"मक्का (अरब)": अवतरणों में अंतर
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'''मक्का''' [[अरब देश|साउदी अरब]] के हेजाज़ प्रांत की राजधानी एवं '[[पैगम्बर मुहम्मद|पैगम्बर मुहम्मद साहब]]' का जन्म स्थान होने के कारण [[मुस्लिम]] जनता का विश्वविख्यात [[तीर्थ स्थान]] है। यह जिद्दा से 45 मील {{मील|मील=45}} पूर्व में स्थित है। [[इस्लाम धर्म]] के मानने वालों का यह पवित्रतम शहर है, जहाँ पर 'काबा तीर्थ' और 'मस्जिद-अल-हरम'<ref>पवित्र या विशाल मस्जिद</ref> स्थित है। मक्का शहर वार्षिक हज तीर्थयात्रा, जो इस्लाम के पाँच स्तंभों में से एक है, के लिये प्रसिद्ध है। प्रत्येक वर्ष लगभग तीन लाख हजयात्री मक्का आते हैं। | |||
==स्थिति== | |||
वर्तमान मक्का शहर सउदी अरब के मक्काह प्रांत की राजधानी है। यह प्रसिद्ध ऐतिहासिक हेजाज़ क्षेत्र में स्थित है। वर्ष [[2008]] की जनगणना के अनुसार शहर की आबादी 17,00000 लगभग थी। मक्का शहर जिद्दा से 73 किलोमीटर (45 मील) की दूरी पर एक संकरी घाटी में समुद्र तल से 277 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। | |||
==काबा== | |||
प्राचीन काल से ही मक्का [[धर्म]] तथा व्यापार का केंद्र रहा है। यह एक सँकरी, बलुई तथा अनुपजाऊ घाटी में बसा है, जहाँ [[वर्षा]] कभी-कभी ही होती है। नगर का खर्च यात्रियों से प्राप्त कर द्वारा पूरा किया जाता है। यहाँ पत्थरों से निर्मित एक विशाल मस्जिद है, जिसके मध्य में ग्रेनाइट पत्थर से बना आयताकार काबा स्थित है, जो 40 फुट लंबा तथा 33 फुट चौड़ा है। इसमें कोई खिड़की आदि नहीं है, बल्कि एक दरवाज़ा है। काबा के पूर्वी कोने में ज़मीन से लगभग पाँच फुट की ऊँचाई पर पवित्र काला पत्थर स्थित है। [[मुस्लिम]] यात्री यहाँ आकर काबा के सात चक्कर लगाते हैं उसके बाद इसे चूँमते हैं। | |||
====पैगम्बर मुहम्मद की जन्मस्थली==== | |||
यहाँ मुहम्मद साहब ने 570 ई. पू. में जन्म लिया था। फिर मक्कावासियों से झगड़ा हो जाने के कारण मुहम्मद साहब 622 ईसवी में मक्का छोड़कर [[मदीना]] चले गए थे। अरबी भाषा में सफर करना "हिजरत" कहलाता है यही से सवंत [[हिजरी]] की शुरुआत हुई थी, मुहम्मद साहब के पहले मक्का का व्यापार [[मिस्र]] आदि देशों से होता था। पहले [[अरब]] के कबीले प्रति वर्ष हज़ारों की संख्या में [[देवता|देवताओं]] के पत्थरों के प्रतीक पूजने के लिये एकत्र होते थे, किंतु बाद में मुहम्मद साहब ने इस प्रकार की [[पूजा]] को समाप्त कर दिया। मस्जिद के समीप ही 'जम-जम' का पवित्र कुआँ है। | |||
==पवित्र क्षेत्र== | |||
[[पैगम्बर मुहम्मद|पैगम्बर मुहम्मद साहब]] ने शिष्यों को अपने पापों से मुक्ति पाने के लिये जीवन में कम से कम एक बार मक्का आना आवश्यक बताया था। अत: विश्व के कोने-कोने से मुस्लिम लोग पैदल, ऊँटों, ट्रकों, तथा जहाजों आदि से यहाँ आते हैं। पहले यहाँ पर केवल मुस्लिम धर्मावलंबियों को ही आने का अधिकार प्राप्त था। इसके कुछ मील तक चारों ओर के क्षेत्र को पवित्र माना जाता है, अत: इस क्षेत्र में कोई युद्ध नहीं हो सकता और न ही कोई पेड़-पौधा काटा जा सकता है। | |||
====हजयात्रा का समय==== | |||
सऊदी अरब की धरती पर इस्लाम का जन्म हुआ था, इसलिए 'मक्का' और '[[मदीना]]' जैसे पवित्र [[मुस्लिम]] तीर्थ स्थल उस देश की थाती हैं। मक्का में पवित्र 'काबा' है, जिसकी प्रदक्षिणा कर हर मुस्लिम धन्य हो जाता है। यही वह स्थान है, जहाँ हजयात्रा सम्पन्न होती है। सम्पूर्ण विश्व में इस्लामी तारीख़ के अनुसार 10 जिलहज को विश्व के कोने-कोने से मुस्लिम इस पवित्र स्थान पर पहुँचते हैं, जिसे "ईदुल अजहा" की संज्ञा दी जाती है। [[भारत]] में इसे सामान्य भाषा में 'बकरा ईद' या '[[बकरीद]]' कहा जाता है। हज सम्पन्न करने के पश्चात् उसकी पूर्णाहुति तब होती है, जब शरीयत द्वारा मान्य पशु की कुर्बानी की जाती है।<ref>{{cite web |url=http://panchjanya.com/arch/2004/3/7/File20.htm|title=मक्का में काफ़िर के बदले|accessmonthday=12 मई|accessyear=2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref> | |||
==मस्जिद-अल-हरम== | |||
मक्का में 'मस्जिद-अल-हरम' नाम से एक विख्यात मस्जिद है। इस प्राचीन मस्जिद के चारों ओर पुरातात्विक महत्व के खंभे हैं। लेकिन कुछ समय पहले सऊदी सरकार के निर्देश पर इसके कई खंभे गिरा दिए गए। इस्लामी बुद्धिजीवियों में से अनेक लोगों का यह मत है कि इसी के पास से पैगम्बर साहब 'बुरर्क' (पंख वाले घोड़े) पर सवार होकर ईश्वर का साक्षात् करने के लिए स्वर्ग पधारे थे। बताया जाता है कि 'मस्जिद-अल-हरम' 356 हज़ार 800 वर्ग मीटर में फैली हुई है। कहा जाता है कि इसका निर्माण हजरत इब्राहीम ने किया था। अब इस मस्जिद के पूर्वी भाग के खम्भों को धराशायी किया जा रहा है। [[इतिहास]] की दृष्टि से इसका महत्व इसलिए अधिक है, क्योंकि यहाँ [[पैगम्बर मुहम्मद|पैगम्बर हजरत मुहम्मद]] एवं उनके साथियों के महत्त्वपूर्ण क्षणों को [[अरबी भाषा|अरबी]] में अंकित किया गया है।<ref>{{cite web |url=http://panchjanya.com/Encyc/2013/4/6/%E0%A4%B8%E0%A4%8A%E0%A4%A6%E0%A5%80-%E0%A4%B8%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%87-%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A4%AE%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%85%E0%A4%B2-%E0%A4%B9%E0%A4%B0%E0%A4%AE-%E0%A4%AE%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%9C%E0%A4%BF%E0%A4%A6.aspx?PageType=N|title=मक्का की अल हरम मस्जिद|accessmonthday=12 मई |accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref> | |||
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07:47, 23 जून 2017 के समय का अवतरण
मक्का (अरब)
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विवरण | 'मक्का' इस्लाम धर्म के मानने वालों का पवित्रतम शहर है, जहाँ पर विश्व प्रसिद्ध 'काबा तीर्थ' और 'मस्जिद-अल-हरम' स्थित है। |
राज्य | हेजाज़ प्रांत, सऊदी अरब |
भौगोलिक स्थिति | यह जिद्दा से 73 कि.मी. की दूरी पर एक संकरी घाटी में समुद्र तल से 277 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। |
प्रसिद्धि | 'पैगम्बर मुहम्मद साहब' का जन्म स्थान होने के कारण मक्का मुस्लिम जनता का विश्वविख्यात तीर्थ स्थान है। |
क्या देखें | मस्जिद-अल-हरम, |
संबंधित लेख | अरब, हज, पैगम्बर मुहम्मद, मदीना
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अन्य जानकारी | मक्का शहर वार्षिक हज तीर्थयात्रा, जो इस्लाम के पाँच स्तंभों में से एक है, के लिये प्रसिद्ध है। प्रत्येक वर्ष लगभग तीन लाख हजयात्री मक्का आते हैं। |
मक्का साउदी अरब के हेजाज़ प्रांत की राजधानी एवं 'पैगम्बर मुहम्मद साहब' का जन्म स्थान होने के कारण मुस्लिम जनता का विश्वविख्यात तीर्थ स्थान है। यह जिद्दा से 45 मील (लगभग 72 कि.मी.) पूर्व में स्थित है। इस्लाम धर्म के मानने वालों का यह पवित्रतम शहर है, जहाँ पर 'काबा तीर्थ' और 'मस्जिद-अल-हरम'[1] स्थित है। मक्का शहर वार्षिक हज तीर्थयात्रा, जो इस्लाम के पाँच स्तंभों में से एक है, के लिये प्रसिद्ध है। प्रत्येक वर्ष लगभग तीन लाख हजयात्री मक्का आते हैं।
स्थिति
वर्तमान मक्का शहर सउदी अरब के मक्काह प्रांत की राजधानी है। यह प्रसिद्ध ऐतिहासिक हेजाज़ क्षेत्र में स्थित है। वर्ष 2008 की जनगणना के अनुसार शहर की आबादी 17,00000 लगभग थी। मक्का शहर जिद्दा से 73 किलोमीटर (45 मील) की दूरी पर एक संकरी घाटी में समुद्र तल से 277 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।
काबा
प्राचीन काल से ही मक्का धर्म तथा व्यापार का केंद्र रहा है। यह एक सँकरी, बलुई तथा अनुपजाऊ घाटी में बसा है, जहाँ वर्षा कभी-कभी ही होती है। नगर का खर्च यात्रियों से प्राप्त कर द्वारा पूरा किया जाता है। यहाँ पत्थरों से निर्मित एक विशाल मस्जिद है, जिसके मध्य में ग्रेनाइट पत्थर से बना आयताकार काबा स्थित है, जो 40 फुट लंबा तथा 33 फुट चौड़ा है। इसमें कोई खिड़की आदि नहीं है, बल्कि एक दरवाज़ा है। काबा के पूर्वी कोने में ज़मीन से लगभग पाँच फुट की ऊँचाई पर पवित्र काला पत्थर स्थित है। मुस्लिम यात्री यहाँ आकर काबा के सात चक्कर लगाते हैं उसके बाद इसे चूँमते हैं।
पैगम्बर मुहम्मद की जन्मस्थली
यहाँ मुहम्मद साहब ने 570 ई. पू. में जन्म लिया था। फिर मक्कावासियों से झगड़ा हो जाने के कारण मुहम्मद साहब 622 ईसवी में मक्का छोड़कर मदीना चले गए थे। अरबी भाषा में सफर करना "हिजरत" कहलाता है यही से सवंत हिजरी की शुरुआत हुई थी, मुहम्मद साहब के पहले मक्का का व्यापार मिस्र आदि देशों से होता था। पहले अरब के कबीले प्रति वर्ष हज़ारों की संख्या में देवताओं के पत्थरों के प्रतीक पूजने के लिये एकत्र होते थे, किंतु बाद में मुहम्मद साहब ने इस प्रकार की पूजा को समाप्त कर दिया। मस्जिद के समीप ही 'जम-जम' का पवित्र कुआँ है।
पवित्र क्षेत्र
पैगम्बर मुहम्मद साहब ने शिष्यों को अपने पापों से मुक्ति पाने के लिये जीवन में कम से कम एक बार मक्का आना आवश्यक बताया था। अत: विश्व के कोने-कोने से मुस्लिम लोग पैदल, ऊँटों, ट्रकों, तथा जहाजों आदि से यहाँ आते हैं। पहले यहाँ पर केवल मुस्लिम धर्मावलंबियों को ही आने का अधिकार प्राप्त था। इसके कुछ मील तक चारों ओर के क्षेत्र को पवित्र माना जाता है, अत: इस क्षेत्र में कोई युद्ध नहीं हो सकता और न ही कोई पेड़-पौधा काटा जा सकता है।
हजयात्रा का समय
सऊदी अरब की धरती पर इस्लाम का जन्म हुआ था, इसलिए 'मक्का' और 'मदीना' जैसे पवित्र मुस्लिम तीर्थ स्थल उस देश की थाती हैं। मक्का में पवित्र 'काबा' है, जिसकी प्रदक्षिणा कर हर मुस्लिम धन्य हो जाता है। यही वह स्थान है, जहाँ हजयात्रा सम्पन्न होती है। सम्पूर्ण विश्व में इस्लामी तारीख़ के अनुसार 10 जिलहज को विश्व के कोने-कोने से मुस्लिम इस पवित्र स्थान पर पहुँचते हैं, जिसे "ईदुल अजहा" की संज्ञा दी जाती है। भारत में इसे सामान्य भाषा में 'बकरा ईद' या 'बकरीद' कहा जाता है। हज सम्पन्न करने के पश्चात् उसकी पूर्णाहुति तब होती है, जब शरीयत द्वारा मान्य पशु की कुर्बानी की जाती है।[2]
मस्जिद-अल-हरम
मक्का में 'मस्जिद-अल-हरम' नाम से एक विख्यात मस्जिद है। इस प्राचीन मस्जिद के चारों ओर पुरातात्विक महत्व के खंभे हैं। लेकिन कुछ समय पहले सऊदी सरकार के निर्देश पर इसके कई खंभे गिरा दिए गए। इस्लामी बुद्धिजीवियों में से अनेक लोगों का यह मत है कि इसी के पास से पैगम्बर साहब 'बुरर्क' (पंख वाले घोड़े) पर सवार होकर ईश्वर का साक्षात् करने के लिए स्वर्ग पधारे थे। बताया जाता है कि 'मस्जिद-अल-हरम' 356 हज़ार 800 वर्ग मीटर में फैली हुई है। कहा जाता है कि इसका निर्माण हजरत इब्राहीम ने किया था। अब इस मस्जिद के पूर्वी भाग के खम्भों को धराशायी किया जा रहा है। इतिहास की दृष्टि से इसका महत्व इसलिए अधिक है, क्योंकि यहाँ पैगम्बर हजरत मुहम्मद एवं उनके साथियों के महत्त्वपूर्ण क्षणों को अरबी में अंकित किया गया है।[3]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ पवित्र या विशाल मस्जिद
- ↑ मक्का में काफ़िर के बदले (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 12 मई, 2013।
- ↑ मक्का की अल हरम मस्जिद (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 12 मई, 2013।
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख