"हनुमानगढ़": अवतरणों में अंतर
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हनुमानगढ़ | |विवरण=हनुमानगढ़ में एक प्राचीन क़िला है, जिसका पुराना नाम [[भटनेर]] था। भटनेर भट्टीनगर का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ भट्टी अथवा भट्टियों का नगर है। | ||
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हनुमानगढ़ नगर, उत्तर [[राजस्थान]], [[भारत|पश्चिमोत्तर भारत]], में [[घग्घर नदी]] के दाऐं तट पर स्थित है। हनुमानगढ़ को 'सादुलगढ़' भी कहते हैं। यह [[बीकानेर]] से 144 मील उत्तर-पूर्व में बसा हुआ है। यहाँ एक प्राचीन क़िला है, जिसका पुराना नाम [[भटनेर]] था। भटनेर भट्टीनगर का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ भट्टी अथवा भट्टियों का नगर है। | |||
==स्थिति== | ==स्थिति== | ||
बीकानेर राज्य के दो प्रमुख क़िलों में से हनुमानगढ़ दूसरा क़िला है। यह क़िला लगभग 52 बीघे भूमि में फैला हुआ है और ईंटों से | [[बीकानेर]] राज्य के दो प्रमुख क़िलों में से 'हनुमानगढ़ दूसरा क़िला' है। यह क़िला लगभग 52 बीघे भूमि में फैला हुआ है और ईंटों से सुदुढ़ बना है। चारों ओर की दीवारों पर बुर्जियाँ बनी हैं। क़िले का एक द्वार कुछ अधिक पुराना प्रतीत होता है। प्रधान प्रवेश द्वार पर संगमरमर के काम के चिह्न अब तक विद्यमान हैं। कहा जाता है कि इस क़िले में कई गुम्बदाकार इमारतें बनी थीं पर अब वह नहीं हैं। क़िले के एक द्वार के पत्थर पर 1620 ई. खुदी है। उसके नीचे राजा का नाम व 6 रानियों की आकृतियाँ भी बनी हैं जो अब स्पष्ट नहीं हैं। क़िले के भीतर का जैन उपासरा प्राचीन है। क़िले में एक लेख [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी लिपि]] में लगा है, जिससे बताया जाता है कि यह बादशाह की आज्ञा से 'कद्दवाहा राय मनोहर' ने [[संवत]] 1665 (1608 ई.) में 'मनोहर पोल नाम का दरवाज़ा' बनवाया था। | ||
क़िले के भीतर का जैन उपासरा प्राचीन है। क़िले में एक लेख फ़ारसी लिपि में लगा है, जिससे बताया जाता है कि यह बादशाह की आज्ञा से कद्दवाहा राय मनोहर ने | |||
==इतिहास== | ==इतिहास== | ||
हनुमानगढ़ को पहले भटनेर (भट्टी [[राजपूत|राजपूतों]] का दुर्ग) कहा जाता था। 1805 में बीकानेर रियासत में शामिल किये जाने के बाद इसको 'हनुमानगढ़' का नाम दिया गया था। 1398 में [[मंगोल]] विजेता [[तैमूर लंग]] ने दुर्ग सहित इस शहर पर क़ब्ज़ा कर लिया था। उसके बाद से इस पर विभिन्न शासकों का अधिकार रहा है। हनुमानगढ़ किसने बसाया है, इसका ठीक से पता नहीं चलता। पहले यह भाटियों के क़ब्ज़े में था तथा 1527 ई. में बीकानेर के चौथे शासक 'राव जैतसिंह' ने यहाँ राठौड़ों का आधिपत्य स्थापित कर दिया। 11 [[वर्ष]] के बाद [[बाबर]] के पुत्र 'कामरां' ने इसे जीता। फिर कुछ दिनों तक राठौड़ों के अधिकार में रहा। फिर बाद में यह [[मुग़ल]] क़ब्ज़े में चला गया, और बीच में कई बार अधिकारियों में परिवर्तन हुए। अंत में 'सूरत सिंह' के समय 1805 ई. में 5 [[माह]] के विकट घेरे के बाद राठौड़ों ने इसे ज़ाबता ख़ाँ भट्टी से छीना और यहाँ बीकानेर राज्य का एकाधिकार हुआ। [[मंगलवार]] के [[दिन]] इस क़िले पर अधिकार होने के कारण इस क़िले में एक छोटा सा [[हनुमान]] जी का मंदिर बनवाया गया तथा उसी दिन से उसका नाम 'हनुमानगढ़' रखा गया। | |||
[[चित्र:Hanuman-Statue-Hanumangarh.jpg|[[हनुमान|हनुमानजी]] की मूर्ति, हनुमानगढ़|thumb|left]] | |||
==यातायात और परिवहन== | ==यातायात और परिवहन== | ||
हनुमानगढ़ रेलमार्ग द्वारा बीकानेर, [[जोधपुर]] और गंगानगर से जुड़ा हुआ है। यहाँ पर रेल व सड़क द्वारा दो प्रकार के यातायात के साधन उपलब्ध हैं। | हनुमानगढ़ रेलमार्ग द्वारा [[बीकानेर]], [[जोधपुर]] और [[गंगानगर]] से जुड़ा हुआ है। यहाँ पर रेल व सड़क द्वारा दो प्रकार के यातायात के साधन उपलब्ध हैं। | ||
==कृषि और खनिज== | ==कृषि और खनिज== | ||
हनुमानगढ़ एक कृषि विपणन केंद्र है, जहाँ हथकरघा पर [[कपास]] और ऊन की बुनाई होती है। हनुमानगढ़ में | हनुमानगढ़ एक [[कृषि]] विपणन केंद्र है, जहाँ हथकरघा पर [[कपास]] और ऊन की बुनाई होती है। हनुमानगढ़ में रबी की मुख्य फ़सलें पायी जाती हैं। जैसे- [[चना]], सरसों, [[गेहूँ]], अरंड और तारामीरा की फ़सलें हैं और खरीफ की भी कई मुख्य फ़सलें पायी जाती हैं। जैसे- नरमा, [[कपास |कपास]], ग्वार, मूँग, मोठ, [[बाजरा |बाजरा]] और [[ज्वार]] की फ़सलें हैं। [[घग्घर नदी]] इलाके की एकमात्र नदी है। इंदिरा गांधी फीडर यहाँ की प्रमुख नहर है। भाखरा और गंग कैनाल यहाँ की अन्य नहरें हैं। | ||
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हनुमानगढ़ में पकी हुई मिट्टी की बड़ी सुन्दर | हनुमानगढ़ में पकी हुई [[मिट्टी]] की बड़ी सुन्दर मूर्तियाँ बनाई जाती हैं। हनुमानगढ़ में अधिकतर इन्हीं मूर्तियों का व्यवसाय होता है। | ||
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यहाँ राजस्थान विश्वविद्यालय से संबद्ध नेहरू मेमोरियल लॉ कॉलेज और सरस्वती कन्या महाविद्यालय समेत कई कॉलेज हैं। | यहाँ राजस्थान विश्वविद्यालय से संबद्ध 'नेहरू मेमोरियल लॉ कॉलेज' और 'सरस्वती कन्या महाविद्यालय' समेत कई कॉलेज हैं। | ||
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11:24, 1 अप्रैल 2012 के समय का अवतरण
हनुमानगढ़
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विवरण | हनुमानगढ़ में एक प्राचीन क़िला है, जिसका पुराना नाम भटनेर था। भटनेर भट्टीनगर का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ भट्टी अथवा भट्टियों का नगर है। |
राज्य | राजस्थान |
ज़िला | हनुमानगढ़ |
भौगोलिक स्थिति | उत्तर- 29°35, पूर्व- 74°19 |
मार्ग स्थिति | हनुमानगढ़ दिल्ली से 351 किमी, जयपुर से 400 किमी, उदयपुर से 682 किमी की दूरी पर स्थित है। |
कब जाएँ | अक्तूबर से फ़रवरी |
कैसे पहुँचें | हवाई जहाज़, रेल, बस आदि |
भटिंडा हवाई अड्डा और बीकानेर हवाई अड्डा | |
हनुमानगढ़ जंक्शन | |
क्या देखें | भटनेर क़िला, कालीबंगा संग्रहालय, सिल्ला माता मंदिर, गोगामेड़ी मंदिर |
एस.टी.डी. कोड | 01552 |
ए.टी.एम | लगभग सभी |
गूगल मानचित्र | |
भाषा | हिंदी, राजस्थानी, अंग्रेजी |
अन्य जानकारी | मंगलवार के दिन इस क़िले पर अधिकार होने के कारण इस क़िले में एक छोटा सा हनुमान जी का मंदिर बनवाया गया तथा उसी दिन से उसका नाम हनुमानगढ़ रखा गया। |
अद्यतन | 15:43, 24 नवम्बर 2011 (IST)
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हनुमानगढ़ नगर, उत्तर राजस्थान, पश्चिमोत्तर भारत, में घग्घर नदी के दाऐं तट पर स्थित है। हनुमानगढ़ को 'सादुलगढ़' भी कहते हैं। यह बीकानेर से 144 मील उत्तर-पूर्व में बसा हुआ है। यहाँ एक प्राचीन क़िला है, जिसका पुराना नाम भटनेर था। भटनेर भट्टीनगर का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ भट्टी अथवा भट्टियों का नगर है।
स्थिति
बीकानेर राज्य के दो प्रमुख क़िलों में से 'हनुमानगढ़ दूसरा क़िला' है। यह क़िला लगभग 52 बीघे भूमि में फैला हुआ है और ईंटों से सुदुढ़ बना है। चारों ओर की दीवारों पर बुर्जियाँ बनी हैं। क़िले का एक द्वार कुछ अधिक पुराना प्रतीत होता है। प्रधान प्रवेश द्वार पर संगमरमर के काम के चिह्न अब तक विद्यमान हैं। कहा जाता है कि इस क़िले में कई गुम्बदाकार इमारतें बनी थीं पर अब वह नहीं हैं। क़िले के एक द्वार के पत्थर पर 1620 ई. खुदी है। उसके नीचे राजा का नाम व 6 रानियों की आकृतियाँ भी बनी हैं जो अब स्पष्ट नहीं हैं। क़िले के भीतर का जैन उपासरा प्राचीन है। क़िले में एक लेख फ़ारसी लिपि में लगा है, जिससे बताया जाता है कि यह बादशाह की आज्ञा से 'कद्दवाहा राय मनोहर' ने संवत 1665 (1608 ई.) में 'मनोहर पोल नाम का दरवाज़ा' बनवाया था।
इतिहास
हनुमानगढ़ को पहले भटनेर (भट्टी राजपूतों का दुर्ग) कहा जाता था। 1805 में बीकानेर रियासत में शामिल किये जाने के बाद इसको 'हनुमानगढ़' का नाम दिया गया था। 1398 में मंगोल विजेता तैमूर लंग ने दुर्ग सहित इस शहर पर क़ब्ज़ा कर लिया था। उसके बाद से इस पर विभिन्न शासकों का अधिकार रहा है। हनुमानगढ़ किसने बसाया है, इसका ठीक से पता नहीं चलता। पहले यह भाटियों के क़ब्ज़े में था तथा 1527 ई. में बीकानेर के चौथे शासक 'राव जैतसिंह' ने यहाँ राठौड़ों का आधिपत्य स्थापित कर दिया। 11 वर्ष के बाद बाबर के पुत्र 'कामरां' ने इसे जीता। फिर कुछ दिनों तक राठौड़ों के अधिकार में रहा। फिर बाद में यह मुग़ल क़ब्ज़े में चला गया, और बीच में कई बार अधिकारियों में परिवर्तन हुए। अंत में 'सूरत सिंह' के समय 1805 ई. में 5 माह के विकट घेरे के बाद राठौड़ों ने इसे ज़ाबता ख़ाँ भट्टी से छीना और यहाँ बीकानेर राज्य का एकाधिकार हुआ। मंगलवार के दिन इस क़िले पर अधिकार होने के कारण इस क़िले में एक छोटा सा हनुमान जी का मंदिर बनवाया गया तथा उसी दिन से उसका नाम 'हनुमानगढ़' रखा गया।
यातायात और परिवहन
हनुमानगढ़ रेलमार्ग द्वारा बीकानेर, जोधपुर और गंगानगर से जुड़ा हुआ है। यहाँ पर रेल व सड़क द्वारा दो प्रकार के यातायात के साधन उपलब्ध हैं।
कृषि और खनिज
हनुमानगढ़ एक कृषि विपणन केंद्र है, जहाँ हथकरघा पर कपास और ऊन की बुनाई होती है। हनुमानगढ़ में रबी की मुख्य फ़सलें पायी जाती हैं। जैसे- चना, सरसों, गेहूँ, अरंड और तारामीरा की फ़सलें हैं और खरीफ की भी कई मुख्य फ़सलें पायी जाती हैं। जैसे- नरमा, कपास, ग्वार, मूँग, मोठ, बाजरा और ज्वार की फ़सलें हैं। घग्घर नदी इलाके की एकमात्र नदी है। इंदिरा गांधी फीडर यहाँ की प्रमुख नहर है। भाखरा और गंग कैनाल यहाँ की अन्य नहरें हैं।
उद्योग और व्यापार
हनुमानगढ़ में पकी हुई मिट्टी की बड़ी सुन्दर मूर्तियाँ बनाई जाती हैं। हनुमानगढ़ में अधिकतर इन्हीं मूर्तियों का व्यवसाय होता है।
शिक्षण संस्थान
यहाँ राजस्थान विश्वविद्यालय से संबद्ध 'नेहरू मेमोरियल लॉ कॉलेज' और 'सरस्वती कन्या महाविद्यालय' समेत कई कॉलेज हैं।
जनसंख्या
2001 की जनगणना के अनुसार हनुमानगढ़ नगर की जनसंख्या 1,29,654 है, और हनुमानगढ़ ज़िले की कुल जनसंख्या 15,17,390 है।
पर्यटन
पर्यटकों के आकर्षण के लिए यहाँ बहुत कुछ है। हनुमानगढ़ में कई प्रसिद्ध स्थान जैसे भटनेर क़िला, कालीबंगा संग्रहालय, सिल्ला माता मंदिर, गोगामेड़ी मंदिर आदि हैं।
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