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'''राय बहादुर दयाराम साहनी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Rai Bahadur Dayaram Sahni'', जन्म- [[16 दिसम्बर]], [[1879]]; मृत्यु- [[7 मार्च]], [[1939]]) [[भारत]] के प्रसिद्ध पुरातत्त्ववेत्ता थे। सन [[1921]]-[[1922]] में प्राचीन [[हड़प्पा|हड़प्पा नगर]] की खुदाई का कार्य उन्हीं के नेतृत्व में किया गया, जो [[सिंधु घाटी सभ्यता]] का प्रमुख स्थान है।<br />
{{सूचना बक्सा प्रसिद्ध व्यक्तित्व
|चित्र=Daya-Ram-Sahni.jpg
|चित्र का नाम=दयाराम साहनी
|पूरा नाम=राय बहादुर दयाराम साहनी
|अन्य नाम=
|जन्म=[[16 दिसम्बर]], [[1879]]
|जन्म भूमि=[[पंजाब]], आज़ादी पूर्व भारत
|मृत्यु=[[7 मार्च]], [[1939]]
|मृत्यु स्थान=[[जयपुर]], [[राजस्थान]]
|अभिभावक=
|पति/पत्नी=
|संतान=
|गुरु=
|कर्म भूमि=[[भारत]]
|कर्म-क्षेत्र=भारतीय इतिहास
|मुख्य रचनाएँ=
|विषय=
|खोज=
|भाषा=
|शिक्षा=
|विद्यालय=
|पुरस्कार-उपाधि=
|प्रसिद्धि=पुरातत्त्ववेत्ता
|विशेष योगदान=[[हड़प्पा]] की खुदाई
|नागरिकता=भारतीय
|संबंधित लेख=
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}}'''राय बहादुर दयाराम साहनी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Rai Bahadur Dayaram Sahni'', जन्म- [[16 दिसम्बर]], [[1879]]; मृत्यु- [[7 मार्च]], [[1939]]) [[भारत]] के प्रसिद्ध पुरातत्त्ववेत्ता थे। सन [[1921]]-[[1922]] में प्राचीन [[हड़प्पा|हड़प्पा नगर]] की खुदाई का कार्य उन्हीं के नेतृत्व में किया गया, जो [[सिंधु घाटी सभ्यता]] का प्रमुख स्थान है।<br />
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*हड़प्पा के प्रकाश में आने के उपरांत यह मान लिया गया था कि संभवतः यह सभ्यता [[सिन्धु नदी]] के घाटी तक ही सीमित है। अतः इस सभ्यता का नाम '''सिन्धु घाटी की सभ्यता''' या '''सैंधव सभ्यता''' रखा गया।
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==

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दयाराम साहनी
दयाराम साहनी
दयाराम साहनी
पूरा नाम राय बहादुर दयाराम साहनी
जन्म 16 दिसम्बर, 1879
जन्म भूमि पंजाब, आज़ादी पूर्व भारत
मृत्यु 7 मार्च, 1939
मृत्यु स्थान जयपुर, राजस्थान
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र भारतीय इतिहास
प्रसिद्धि पुरातत्त्ववेत्ता
विशेष योगदान हड़प्पा की खुदाई
नागरिकता भारतीय

राय बहादुर दयाराम साहनी (अंग्रेज़ी: Rai Bahadur Dayaram Sahni, जन्म- 16 दिसम्बर, 1879; मृत्यु- 7 मार्च, 1939) भारत के प्रसिद्ध पुरातत्त्ववेत्ता थे। सन 1921-1922 में प्राचीन हड़प्पा नगर की खुदाई का कार्य उन्हीं के नेतृत्व में किया गया, जो सिंधु घाटी सभ्यता का प्रमुख स्थान है।


  • हड़प्पा के प्रकाश में आने के उपरांत यह मान लिया गया था कि संभवतः यह सभ्यता सिन्धु नदी के घाटी तक ही सीमित है। अतः इस सभ्यता का नाम सिन्धु घाटी की सभ्यता या सैंधव सभ्यता रखा गया।
  • जॉन मार्शल के सहायक के रूप में वर्ष 1931 में दयाराम साहनी प्रथम भारतीय बने, जिन्हें भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग का महानिदेशक नियुक्त किया गया। वह सन 1935 तक इस पद पर रहे।
  • लगभग एक वर्ष के बाद सन 1922 में राखालदास बनर्जी ने खुदाई के समय एक और स्थान का पता लगाया था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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