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'''शान्तिदेव घोष''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Shantidev Ghosh'', जन्म- [[7 मई]], [[1910]]; मृत्यु- [[1 दिसम्बर]], [[1999]]) एक भारतीय लेखक, गायक, [[अभिनेता]], नर्तक और [[रवीन्द्र संगीत]] के उस्ताद थे। बंगाली साहित्यिक पत्रिका 'देश' के प्रसिद्ध संपादक सागरमोय घोष उनके छोटे भाई थे। शान्तिदेव घोष को कई संगीत अकादमियों के साथ-साथ विश्वविद्यालयों और [[भारत सरकार]] से उल्लेखनीय पुरस्कार और मान्यता प्राप्त हुई। भारत सरकार द्वारा उन्हें 'राष्ट्रीय विद्वान घोषित' किया गया था। साल [[2002]] में [[संगीत]] में उनके योगदान को भारत सरकार ने उन पर एक [[डाक टिकट]] भी जारी किया। | {{सूचना बक्सा कलाकार | ||
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शान्तिदेव घोष
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पूरा नाम | शान्तिदेव घोष |
जन्म | 7 मई, 1910 |
जन्म भूमि | चांदपुर, बंगाल प्रेसीडेंसी (आज़ादी पूर्व) |
मृत्यु | 1 दिसम्बर, 1999 |
मृत्यु स्थान | कलकत्ता, पश्चिम बंगाल |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | लेखन, गायन, नृत्य |
मुख्य रचनाएँ | रवीन्द्र संगीत, जावा ओ बलिर नृत्यगीत, रवीन्द्रनाथेर पूर्णंगा शिक्षादर्शे संगीत ओ नृत्य, रवीन्द्र संगीत विचित्र, रवीन्द्र नृत्यकला। |
प्रसिद्धि | लेखक, गायक, नर्तक |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | सन 1930 में शान्तिदेव घोष एक शिक्षक के रूप में विश्वभारती में शामिल हुए और पाठा रावना के लड़कों और लड़कियों के लिए नृत्य कक्षाएं भी लीं। वह 1964 से 1968 और 1971 से 1973 तक संगीत भवन के अध्यक्ष रहे। |
शान्तिदेव घोष (अंग्रेज़ी: Shantidev Ghosh, जन्म- 7 मई, 1910; मृत्यु- 1 दिसम्बर, 1999) एक भारतीय लेखक, गायक, अभिनेता, नर्तक और रवीन्द्र संगीत के उस्ताद थे। बंगाली साहित्यिक पत्रिका 'देश' के प्रसिद्ध संपादक सागरमोय घोष उनके छोटे भाई थे। शान्तिदेव घोष को कई संगीत अकादमियों के साथ-साथ विश्वविद्यालयों और भारत सरकार से उल्लेखनीय पुरस्कार और मान्यता प्राप्त हुई। भारत सरकार द्वारा उन्हें 'राष्ट्रीय विद्वान घोषित' किया गया था। साल 2002 में संगीत में उनके योगदान को भारत सरकार ने उन पर एक डाक टिकट भी जारी किया।
परिचय
कालीमोहन घोष के पुत्र, शान्तिदेव घोष का जन्म बांग्लादेश के चांदपुर में हुआ था। जब वह एक वर्ष के भी नहीं थे, तब वे अपने माता-पिता के साथ शांतिनिकेतन आए थे। वह शांतिनिकेतन विद्यालय के छात्र थे और कम उम्र में ही उन्होंने संगीत, नृत्य और अभिनय में दक्षता हासिल कर ली।
संगीत भवन के अध्यक्ष
सन 1930 में शान्तिदेव घोष एक शिक्षक के रूप में विश्वभारती में शामिल हुए और पाठा रावना के लड़कों और लड़कियों के लिए नृत्य कक्षाएं भी लीं। वह 1964 से 1968 और 1971 से 1973 तक संगीत भवन के अध्यक्ष रहे।
नृत्य कला अध्ययन
रवींद्रनाथ टैगोर ने शान्तिदेव घोष को प्राच्य नृत्य कलाएँ सीखने के लिए जावा, बाली और श्रीलंका जाने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने शांतिनिकेतन में शास्त्रीय और लोक नृत्य का अध्ययन किया और ध्रुपदी संगीत और लोक संगीत में कुशल हो गये।
रचनाएँ
शान्तिदेव घोष के द्वारा लिखी गई अनेक पुस्तकों में निम्नलिखित का उल्लेख किया जा सकता है-
- रवीन्द्र संगीत
- जावा ओ बलिर नृत्यगीत
- रवीन्द्रनाथेर पूर्णंगा शिक्षादर्शे संगीत ओ नृत्य
- रवीन्द्र संगीत विचित्र
- रवीन्द्र नृत्यकला
सम्मान व पुरस्कार
- सन 1976 में शान्तिदेव घोष को संगीत नाटक अकादमी का फेलो नामित किया गया।
- सन 1985 में विश्व-भारती ने उन्हें 'देसिकोत्तम' और 'रवीन्द्र भारती' से सम्मानित किया।
- बर्दवान विश्वविद्यालय ने उन्हें मानद डी.लिट से सम्मानित किया।
मृत्यु
शान्तिदेव घोष की मृत्यु 1 दिसम्बर, 1999 को कलकत्ता, पश्चिम बंगाल में हुई।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
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