"मोहिंदर सिंह रंधावा": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
(''''मोहिंदर सिंह रंधावा''' (अंग्रेज़ी: ''Mohinder Singh Randhawa'', जन्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
[[चित्र:Mohinder-Singh-Randhawa.jpg|thumb|250px|मोहिंदर सिंह रंधावा]] | |||
'''मोहिंदर सिंह रंधावा''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Mohinder Singh Randhawa'', जन्म- [[2 फ़रवरी]], [[1909]]; मृत्यु- [[3 मार्च]], [[1986]]) भारतीय [[इतिहासकार]], वनस्पतिशास्त्री, सिविल सेवक, लेखक और कला व संस्कृति के प्रवर्तक थे। उन्हें विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में [[भारत सरकार]] द्वारा सन [[1972]] में [[पद्म भूषण]] से सम्मानित किया गया था।<br /> | '''मोहिंदर सिंह रंधावा''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Mohinder Singh Randhawa'', जन्म- [[2 फ़रवरी]], [[1909]]; मृत्यु- [[3 मार्च]], [[1986]]) भारतीय [[इतिहासकार]], वनस्पतिशास्त्री, सिविल सेवक, लेखक और कला व संस्कृति के प्रवर्तक थे। उन्हें विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में [[भारत सरकार]] द्वारा सन [[1972]] में [[पद्म भूषण]] से सम्मानित किया गया था।<br /> | ||
<br /> | <br /> |
12:00, 29 अगस्त 2021 के समय का अवतरण
मोहिंदर सिंह रंधावा (अंग्रेज़ी: Mohinder Singh Randhawa, जन्म- 2 फ़रवरी, 1909; मृत्यु- 3 मार्च, 1986) भारतीय इतिहासकार, वनस्पतिशास्त्री, सिविल सेवक, लेखक और कला व संस्कृति के प्रवर्तक थे। उन्हें विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन 1972 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
- मोहिंदर सिंह रंधावा ने भारत में कृषि अनुसंधान की स्थापना में प्रमुख योगदान दिया था।
- उन्होंने भारत में हरित क्रांति के क्षेत्र में भी अमूल्य योगदान दिया। पुनर्वास के महानिदेशक के रूप में विभाजन से उखाड़ फेंके गए पंजाबियों को पुनर्स्थापित करने में भी भूमिका निभाई।
- यही नहीं, मोहिंदर सिंह रंधावा ने चंडीगढ़ शहर की स्थापना और पंजाब की कला, भारत में कृषि के इतिहास का दस्तावेजीकरण करने में महती सक्रियता दिखाई।
- जानेमाने लेखक गुलज़ार सिंह संधू ने मोहिंदर सिंह रंधावा को 'पंजाब की छठी नदी' (पंजाब दा छेवान दरिया) का नाम दिया था।
- भारत की आज़ादी के बाद उन्होंने 1 नवम्बर, 1966 से 31 अक्टूबर, 1968 तक चंडीगढ़ के चीफ़ कमिश्नर का पद भी सम्भाला।
|
|
|
|
|