दिल की बीमारी होने पर दाहिनी बांह, ऊपरी पेड़ू या आमतौर पर बाईं बांह में भी दर्द हो सकता है। अधिकांश विज्ञापनों में कुछ विशेष तरह के खाद्य तेलों को हृदय के लिए अच्छा बताया जाता है, लेकिन वास्तव में यह पूरी तरह सच नहीं होता। हृदय रोग विशेषज्ञों का मानना है कि कई बार सही और गलत जानकारी में बहुत मामूली अंतर होता है, इसलिए सावधान रहने की ज़रूरत है।[4]

हृदय की सेहत

आज हमारे जीवन का आधे से भी ज्यादा समय हमारे कार्यस्थल और ऑफिस में बीतता है। ऐसे में हमें इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि अपनी कार्यप्रणाली के अनुरूप हृदय की सेहत कैसे दुरुस्त रहे। हृदय को स्वास्थ्य रखने के लिए निम्न बातों को अपनाना चाहिए[5]-

  1. प्रत्येक व्यक्ति को थोड़ा समय व्यायाम के लिए निकालना चाहिए।
  2. प्रतिदिन कम से कम आधे घंटे तक व्यायाम करना हृदय के लिए अच्छा होता है।
  3. यदि समय की कमी है तो आप तेज़ क़दमों से टहल भी सकते हैं।
  4. सेहत के अनुरूप ही खान-पान तथा आहार लेना चाहिए।
  5. नमक की कम मात्रा का सेवन करें।
  6. भोजन में कम वसा वाले आहार ग्रहण करना चाहिए।
  7. ताजी सब्जियां और फल अधिक मात्रा में लें।
  8. अपनी प्रतिदिन की दिनचर्या में समय पर नाश्ता और समय पर लंच करें।
  9. तम्बाकू जैसे पदार्थों से हमेशा दूरी बनाएँ रखें।
  10. घंटों एक ही स्थिति में बैठना हृदय के लिए हानिकारक हो सकता है।
  11. आज की भागदौड़ वाली जीवन शैली में तनाव भी बढ़ गया है। इससे पूरी तरह बचना तो मुश्किल है, लेकिन जहां तक संभव हो इससे दूरी बनाए रखनी चाहिए।
  12. साइकिल चलाना, नियमित रूप से टहलना और तैरना, ये काम अवश्य करने चाहिए।
  13. रोजाना 30 मिनट योग और ध्यान करने की प्रक्रिया को अपनाना चाहिए।
  14. धूम्रपान बिल्कुल भी नहीं करें, यह दिल के लिए बहुत ही ख़तरनाक है।
  15. ऐसे खाद्य तेल का चयन करें, जिसमें शून्य ट्रांस फैटी एसिड्स हों।
  16. नींद दिल को स्वस्थ रखने के लिए ज़रूरी है। रोजाना 7 घंटे की नींद लें।
  17. कैफीन की मात्रा कम करें और काली या हरी चाय पियें।
  18. गर्मियों में प्रतिदिन आठ से दस गिलास पानी ज़रूर पियें।


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शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. विश्व हृदय दिवस आज, धुएँ में न उड़ाएँ दिल (हिन्दी) हॉट टॉपिक्स। अभिगमन तिथि: 29 सितम्बर, 2014।
  2. विश्व हृदय दिवस 2011 : एक संसार, एक घर और एक दिल (हिन्दी) जागरण जंक्शन। अभिगमन तिथि: 29 सितम्बर, 2014।
  3. विश्व हृदय दिवस- कैसे रखें दिल का खयाल (हिन्दी) वेब दुनिया। अभिगमन तिथि: 29 सितम्बर, 2014।
  4. दुरुस्त दिल के लिए भ्रमों से दूर रहें (हिन्दी) पर्दाफाश टुडे। अभिगमन तिथि: 29 सितम्बर, 2014।
  5. विश्व हृदय दिवस, सुनें दिल की आवाज भी (हिन्दी) इंदिरापुरम। अभिगमन तिथि: 29 सितम्बर, 2014।

बाहरी कड़ियाँ

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