"सालुव वंश": अवतरणों में अंतर
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'''सालुव वंश''' का संस्थापक 'सालुव नरसिंह' था। 1485 ई. में [[संगम वंश]] के [[विरुपाक्ष द्वितीय]] की हत्या उसी के पुत्र ने कर दी थी, और इस समय [[विजयनगर साम्राज्य]] में चारों ओर अशांति व अराजकता का वातावरण था। इन्हीं सब परिस्थितियों का फ़ायदा नरसिंह के सेनापति नरसा नायक ने उठाया। उसने विजयनगर साम्राज्य पर अधिकार कर लिया और सालुव नरसिंह को राजगद्दी पर बैठने के लिय आमंत्रित किया। सालुव वंश के राजाओं का विवरण इस प्रकार से है- | '''सालुव वंश''' का संस्थापक 'सालुव नरसिंह' था। 1485 ई. में [[संगम वंश]] के [[विरुपाक्ष द्वितीय]] की हत्या उसी के पुत्र ने कर दी थी, और इस समय [[विजयनगर साम्राज्य]] में चारों ओर अशांति व अराजकता का वातावरण था। इन्हीं सब परिस्थितियों का फ़ायदा नरसिंह के सेनापति [[नरसा नायक]] ने उठाया। उसने विजयनगर साम्राज्य पर अधिकार कर लिया और सालुव नरसिंह को राजगद्दी पर बैठने के लिय आमंत्रित किया। सालुव वंश के राजाओं का विवरण इस प्रकार से है- | ||
#[[सालुव नरसिंह]] (1485-1491 ई.) | #[[सालुव नरसिंह]] (1485-1491 ई.) |
15:13, 9 जून 2011 के समय का अवतरण
सालुव वंश का संस्थापक 'सालुव नरसिंह' था। 1485 ई. में संगम वंश के विरुपाक्ष द्वितीय की हत्या उसी के पुत्र ने कर दी थी, और इस समय विजयनगर साम्राज्य में चारों ओर अशांति व अराजकता का वातावरण था। इन्हीं सब परिस्थितियों का फ़ायदा नरसिंह के सेनापति नरसा नायक ने उठाया। उसने विजयनगर साम्राज्य पर अधिकार कर लिया और सालुव नरसिंह को राजगद्दी पर बैठने के लिय आमंत्रित किया। सालुव वंश के राजाओं का विवरण इस प्रकार से है-
- सालुव नरसिंह (1485-1491 ई.)
- इम्माडि नरसिंह (1491-1505 ई.)
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