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|अन्य विवरण=गोस्वामी तुलसीदास एक महान कवि थे। अपने जीवनकाल में तुलसीदास जी ने 12 ग्रन्थ लिखे और उन्हें संस्कृत विद्वान होने के साथ ही हिन्दी भाषा के प्रसिद्ध और सर्वश्रेष्ट कवियों में एक माना जाता है। | |अन्य विवरण=गोस्वामी तुलसीदास एक महान कवि थे। अपने जीवनकाल में तुलसीदास जी ने 12 ग्रन्थ लिखे और उन्हें संस्कृत विद्वान होने के साथ ही हिन्दी भाषा के प्रसिद्ध और सर्वश्रेष्ट कवियों में एक माना जाता है। | ||
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05:59, 12 अक्टूबर 2010 के समय का अवतरण
विवरण (Description) | गोस्वामी तुलसीदास |
अन्य विवरण | गोस्वामी तुलसीदास एक महान कवि थे। अपने जीवनकाल में तुलसीदास जी ने 12 ग्रन्थ लिखे और उन्हें संस्कृत विद्वान होने के साथ ही हिन्दी भाषा के प्रसिद्ध और सर्वश्रेष्ट कवियों में एक माना जाता है। |
यह कृति सार्वजनिक क्षेत्र में है (कॉपीराइट मुक्त) क्योंकि इसके प्रकाशनाधिकार की अवधि समाप्त हो चुकी है। |
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चित्र का इतिहास
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दिनांक/समय | अंगुष्ठ नखाकार (थंबनेल) | आकार | सदस्य | टिप्पणी | |
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वर्तमान | 06:35, 30 मार्च 2010 | 380 × 492 (30 KB) | Govind (वार्ता | योगदान) |
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चित्र का उपयोग
74 ये पृृष्ठ इस चित्र का इस्तेमाल करते हैं:
- अब लौं नसानी, अब न नसैहों -तुलसीदास
- एक व्यक्तित्व
- ऐसी मूढता या मन की -तुलसीदास
- और काहि माँगिये, को मागिबो निवारै -तुलसीदास
- कब देखौंगी नयन वह मधुर मूरति -तुलसीदास
- कबहुंक हौं यहि रहनि रहौंगो -तुलसीदास
- कलि नाम काम तरु रामको -तुलसीदास
- काहे ते हरि मोहिं बिसारो -तुलसीदास
- केशव,कहि न जाइ -तुलसीदास
- कौन जतन बिनती करिये -तुलसीदास
- जागिये कृपानिधान जानराय, रामचन्द्र -तुलसीदास
- जानकी जीवन की बलि जैहों -तुलसीदास
- जो मन लागै रामचरन अस -तुलसीदास
- जो मोहि राम लागते मीठे -तुलसीदास
- जौ पै जिय धरिहौ अवगुन ज़नके -तुलसीदास
- तऊ न मेरे अघ अवगुन गनिहैं -तुलसीदास
- तन की दुति स्याम सरोरुह -तुलसीदास
- ताहि ते आयो सरन सबेरे -तुलसीदास
- तुलसीदास
- तुलसीदास के दोहे
- दीन-हित बिरद पुराननि गायो -तुलसीदास
- देव! दूसरो कौन दीनको दयालु -तुलसीदास
- धनुर्धर राम -तुलसीदास
- नाहिन भजिबे जोग बियो -तुलसीदास
- पहेली 4 जनवरी 2019
- बजरंग बाण -तुलसीदास
- बिनती भरत करत कर जोरे -तुलसीदास
- ब्रजभाषा में तद्भव और तत्सम शब्द
- भक्ति आन्दोलन
- भरोसो जाहि दूसरो सो करो -तुलसीदास
- भाई! हौं अवध कहा रहि लैहौं -तुलसीदास
- मन पछितैहै अवसर बीते -तुलसीदास
- मन माधवको नेकु निहारहि -तुलसीदास
- मनोरथ मनको एकै भाँति -तुलसीदास
- मनोहरताको मानो ऐन -तुलसीदास
- ममता तू न गई मेरे मन तें -तुलसीदास
- माधव! मो समान जग माहीं -तुलसीदास
- माधव, मोह-पास क्यों छूटै -तुलसीदास
- माधवजू मोसम मंद न कोऊ -तुलसीदास
- मेरे रावरिये गति रघुपति है बलि जाउँ -तुलसीदास
- मैं एक, अमित बटपारा -तुलसीदास
- मैं केहि कहौ बिपति अति भारी -तुलसीदास
- मैं हरि, पतित पावन सुने -तुलसीदास
- यह बिनती रहुबीर गुसाईं -तुलसीदास
- रघुपति! भक्ति करत कठिनाई -तुलसीदास
- राघौ गीध गोद करि लीन्हौ -तुलसीदास
- राम-पद-पदुम पराग परी -तुलसीदास
- राम राम रटु, राम राम रटु -तुलसीदास
- रामचरितमानस
- रामलला नहछू -तुलसीदास
- रामायण सामान्य ज्ञान 6
- राष्ट्रकवि
- लाज न आवत दास कहावत -तुलसीदास
- लाभ कहा मानुष-तनु पाये -तुलसीदास
- वाराणसी आलेख
- वाराणसी की विभूतियाँ
- श्री रामचँद्र कृपालु भजु मन -तुलसीदास
- सखि! रघुनाथ-रूप निहारु -तुलसीदास
- सखि नीके कै निरखि कोऊ सुठि सुंदर बटोही -तुलसीदास
- सतसई
- सुन मन मूढ -तुलसीदास
- हरि! तुम बहुत अनुग्रह किन्हों -तुलसीदास
- हरि को ललित बदन निहारु -तुलसीदास
- हिन्दी सामान्य ज्ञान 12
- हिन्दी सामान्य ज्ञान 16
- हिन्दी सामान्य ज्ञान 17
- हिन्दी सामान्य ज्ञान 192
- हिन्दी सामान्य ज्ञान 193
- हिन्दी सामान्य ज्ञान 201
- हिन्दी सामान्य ज्ञान 209
- हिन्दी सामान्य ज्ञान 39
- हे हरि! कवन जतन भ्रम भागै -तुलसीदास
- साँचा:वाराणसी चित्र सूची4
- साँचा:वाराणसी विभूतियाँ