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'''रतन नवल टाटा''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Ratan Naval Tata'', जन्म: [[28 दिसंबर]] [[1937]]) टाटा समूह के वर्तमान अध्यक्ष, जो [[भारत]] की सबसे बड़ी व्यापारिक समूह है, जिसकी स्थापना [[जमशेदजी टाटा]] ने की और उनके [[परिवार]] की पीढ़ियों ने इसका विस्तार किया और इसे दृढ़ बनाया। रतन टाटा, एक ऐसी शख्सियत हैं, जिसने यह सिद्ध कर दिया कि अगर आपमें प्रतिभा है, तो आप देश में रहकर भी ऐसे शिखर पर पहुँच सकते हैं, जहाँ हर भारतीय आप पर नाज करे।  
'''रतन नवल टाटा''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Ratan Naval Tata'', जन्म: [[28 दिसंबर]] [[1937]]- निधन: [[9 अक्टूबर]], [[2024]]) टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष, जो [[भारत]] की सबसे बड़ी व्यापारिक समूह है, जिसकी स्थापना [[जमशेदजी टाटा]] ने की और उनके [[परिवार]] की पीढ़ियों ने इसका विस्तार किया और इसे दृढ़ बनाया। रतन टाटा, एक ऐसी शख्सियत हैं, जिसने यह सिद्ध कर दिया कि अगर आपमें प्रतिभा है, तो आप देश में रहकर भी ऐसे शिखर पर पहुँच सकते हैं, जहाँ हर भारतीय आप पर नाज़ करे।  
==जन्म और शिक्षा==
==जन्म और शिक्षा==
रतन टाटा का जन्म [[28 दिसंबर]] [[1937]] को [[मुंबई]] में हुआ था। कैपियन स्कूल से शुरूआती पढ़ाई करने के बाद रतन टाटा ने कार्निल यूनिवर्सिटी, [[लंदन]] से आर्किटेक्चर एंड स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग की डिग्री ली और फिर हार्वड विश्वविघालय से एडवांस मैनेजमेंट प्रोग्राम कोर्स किया। उन्हें प्रतिष्टित कंपनी आईबीएम से नौकरी का बढ़िया प्रस्ताव मिला, लेकिन रतन ने उस प्रस्ताव को ठुकराकर अपने पुश्तैनी बिजनेस को ही आगे बढ़ाने की ठानी।<ref name="अपने विचार">{{cite web |url=http://uditbhargavajaipur.blogspot.in/2010/07/blog-post_7761.html |title=भारत का अनमोल रतन |accessmonthday=20 अप्रॅल |accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=अपने विचार |language=हिंदी }}</ref>
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रतन टाटा ने अपने कैरियर के शुरूआती दिनों में नेल्को और सेंट्रल इंडिया टेक्सटाइल जैसी घाटी की कंपनियों को संभाला और उन्हें प्रांफ़िटेबल यूनिट में बदल कर अपनी विलक्षण प्रतिभा को सबके सामने पेश किया। फिर साल दर साल उन्होंने अनेक क्षेत्रों में टाटा का विस्तार किया और सफलता पाई।<ref name="अपने विचार"/>  
रतन टाटा ने अपने कैरियर के शुरूआती दिनों में नेल्को और सेंट्रल इंडिया टेक्सटाइल जैसी घाटी की कंपनियों को संभाला और उन्हें प्रांफ़िटेबल यूनिट में बदल कर अपनी विलक्षण प्रतिभा को सबके सामने पेश किया। फिर साल दर साल उन्होंने अनेक क्षेत्रों में टाटा का विस्तार किया और सफलता पाई।<ref name="अपने विचार"/>  
====टाटा संस के अध्यक्ष====
====टाटा संस के अध्यक्ष====
देश की पहली कार जिसकी डिजाइन से लेकर निर्माण तक का कार्य भारत की कंपनी ने किया हो, उस टाटा इंडिका प्रोजेक्ट का श्रेय भी रतन टाटा के खाते में ही जाता है। इंडिका के कारण विश्व मोटर कार बाज़ार के मानचित्र पर उभरा है। [[1991]] में वह टाटा संस के अध्यक्ष बने और उनके नेतृत्व में टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, टाटा पावर, टाटा टी, टाटा केमिकल्स और इंडियन होटल्स ने भी काफ़ी प्रगति की। टाटा ग्रुप की टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) आज भारत की सबसे बडी सूचना तकनीकी कंपनी है। वह फ़ोर्ड फ़ाउंडेशन के बोर्ड आंफ़ ट्रस्टीज के भी सदस्य हैं। कंपनी के नियमानुसार 65 वर्ष की उम्र पार कर लेने के बाद वह पद से तो रिटायर हो गए, पर काम करने का जुनून अभी भी उन पर हावी है और उनकी अगुवाई में टाटा के कंपनियां नए आयामों को छू रही हैं।<ref name="अपने विचार"/>
देश की पहली कार जिसकी डिजाइन से लेकर निर्माण तक का कार्य भारत की कंपनी ने किया हो, उस टाटा इंडिका प्रोजेक्ट का श्रेय भी रतन टाटा के खाते में ही जाता है। इंडिका के कारण विश्व मोटर कार बाज़ार के मानचित्र पर उभरा है। [[1991]] में वह टाटा संस के अध्यक्ष बने और उनके नेतृत्व में टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, टाटा पावर, टाटा टी, टाटा केमिकल्स और इंडियन होटल्स ने भी काफ़ी प्रगति की। टाटा ग्रुप की टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) आज भारत की सबसे बडी सूचना तकनीकी कंपनी है। वह फ़ोर्ड फ़ाउंडेशन के बोर्ड आंफ़ ट्रस्टीज के भी सदस्य हैं। कंपनी के नियमानुसार 65 वर्ष की उम्र पार कर लेने के बाद वह पद से तो रिटायर हो गए, पर काम करने का जुनून अभी भी उन पर हावी है।<ref name="अपने विचार"/>
==सेवा निवृत्त और उत्तराधिकारी==
==सेवा निवृत्त और उत्तराधिकारी==
रतन टाटा [[28 दिसम्बर]] [[2012]] को टाटा उद्योग समूह के चेयरमैन पद से 75 साल की उम्र में सेवा निवृत्त हुए। इस अवसर पर रतन टाटा अपनी उपलब्धियों के लिए मीडिया में काफ़ी छाये रहे। हर व्यक्ति के सामने अलग-अलग परिस्थितियाँ होती हैं और हर क्षेत्र में उनकी प्रतिभायें भी समान नहीं होती हैं। उन परिस्थितियों और अपनी प्रतिभाओं के अनुसार अपने लिए वह अवसर एवं चुनौतियों को चिन्हित करता है। चुनौतियों से वह जूझता है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति की समस्या के निदान का रास्ता अलग होता है। आवश्यक नहीं कि जिस रास्ते पर चलकर किसी सफल व्यक्ति ने समस्याओं का हल निकाला हो, उसी पर चलकर दूसरे व्यक्ति की समस्या भी हल हो जाए। इसलिए प्रत्येक प्रतिभाशाली व्यक्ति अपने ढंग से सोचता है और अपने लिए रास्ता बनाता है। अपनी समस्याओं को हल करते समय दूसरे सफल लोगों से इस बात की प्रेरणा तो लेनी चाहिए कि जब अमुक व्यक्ति सफल हो सकता है तो मै क्यों नहीं हो सकता हूँ। लेकिन [[आँख|आँखें]] बंद करके किसी की नकल करने से सफलता हासिल नहीं होती। सफल लोगों के नुस्खों को तो ध्यान में रखना चाहिए पर उन रास्तों को नहीं जिन पर चलकर उन्हें सफलता प्राप्त हुई। अपनी समस्या को अपने ही ढंग से निपटाने की कोशिश करने से दिमाग तेजी से चलता है और समस्या या चुनौती बोझ नहीं लगती है। तनाव पैदा नहीं होता है बल्कि समस्या सुलझाने में आनंद आता है और वह नये-नये इतिहास रचता है। यदि रतन टाटा नकल करते तो वे अपने टाटा उद्योग समूह को इतनी बड़ी विश्वव्यापी तरक़्क़ी नहीं दिला पाते। उन्होंने अपने 21 साल के मुखिया कार्यकाल में टाटा उद्योग समूह को बहुत आगे बढ़ाया जो अपने आप में मिसाल है। अतः मिसाल कायम करने के लिए अपना रास्ता स्वयं बनाना होता है। रतन टाटा ने अपने उत्तराधिकारी साइरस मिस्त्री को सलाह दी कि वह रतन टाटा बनने की अपेक्षा अपने मौलिक गुणों एवं प्रतिभाओं के अनुसार काम करें, तो वह रतन टाटा से भी आगे जा सकते हैं। यानि साइरस मिस्त्री, साइरस मिस्त्री बनकर ही रतन टाटा की कामयाबियों से भी आगे जा सकते हैं। यदि साइरस मिस्त्री रतन टाटा बनने की कोशिश करेंगे तो वह न रतन टाटा बन पाएंगे और न ही साइरस मिस्त्री रहेंगे।<ref>{{cite web |url=http://anantanveshi.blogspot.in/2012/12/blog-post.html |title=रतन टाटा की रतन टाटा न बनने की सलाह के मायने |accessmonthday=20 अप्रॅल |accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=अनंत अन्वेषी |language=हिंदी }}</ref>  
[[चित्र:Ratan Tata 4.jpeg|thumb|left|200px|रतन टाटा]]
रतन टाटा [[28 दिसम्बर]] [[2012]] को टाटा उद्योग समूह के चेयरमैन पद से 75 साल की उम्र में सेवा निवृत्त हुए। इस अवसर पर रतन टाटा अपनी उपलब्धियों के लिए मीडिया में काफ़ी छाये रहे। हर व्यक्ति के सामने अलग-अलग परिस्थितियाँ होती हैं और हर क्षेत्र में उनकी प्रतिभायें भी समान नहीं होती हैं। उन परिस्थितियों और अपनी प्रतिभाओं के अनुसार अपने लिए वह अवसर एवं चुनौतियों को चिन्हित करता है। चुनौतियों से वह जूझता है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति की समस्या के निदान का रास्ता अलग होता है। आवश्यक नहीं कि जिस रास्ते पर चलकर किसी सफल व्यक्ति ने समस्याओं का हल निकाला हो, उसी पर चलकर दूसरे व्यक्ति की समस्या भी हल हो जाए। इसलिए प्रत्येक प्रतिभाशाली व्यक्ति अपने ढंग से सोचता है और अपने लिए रास्ता बनाता है। अपनी समस्याओं को हल करते समय दूसरे सफल लोगों से इस बात की प्रेरणा तो लेनी चाहिए कि जब अमुक व्यक्ति सफल हो सकता है तो मै क्यों नहीं हो सकता हूँ। लेकिन [[आँख|आँखें]] बंद करके किसी की नकल करने से सफलता हासिल नहीं होती। सफल लोगों के नुस्खों को तो ध्यान में रखना चाहिए पर उन रास्तों को नहीं जिन पर चलकर उन्हें सफलता प्राप्त हुई। अपनी समस्या को अपने ही ढंग से निपटाने की कोशिश करने से दिमाग़ तेज़ी से चलता है और समस्या या चुनौती बोझ नहीं लगती है। तनाव पैदा नहीं होता है बल्कि समस्या सुलझाने में आनंद आता है और वह नये-नये इतिहास रचता है। यदि रतन टाटा नकल करते तो वे अपने टाटा उद्योग समूह को इतनी बड़ी विश्वव्यापी तरक़्क़ी नहीं दिला पाते। उन्होंने अपने 21 साल के मुखिया कार्यकाल में टाटा उद्योग समूह को बहुत आगे बढ़ाया जो अपने आप में मिसाल है। अतः मिसाल कायम करने के लिए अपना रास्ता स्वयं बनाना होता है। रतन टाटा ने अपने उत्तराधिकारी '''साइरस मिस्त्री''' को सलाह दी कि वह रतन टाटा बनने की अपेक्षा अपने मौलिक गुणों एवं प्रतिभाओं के अनुसार काम करें, तो वह रतन टाटा से भी आगे जा सकते हैं। यानि साइरस मिस्त्री, साइरस मिस्त्री बनकर ही रतन टाटा की कामयाबियों से भी आगे जा सकते हैं। यदि साइरस मिस्त्री रतन टाटा बनने की कोशिश करेंगे तो वह न रतन टाटा बन पाएंगे और न ही साइरस मिस्त्री रहेंगे।<ref>{{cite web |url=http://anantanveshi.blogspot.in/2012/12/blog-post.html |title=रतन टाटा की रतन टाटा न बनने की सलाह के मायने |accessmonthday=20 अप्रॅल |accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=अनंत अन्वेषी |language=हिंदी }}</ref>


==सम्मान और पुरस्कार==
==सम्मान और पुरस्कार==
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* [[फरवरी]] [[2004]] में, रतन टाटा को [[चीन]] के झोज्यांग प्रान्त में हांग्जो (Hangzhou) शहर में मानद आर्थिक सलाहकार की उपाधि से सम्मानित किया गया।
* [[फरवरी]] [[2004]] में, रतन टाटा को [[चीन]] के झोज्यांग प्रान्त में हांग्जो (Hangzhou) शहर में मानद आर्थिक सलाहकार की उपाधि से सम्मानित किया गया।
*  उन्हें लन्दन स्कूल ऑफ़ इकॉनॉमिक्स (London School of Economics) से मानद डॉक्टरेट की उपाधि हासिल हुई, और [[नवम्बर]] [[2007]] में फॉर्च्यून पत्रिका ने उन्हें व्यापर क्षेत्र के 25 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल किया।
*  उन्हें लन्दन स्कूल ऑफ़ इकॉनॉमिक्स (London School of Economics) से मानद डॉक्टरेट की उपाधि हासिल हुई, और [[नवम्बर]] [[2007]] में फॉर्च्यून पत्रिका ने उन्हें व्यापर क्षेत्र के 25 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल किया।
*  [[मई]] [[2008]] में टाटा को टाइम [[पत्रिका]] की 2008 की विश्व के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल किया गया।  
*  [[मई]] [[2008]] में टाटा को टाइम [[पत्रिका]] की [[2008]] की विश्व के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल किया गया।  
==निधन==
रतन टाटा ने [[7 अक्टूबर]] [[2024]] को कहा था कि वह अपनी आयु और संबंधित चिकित्सा स्थितियों के कारण नियमित चिकित्सा परीक्षण करवा रहे हैं। रतन टाटा बीते कुछ दिनों से उम्र संबंधी बीमारियों की वजह से मुंबई के मशहूर ब्रीच कैंड अस्पताल में भर्ती थे। विशेषज्ञों की डॉक्टरों की टीम उनका इलाज कर रही थी।


[[भारत]] के प्रतिष्ठित व्यापारिक नेताओं में से एक और टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष रतन टाटा का बुधवार [[9 अक्टूबर]], [[2024]] को 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया। इस खबर की पुष्टि करते हुए एक बयान में टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने कहा, "पूरे टाटा परिवार की ओर से मैं उनके प्रियजनों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं। उनके निधन पर [[प्रधानमंत्री |प्रधानमंत्री]] [[नरेन्द्र मोदी|नरेंद्र मोदी]] समेत कई दिग्गज नेताओं व उद्योगपतियों ने शोक जताया है।
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==बाहरी कड़ियाँ==
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*[https://www.tata.com/about-us/tata-group-our-heritage/tata-titans/ratan-naval-tata/Ratan Naval Tata]
*[http://www.tata.com/ टाटा समूह]
*[http://www.tata.com/ टाटा समूह]
*[http://www.nndb.com/people/335/000164840/ Ratan N. Tata]
*[http://www.nndb.com/people/335/000164840/ Ratan N. Tata]
*[http://timesofindia.indiatimes.com/topic/Ratan-Tata Ratan Naval Tata (The Times Of india)]
*[http://timesofindia.indiatimes.com/topic/Ratan-Tata Ratan Naval Tata (The Times Of india)]
*[http://www.charlierose.com/view/interview/12440 Ratan Tata, Chairman of Tata Sons]
*[http://www.charlierose.com/view/interview/12440 Ratan Tata, Chairman of Tata Sons]
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06:36, 27 नवम्बर 2024 के समय का अवतरण

रतन टाटा
रतन टाटा
रतन टाटा
पूरा नाम रतन नवल टाटा
जन्म 28 दिसंबर 1937
जन्म भूमि मुंबई, महाराष्ट्र
मृत्यु 9 अक्टूबर, 2024
मृत्यु स्थान ब्रीच कैंड अस्पताल, मुंबई
अभिभावक नवल टाटा और सूनू टाटा
पति/पत्नी अविवाहित
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र उद्योगपति
शिक्षा आर्किटेक्चर एंड स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग, एडवांस मैनेजमेंट प्रोग्राम
विद्यालय कार्निल यूनिवर्सिटी, लंदन, हार्वड विश्वविघालय
पुरस्कार-उपाधि पद्म भूषण (2000), पद्म विभूषण (2008)
प्रसिद्धि टाटा उद्योग समूह के पूर्व अध्यक्ष
नागरिकता भारतीय
संबंधित लेख टाटा परिवार, जे. आर. डी. टाटा, जमशेद जी टाटा, टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान
अन्य जानकारी रतन टाटा 28 दिसम्बर 2012 को टाटा उद्योग समूह के अध्यक्ष पद से 75 साल की उम्र में सेवा निवृत्त हुए।
अद्यतन‎

रतन नवल टाटा (अंग्रेज़ी: Ratan Naval Tata, जन्म: 28 दिसंबर 1937- निधन: 9 अक्टूबर, 2024) टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष, जो भारत की सबसे बड़ी व्यापारिक समूह है, जिसकी स्थापना जमशेदजी टाटा ने की और उनके परिवार की पीढ़ियों ने इसका विस्तार किया और इसे दृढ़ बनाया। रतन टाटा, एक ऐसी शख्सियत हैं, जिसने यह सिद्ध कर दिया कि अगर आपमें प्रतिभा है, तो आप देश में रहकर भी ऐसे शिखर पर पहुँच सकते हैं, जहाँ हर भारतीय आप पर नाज़ करे।

जन्म और शिक्षा

रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई में हुआ था। कैपियन स्कूल से शुरूआती पढ़ाई करने के बाद रतन टाटा ने कार्निल यूनिवर्सिटी, लंदन से आर्किटेक्चर एंड स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग की डिग्री ली और फिर हार्वड विश्वविघालय से एडवांस मैनेजमेंट प्रोग्राम कोर्स किया। उन्हें प्रतिष्टित कंपनी आईबीएम से नौकरी का बढ़िया प्रस्ताव मिला, लेकिन रतन ने उस प्रस्ताव को ठुकराकर अपने पुश्तैनी बिजनेस को ही आगे बढ़ाने की ठानी।[1]

कार्यक्षेत्र

रतन टाटा ने अपने कैरियर के शुरूआती दिनों में नेल्को और सेंट्रल इंडिया टेक्सटाइल जैसी घाटी की कंपनियों को संभाला और उन्हें प्रांफ़िटेबल यूनिट में बदल कर अपनी विलक्षण प्रतिभा को सबके सामने पेश किया। फिर साल दर साल उन्होंने अनेक क्षेत्रों में टाटा का विस्तार किया और सफलता पाई।[1]

टाटा संस के अध्यक्ष

देश की पहली कार जिसकी डिजाइन से लेकर निर्माण तक का कार्य भारत की कंपनी ने किया हो, उस टाटा इंडिका प्रोजेक्ट का श्रेय भी रतन टाटा के खाते में ही जाता है। इंडिका के कारण विश्व मोटर कार बाज़ार के मानचित्र पर उभरा है। 1991 में वह टाटा संस के अध्यक्ष बने और उनके नेतृत्व में टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, टाटा पावर, टाटा टी, टाटा केमिकल्स और इंडियन होटल्स ने भी काफ़ी प्रगति की। टाटा ग्रुप की टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) आज भारत की सबसे बडी सूचना तकनीकी कंपनी है। वह फ़ोर्ड फ़ाउंडेशन के बोर्ड आंफ़ ट्रस्टीज के भी सदस्य हैं। कंपनी के नियमानुसार 65 वर्ष की उम्र पार कर लेने के बाद वह पद से तो रिटायर हो गए, पर काम करने का जुनून अभी भी उन पर हावी है।[1]

सेवा निवृत्त और उत्तराधिकारी

रतन टाटा

रतन टाटा 28 दिसम्बर 2012 को टाटा उद्योग समूह के चेयरमैन पद से 75 साल की उम्र में सेवा निवृत्त हुए। इस अवसर पर रतन टाटा अपनी उपलब्धियों के लिए मीडिया में काफ़ी छाये रहे। हर व्यक्ति के सामने अलग-अलग परिस्थितियाँ होती हैं और हर क्षेत्र में उनकी प्रतिभायें भी समान नहीं होती हैं। उन परिस्थितियों और अपनी प्रतिभाओं के अनुसार अपने लिए वह अवसर एवं चुनौतियों को चिन्हित करता है। चुनौतियों से वह जूझता है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति की समस्या के निदान का रास्ता अलग होता है। आवश्यक नहीं कि जिस रास्ते पर चलकर किसी सफल व्यक्ति ने समस्याओं का हल निकाला हो, उसी पर चलकर दूसरे व्यक्ति की समस्या भी हल हो जाए। इसलिए प्रत्येक प्रतिभाशाली व्यक्ति अपने ढंग से सोचता है और अपने लिए रास्ता बनाता है। अपनी समस्याओं को हल करते समय दूसरे सफल लोगों से इस बात की प्रेरणा तो लेनी चाहिए कि जब अमुक व्यक्ति सफल हो सकता है तो मै क्यों नहीं हो सकता हूँ। लेकिन आँखें बंद करके किसी की नकल करने से सफलता हासिल नहीं होती। सफल लोगों के नुस्खों को तो ध्यान में रखना चाहिए पर उन रास्तों को नहीं जिन पर चलकर उन्हें सफलता प्राप्त हुई। अपनी समस्या को अपने ही ढंग से निपटाने की कोशिश करने से दिमाग़ तेज़ी से चलता है और समस्या या चुनौती बोझ नहीं लगती है। तनाव पैदा नहीं होता है बल्कि समस्या सुलझाने में आनंद आता है और वह नये-नये इतिहास रचता है। यदि रतन टाटा नकल करते तो वे अपने टाटा उद्योग समूह को इतनी बड़ी विश्वव्यापी तरक़्क़ी नहीं दिला पाते। उन्होंने अपने 21 साल के मुखिया कार्यकाल में टाटा उद्योग समूह को बहुत आगे बढ़ाया जो अपने आप में मिसाल है। अतः मिसाल कायम करने के लिए अपना रास्ता स्वयं बनाना होता है। रतन टाटा ने अपने उत्तराधिकारी साइरस मिस्त्री को सलाह दी कि वह रतन टाटा बनने की अपेक्षा अपने मौलिक गुणों एवं प्रतिभाओं के अनुसार काम करें, तो वह रतन टाटा से भी आगे जा सकते हैं। यानि साइरस मिस्त्री, साइरस मिस्त्री बनकर ही रतन टाटा की कामयाबियों से भी आगे जा सकते हैं। यदि साइरस मिस्त्री रतन टाटा बनने की कोशिश करेंगे तो वह न रतन टाटा बन पाएंगे और न ही साइरस मिस्त्री रहेंगे।[2]

सम्मान और पुरस्कार

  • भारत के 50वें गणतंत्र दिवस समारोह 26 जनवरी 2000 पर रतन टाटा को तीसरे नागरिक अलंकरण पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
  • उन्हें 26 जनवरी 2008 भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक अलंकरण पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
  • वे नैसकॉम ग्लोबल लीडरशिप (NASSCOM Global Leadership) पुरस्कार 2008 प्राप्त करने वालों में से एक थे। ये पुरस्कार उन्हें 14 फ़रवरी 2008 को मुम्बई में एक समारोह में दिया गया।
  • मार्च 2006 में टाटा को कॉर्नेल विश्वविद्यालय द्वारा 26वें रॉबर्ट एस सम्मान से सम्मानित किया गया। आर्थिक शिक्षा में हैटफील्ड रत्न सदस्य, वह सर्वोच्च सम्मान जो विश्वविद्यालय कंपनी क्षेत्र में प्रतिष्ठित व्यक्तियों को प्रदान करती है।
  • फरवरी 2004 में, रतन टाटा को चीन के झोज्यांग प्रान्त में हांग्जो (Hangzhou) शहर में मानद आर्थिक सलाहकार की उपाधि से सम्मानित किया गया।
  • उन्हें लन्दन स्कूल ऑफ़ इकॉनॉमिक्स (London School of Economics) से मानद डॉक्टरेट की उपाधि हासिल हुई, और नवम्बर 2007 में फॉर्च्यून पत्रिका ने उन्हें व्यापर क्षेत्र के 25 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल किया।
  • मई 2008 में टाटा को टाइम पत्रिका की 2008 की विश्व के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल किया गया।

निधन

रतन टाटा ने 7 अक्टूबर 2024 को कहा था कि वह अपनी आयु और संबंधित चिकित्सा स्थितियों के कारण नियमित चिकित्सा परीक्षण करवा रहे हैं। रतन टाटा बीते कुछ दिनों से उम्र संबंधी बीमारियों की वजह से मुंबई के मशहूर ब्रीच कैंड अस्पताल में भर्ती थे। विशेषज्ञों की डॉक्टरों की टीम उनका इलाज कर रही थी।

भारत के प्रतिष्ठित व्यापारिक नेताओं में से एक और टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष रतन टाटा का बुधवार 9 अक्टूबर, 2024 को 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया। इस खबर की पुष्टि करते हुए एक बयान में टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने कहा, "पूरे टाटा परिवार की ओर से मैं उनके प्रियजनों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई दिग्गज नेताओं व उद्योगपतियों ने शोक जताया है।

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शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 भारत का अनमोल रतन (हिंदी) अपने विचार। अभिगमन तिथि: 20 अप्रॅल, 2013।
  2. रतन टाटा की रतन टाटा न बनने की सलाह के मायने (हिंदी) अनंत अन्वेषी। अभिगमन तिथि: 20 अप्रॅल, 2013।

बाहरी कड़ियाँ

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